Dehradun
देहरादून-सहारनपुर रेल लाइन परियोजना का काम तेज, इस रूट में आठ स्टेशन प्रस्तावित, अत्याधुनिक तकनीक वाला ड्रोन लिडार सर्वे हुआ पूरा।

देहरादून – शाकंभरी देवी होते हुए देहरादून-सहारनपुर रेल लाइन परियोजना का काम तेज हो गया है। मैदान से लेकर शिवालिक की पहाड़ियों तक अत्याधुनिक तकनीक वाला ड्रोन लिडार सर्वे पूरा कर लिया गया है। सर्वे के आधार पर प्रस्तावित रेलमार्ग का अलाइनमेंट व यार्ड निर्धारण हाे चुका है। इस रूट में आठ स्टेशन प्रस्तावित हैं।

प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार कर जल्द रेल ट्रैक बिछाने के लिए निविदा आमंत्रित की जाएगी। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा चुनाव में इस परियोजना की घोषणा की थी। रेललाइन के सर्वे के लिए रेल मंत्री ने 2.3 करोड़ रुपये का बजट भी जारी कराया था। प्रोजेक्ट की डीपीआर 18 महीने में तैयार करने के निर्देश दिए गए थे।
अभी देहरादून से सहारनपुर जाने के लिए वाया हरिद्वार होकर जाना पड़ता है। नई रेललाइन बिछने से दून-सहारनपुर के बीच 112 किमी की दूरी घटकर महज 81 किमी. रह जाएगी, जबकि यह सफर डेढ़ घंटे में पूरा किया जा सकेगा। पहले चरण में सहारनपुर से शाकंभरी देवी तक 40 किमी. की रेललाइन बिछाना प्रस्तावित है।
दूसरे चरण में शाकंभरी देवी से देहरादून के हर्रावाला तक 41 किमी. लंबी लाइन बिछेगी। यह रेलमार्ग शिवालिक की पहाड़ियों के बीच से गुजरेगा। इस रूट को बनाने में रेलवे को 11 किलोमीटर लंबी टनल और 106 छोटे बड़े पुल बनाने होंगे।
रेल मार्ग का निर्माण हाइड्रोलिक कैलकुलेशन के बगैर संभव नहीं है। सर्वे टीम ने हाइड्रोलिक कैलकुलेशन पूरा कर लिया है, उधर जिन स्थानों पर रेल लाइन बिछाई जानी है, वहां मृदा परीक्षण का कार्य भी पूरा कर लिया गया है। मैदान व शिवालिक की पहाड़ियों से लिए गए मिट्टी के सैंपल में किसी प्रकार का कोई अवरोध होने की बात सामने नहीं आई है।
रेल मंत्रालय के अनुसार पहले खासकर पहाड़ी क्षेत्रों व किसी बड़े क्षेत्र के सर्वे के लिए विमान या हेलिकॉप्टर का प्रयोग होता था, लेकिन अब ड्रोन लिडार तकनीक का प्रयोग हो रहा है। यह एक रिमोट सेंसिंग तकनीक है, इसमें प्रकाश का उपयोग पल्स लेजर के रूप में किया जाता है। लिडार तकनीक से किसी क्षेत्र का सर्वेक्षण लेजर उपकरणों के माध्यम से होता है। इसमें जीपीएस और स्कैनर का भी सहयोग लिया जाता है। एक जीपीएस को ड्रोन व एक सर्वेक्षण स्थल या उसके आसपास लगाया जाता है। लिडार उपकरणों में लेज़र, स्कैनर और एक जीपीएस रिसीवर भी होता है। इस तकनीक में पृथ्वी की सतह पर लेज़र किरणें डालते हैं। प्रकाश के वापस लौटने के समय की गणना से दूरी का पता लग जाता है। इस तकनीक से संबंधित स्थल का त्रि-आयामी मानचित्र तैयार कर उसकी गहराई, चौड़ाई तथा उसके प्रवाह संबंधी जानकारी प्राप्त की जाती है।
सहारनपुर लोकसभा सांसद इमरान मसूद रेलमंत्री ने देहरादून-सहारनपुर वाया शाकंभरी देवी रेल लाइन बिछाने की घोषणा की थी, यह रेल लाइन बनने से यूपी-उत्तराखंड के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी। इसके लिए वह रेलमंत्री से मुलाकात कर अनुरोध करेंगे कि प्रोजेक्ट की रफ्तार बढ़ाई जाए, ताकि जल्द दोनों राज्यों के लोगों को रेल सेवा का लाभ मिल सके।
सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद मंडल,आदित्य गुप्ता ने बताया कि देहरादून-शाकंभरी देवी-सहारनपुर रेललाइन प्रोजेक्ट में काफी काम हो चुका है। फाइनल लोकेशन सर्वे लगभग पूरा है। इसमें रेल लाइन से लेकर यार्ड व अन्य सभी जरूरी निर्माणों के लिए स्थान चिह्ननीकरण किया गया है। इसी से रेल ट्रेक का अलाइनमेंट तय होगा। फाइनल लोकेशन चिह्नीकरण में मामूली कार्य शेष है, यह जुलाई में पूरा हो जाएगा। रेलवे मुख्यालय रिपोर्ट भेजकर आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
प्रस्तावित स्टेशन-यार्ड
उप्र के सीमाक्षेत्र में
पिलखनी- जंक्शन
चिलकाना- स्टेशन
बीबीपुर डंडौली- हाल्ट
बेहट- स्टेशन
मां शाकंभरी देवी- स्टेशन
उत्तराखंड के सीमा क्षेत्र में
नयागांव- स्टेशन
सुभाषनगर- स्टेशन
हर्रावाला- जंक्शन
Dehradun
दून के तापस चक्रवर्ती को मिला प्रतिष्ठित साहित्य स्पर्श पुरस्कार, एक महीने में तीसरा सम्मान

देहरादून निवासी साहित्यकार तापस चक्रवर्ती को उनके नवीनतम यात्रा-वृत्तांत ‘हम्पी: उत्कर्ष से अपकर्ष तक’ के लिए प्रतिष्ठित साहित्य स्पर्श पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। तापस चक्रवर्ती को एक माह के भीतर ये तीसरा साहित्यिक सम्मान प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व उन्हें हाल ही में कादंबरी साहित्य सम्मान और उत्तराखंड सेल्यूट अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
दून के तापस चक्रवर्ती को मिला प्रतिष्ठित साहित्य स्पर्श पुरस्कार
साहित्य स्पर्श पुरस्कार लिटरेचरसलाइट पब्लिशिंग द्वारा प्रदान किए जाते हैं और द लिटरेचर टाइम्स द्वारा प्रायोजित किए जाते हैं। ये पुरस्कार विभिन्न विधाओं में एशिया के उत्कृष्ट लेखकों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित करते हैं और कथा-वाचन की परंपरा को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ विविध और सशक्त साहित्यिक स्वरों को मंच प्रदान करने का उद्देश्य रखते हैं।
एक महीने में मिला तीसरा सम्मान
वर्तमान में तापस चक्रवर्ती केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर आयुक्तालय, देहरादून में सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं और अब तक उनके पांच यात्रा-वृत्तांत प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 2016 में उनके प्रथम यात्रा-वृत्तांत ‘रुक जाना नहीं’ को भारत सरकार द्वारा राजभाषा गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इसके अलावा, वर्ष 2018–19 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा उनकी कृति ‘मंदिरों का नगर: विष्णुपुर’ को राहुल सांस्कृत्यायन पर्यटन पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2024 में ओएनजीसी ने उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें ‘उत्तराखंड साहित्य सम्मान’ भी प्रदान किया।
कथा और पर्यटन का अनूठा संगम है ये पुस्तक
अपने यात्रा-वृत्तांत ‘हम्पी: उत्कर्ष से अपकर्ष तक’ में तापस चक्रवर्ती ने विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी के गौरवशाली इतिहास को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। इस कृति में हम्पी की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों, उनसे जुड़ी कथाओं और वहां की यात्रा के विविध अनुभवों को उन्होंने अत्यंत जीवंत और रोचक शब्दों में उकेरा है। ये यात्रा-वृत्तांत इतिहास, कथा और पर्यटन का एक अनूठा व सशक्त संगम प्रस्तुत करता है।
Uttarakhand
हरीश रावत ने रिवर्स पलायन को लेकर सरकार पर कसा तंज, कहा कि सरकार केवल सपने दिखा रही है

देहरादून: उत्तराखंड में Reverse Migration को बढ़ावा देने को लेकर सरकार के प्रयासों के बीच इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने Reverse Migration के मुद्दे पर धामी सरकार को घेरा लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल रिवर्स पलायन की बातें कर रही है, जबकि ज़मीनी हकीकत इससे अलग है।
हरीश रावत का सरकार पर सीधा हमला
हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर तीखा तंज कसा है। उन्होंने लिखा कि सरकार उत्तराखंड वासियों को Reverse Migration का सपना दिखा रही है, लेकिन पहले लोगों को उनकी जमीन लौटाई जानी चाहिए। उनका कहना था कि लोग आसमान लेकर क्या करेंगे, जब उनके पास अपनी जमीन और संसाधन ही सुरक्षित नहीं हैं।
पलायन की मौजूदा स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत
इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री ने मौजूदा पलायन को अधिक गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा कि आज डर और असुरक्षा के कारण लोग अपने गांव और घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने जंगली जानवरों के बढ़ते हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि गुलदार, बाघ, हाथी, भालू, बंदर और लंगूर के साथ-साथ आवारा पशु और कुत्ते गांवों से लेकर कस्बों तक लोगों के लिए खतरा बन चुके हैं। ऐसे हालात में रिवर्स पलायन की कल्पना व्यावहारिक नहीं लगती।
सरकार के प्रयास और Reverse Migration की अवधारणा
वहीं दूसरी ओर, हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रिवर्स पलायन को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर जरुरी दिशा-निर्देश दिए थे। सरकार का मानना है कि वर्षों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव खाली हुए हैं, जिन्हें दोबारा बसाने के लिए रोजगार और स्वरोजगार योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार का दवा कर रही है कि, गांवों में अवसर बढ़ाकर ही लोगों को वापस लौटने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
Crime
रिटायर्ड अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों की ठगी, आरोपी जयपुर से गिरफ्तार

नैनीताल: उत्तराखंड में STF लगातार एक्शन मोड़ पर है। एसटीएफ ने एक रिटायर्ड अधिकारी से Digital Arrest का हवाला देकर 20 लाख रुपए की साइबर ठगी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। साइबर ठगों ने तीन दिनों तक 80 वर्षीय बुजुर्ग को Digital Arrest रख कर धोखाधड़ी की। साइबर ठगों ने खुद को दिल्ली क्राईम ब्रांच और सीबीआई अधिकारी बताकर उनके आधार कार्ड से खोले गए एक बैंक खाते से करोड़ों रुपए का लेनदेन के बारे में बताया।
बुजुर्ग को Digital Arrest रखकर ठगे लाखों रूपए
दरअसल, नैनीताल निवासी बुजुर्ग ने दिसंबर 2025 में साइबर थाना कुमाऊं परिक्षेत्र, रुद्रपुर में शिकायत दर्ज कराई थी। कि कुछ दिनों पहले साइबर ठगों ने फोन और व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए यह झूठा दावा किया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग हुआ है और उनके नाम पर खुले एक बैंक खाते में करोड़ों रुपये का money laundering लेनदेन हुआ है। जांच के नाम पर बुजुर्ग को तीन दिनों तक व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर निगरानी में रखकर अलग-अलग खातों में कुल 20 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
पुलिस को चकमा देने के लिए बदलता रहा ठिकाने
शिकायत मिलने के बाद, STF और Cyber police टीम ने संबंधित बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का गहन सत्यापन किया। जांच में 19 वर्षीय महीम सिसौदिया, निवासी जयपुर, राजस्थान को चिन्हित किया गया। साइबर एएसपी कुश मिश्रा ने बताया कि आरोपी बेहद शातिर था और पुलिस से बचने के लिए लगातार अपनी पहचान और लोकेशन बदल रहा था। रकम निकालने के बाद आरोपी ने बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर को स्विच ऑफ कर दिया था।
कई राज्यों में दर्ज हैं साइबर ठगी की शिकायतें
पुलिस ने जयपुर में उसके पते पर पहुंची लेकिन आरोपी वहाँ नहीं मिला। इसके बाद स्थानीय लोगों से पूछताछ के बाद नए पते पर दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। जांच में ये भी पाया गया कि दिसंबर महीने में ही खाते से लाखों रुपये का लेनदेन हुआ था। आरोपी के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में टोटल 7 साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज हैं, जिनके संबंध में संबंधित राज्यों से संपर्क किया जा रहा है।
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