उत्तरकाशी: पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत की सैन्य शक्ति और जवाबी कार्रवाई की क्षमता ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा। लेकिन इस कार्रवाई के बाद देश के सीमांत क्षेत्रों में स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं भी सामने आई हैं। विशेष रूप से उत्तराखंड के सीमावर्ती जनपद उत्तरकाशी में अब भूमिगत बंकरों के निर्माण की मांग जोर पकड़ने लगी है।
पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए ड्रोन हमलों और भारत की जवाबी कार्यवाही ने यह साफ कर दिया है कि भविष्य में यदि कोई सैन्य संघर्ष होता है तो उसमें वायुसेना की भूमिका निर्णायक होगी। ऐसे में सीमा पर रहने वाले नागरिकों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल होना जरूरी है, जहां वे किसी भी आपात स्थिति में अपनी जान बचा सकें।
उत्तरकाशी की भटवाड़ी तहसील में स्थित लोहारीनाग-पाला जल विद्युत परियोजना की टनल को युद्धकाल में सुरक्षात्मक बंकर के रूप में उपयोग किए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। यह टनल परियोजना 60 प्रतिशत पूरी होने के बाद बंद कर दी गई थी। अब स्थानीय नागरिक और भाजपा विधायक इसे चारधाम यात्रा का वैकल्पिक मार्ग और आपातकालीन सुरक्षा बंकर के तौर पर विकसित करने की मांग कर रहे हैं।
पूर्व सैनिकों का कहना है कि युद्ध जैसी स्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा के लिए भूमिगत बंकर सबसे मजबूत और सुरक्षित विकल्प हैं। बंकरों के निर्माण से न केवल नागरिकों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि इससे सीमा सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
अब तक भारत की सीमाओं पर सैन्य संरचनाओं पर जोर दिया गया है, लेकिन नागरिक सुरक्षा ढांचे की कमी साफ दिखाई देती है। सीमावर्ती गांवों में कोई निर्धारित शरणस्थल या सुरक्षित ज़ोन मौजूद नहीं है। ऐसे में बंकरों का निर्माण एक रणनीतिक आवश्यकता बन गया है।
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