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सीएम धामी की साफ चेतावनी: पद बड़ा हो या छोटा, भ्रष्टाचार किया तो सीधी होगी जेल

देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पारदर्शी और जवाबदेह शासन की दिशा में ठोस और निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना और प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करना। हाल के महीनों में सरकार ने यह दिखा दिया है कि अब सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर नहीं, बल्कि बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी, चाहे उनका पद या प्रभाव कितना ही बड़ा क्यों न हो। पहले जिन अधिकारियों पर सवाल उठाने में लोग हिचकते थे, अब उनके खिलाफ भी कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री धामी की “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत अब तक कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों में कार्रवाई की गई है।
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि “सरकार की नीति साफ है—भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और जवाबदेही तय करना।” यही कारण है कि बीते तीन सालों में कई ऐसे वरिष्ठ अफसरों और कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की गई है, जो पहले अछूत माने जाते थे।
इन ‘बड़े नामों’ पर गिरी सरकार की गाज
1. हरिद्वार जमीन घोटाला : 2 IAS और 1 PCS अफसर समेत कुल 12 लोग सस्पेंड
2. रामविलास यादव (IAS अधिकारी):
आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में जेल
3. किशन चंद (IFS अधिकारी):
वन विभाग से जुड़े इस वरिष्ठ अधिकारी पर पद के दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल
4. RBS रावत, पूर्व IFS अधिकारी / पूर्व चेयरमैन UKSSSC :
परीक्षा धांधली मामले में जेल
5. हरमिंदर सिंह बवेजा (उद्यान निदेशक):
बागवानी विभाग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के कारण निलंबित किए गए।
6. अमित जैन (वित्त नियंत्रक, आयुर्वेद विश्वविद्यालय):
भ्रष्टाचार संबंधी आदेशों की अनदेखी और वित्तीय नियमों की अवहेलना पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
7. भूपेंद्र कुमार (उपमहाप्रबंधक वित्त, परिवहन निगम):
रिश्वत लेने और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों में निलंबन। विजिलेंस द्वारा विस्तृत जांच चल रही है।
8. महिपाल सिंह (लेखपाल):
रिश्वत मांगने के मामले में रंगे हाथ पकड़े गए। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।
9. निधि यादव (PCS अधिकारी):
विभिन्न मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद उनके खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू की गई है।
10. रामदत्त मिश्र (उप निबंधक, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग):
स्टांप शुल्क व भूमि पंजीकरण में अनियमितताओं के कारण निलंबित।
11. राज्य कर विभाग के अधिकारी वी.पी. सिंह, डॉ. कुलदीप सिंह और यशपाल सिंह:
इन वरिष्ठ अधिकारियों को कार्य में घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार के संदेह पर तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
सेवानिवृत्त अधिकारी भी नहीं बचे जांच के दायरे से
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ वर्तमान में कार्यरत ही नहीं, बल्कि सेवानिवृत्त अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे यदि उन्होंने सेवा काल में कोई अनियमितता की हो।
कुशाल सिंह राणा और राजेन्द्र डबराल (सेवानिवृत्त लेखपाल): ज़मीन कब्जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज।
मृत्युंजय मिश्रा (पूर्व रजिस्ट्रार, आयुर्वेद विश्वविद्यालय): भ्रष्टाचार की शिकायतों के आधार पर जांच प्रक्रिया जारी।
रजनीश कुमार पांडे (सीनियर गोदाम अधिकारी, GBPUAT पंतनगर): आय से अधिक संपत्ति मामले में केस दर्ज।
नकल माफिया पर कड़ी कार्रवाई
राज्य में आयोजित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक जैसे मामलों को बेहद गंभीरता से लिया गया है। मुख्यमंत्री धामी की स्पष्ट मंशा है कि युवा पीढ़ी को साफ-सुथरा और निष्पक्ष अवसर मिले। अब तक 57 नकल माफिया जेल भेजे जा चुके हैं। 24 आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की गई है। इससे यह संदेश गया है कि राज्य में कोई भी परीक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता।
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विश्व मानक दिवस पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन, बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए राज्यपाल गुरमीत सिंह

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को देहरादून में आयोजित “विश्व मानक दिवस 2025” के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मानक केवल तकनीकी दस्तावेज नहीं, बल्कि विश्वास, पारदर्शिता और गुणवत्ता के प्रतीक हैं, जो विकास और प्रगति की दिशा निर्धारित करते हैं।
विश्व मानक दिवस पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन
विश्व मानक दिवस के कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि मानक किसी राष्ट्र की गुणवत्ता संस्कृति के द्योतक होते हैं। जब उद्योग मानकों को अपनाते हैं, तो उनके उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान और विश्वसनीयता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि जब नीतिगत ढांचे में मानकों को शामिल किया जाता है, तो योजनाएँ अधिक प्रभावी बनती हैं, और जब समाज मानकीकरण को अपनाता है, तो नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता का स्तर ऊँचा उठता है।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में प्रकृति, नदियाँ, शुद्ध वायु, हरित वन और जीवंत संस्कृति स्वयं एक आदर्श मानक प्रस्तुत करती है। यहां की भौगोलिक संरचना हमें यह सिखाती है कि विकास के प्रत्येक कदम पर संतुलन, अनुशासन और जिम्मेदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि हमारी योजनाएँ और निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप हों, तो हम पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सतत विकास के आदर्श भी स्थापित कर सकते हैं।
बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए राज्यपाल गुरमीत सिंह
राज्यपाल ने कहा कि मानक ब्यूरो द्वारा उत्तराखण्ड में गुणवत्ता और मानकीकरण के क्षेत्र में कई सकारात्मक पहलें की जा रही हैं। इन प्रयासों को गाँव-गाँव, छोटे उद्योगों और सहकारी समितियों तक पहुँचाना आवश्यक है, जिससे वह जागरूक हो सकें। राज्यपाल ने आह्वान किया कि सभी नागरिक अपने-अपने क्षेत्रों में मानकीकरण को बढ़ावा दें, गुणवत्ता की संस्कृति को अपनाएँ और उत्तराखण्ड को मानक आधारित शासन व विकास का आदर्श राज्य बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
मानक देश के समग्र विकास में निभाते हैं महत्वपूर्ण भूमिका
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने मानक गैलरी और प्रदर्शनी स्टॉलों का अवलोकन किया। जिनमें बीआईएस प्रमाणित उत्पादों के साथ-साथ गुणवत्ता मॉडल भी प्रदर्शित किए गए थे। उन्होंने बीआईएस देहरादून की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के प्रयास जनता में गुणवत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक होंगे।
राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने बीआईएस को विश्व मानक दिवस पर बधाई दी और कहा कि गुणवत्ता और मानक देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जबकि राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी ने युवाओं में गुणवत्ता चेतना विकसित करने में राष्ट्रीय मानक निकाय की भूमिका पर प्रकाश डाला और शैक्षणिक संस्थानों से बीआईएस के साथ सहयोग करने का आह्वान किया।
आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास ही देश के विकास की कुंजी
परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बीआईएस के स्वदेशी मानकों के विकास के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि स्वनियंत्रण, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास ही देश के विकास की कुंजी हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश आत्मनिर्भर बनेगा, वह हर क्षेत्र में समृद्धि प्राप्त करेगा। उन्होंने बीआईएस से स्वदेशी उत्पादों के प्रचार-प्रसार को और बढ़ाने और गुणवत्ता नियंत्रण को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का आग्रह किया।
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देहरादून में बार में आग की घटना पर DM का एक्शन, बार का लाइसेंस 15 दिन के लिए सस्पेंड

देहरादून के राजपुर रोड स्थित सर्किल बार में हुई आगजनी की घटना पर कार्रवाई हुई है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने घटना को गंभीरता से लेते हुए बार का लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया है।
सर्किल बार में आग की घटना के बाद बार लाइसेंस निलंबित
राजपुर रोड स्थित सर्किल बार मेंआयोजकों की लापरवाही से आगजनी की घटना सामने आने के बाद जिला प्रशासन का सख्त रूख देखने को मिला है। इस घटना पर सख्त रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी ने बार का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। जिलाधिकारी ने संयुक्त टीम बनाकर घटना की जांच कराई जांच में मानकों का उल्लंघन एवं घोर लापरवाही सामने आई जिससे बड़ी जनहानि हो सकती थी। इसको गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन द्वारा बार का लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है।
अनुज्ञापन में दी गई शर्तों का हुआ था उल्लंघन
संयुक्त जांच टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि राजपुर रोड़ स्थित सर्किल बार एफ0एल0-7 बार में तृतीय तल के हॉल में जिसमें घटना के समय लगभग 40-50 लोगों की भीड़ मौजूद थी। जबकि दो बार मैन Juggling & Fire show का प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें आग से खेला जा रहा था। इसी दौरान दो बार मैन झुलस गए थे। बार मैनों को मुख्यतः शराब परोसने के प्रयोजन हेतु नियुक्त किया जाता है। जबकि सर्किल एफ0एल0-7 बार में नियमों का उल्लंघन कर अन्य ऐसे कार्य हेतु प्रयोजन में लाया जा रहा था जिसके लिए वे दक्ष नहीं थे। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि बार अनुज्ञापन में दी गयी शर्तों का उल्लंघन किया गया है।
आयोजकों की इस घोर लापरवाही से वहां मौजूद लगभग 50 लोगों की जनहानि हो सकती थी। इसके साथ ही दो बार मैन जो इस फायर शो के प्रदर्शन के दौरान जख्मी हुए हैं उनके जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया। सभी तथ्यों के दृष्टिगत प्रकरण आबकारी अधिनियम की धारा-34 (b) & (e) “Power to cancel or suspend the License etc” के अनुपालन के विरूद्व बार लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है।
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देहरादून के इन इलाकों में हिंदुओं की घटी आबादी, मुस्लिमों की संख्या बढ़ने पर चौंकाने वाली रिपोर्ट !

प्रदेश में बीते कुछ समय से डेमोग्राफिक चेंज की बातें सामने आ रही हैं। इसी तरह की बात अब राजधानी देहरादून से भी सामने आई है। एक रिपोर्ट में देहरादून के 28 गांवों में हिंदू आबादी घटने और मुस्लिम आबादी में तेजी से बढ़ोतरी का दावा किया गया है।
देहरादून के इन इलाकों में हिंदुओं की घटी आबादी
प्रदेश के कई इलाकों से जनसांख्यिकी बदलाव की बातें सामने आने के बाद अब देहरादून से भी जनसांख्यिकी बदलाव का मामला सामने आ रहा है। एनडी टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून के 28 गांवों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है जबकि इन गावों में हिंदू आबादी घटी है। ये मामला देहरादून के विकासनगर से सामने आया है। जिस पहले पछवादून कहा जाता था।
हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लगने वाले इस क्षेत्र के करीब 28 गावों में मुस्लिम आबादी बढ़ गई है और हिंदुओं की आबादी कम हो गई है। लगातार जनसंख्या असंतुलन की खबरें सामने आने के बाद जब इस मामले में जांच की गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जिसने सभी को हैरान कर दिया।
28 गांवों ऐसे मुस्लिम हो गए बहुसंख्यक
डेमोग्राफिक चेंज की लगातार सामने आ रही बातों के कारण जब जांच की गई तो उसमें सामने आया कि मुस्लिम ग्राम प्रधानों ने अपनी कुर्सी को कायम रखने के लिए परिवार रजिस्टरों में गड़बड़ की थी। उन्होंने ग्राम सभा के अधिकारियों की मिलीभगत से अपने रिश्तेदारों के नाम यहां के परिवार रजिस्टरों में दर्ज करवा लिए। इतना ही नहीं शादी होने के बाद भी लड़कियों के नाम परिवार रजिस्टर से नहीं काटे गए। ब्लकि उनके पतियों और बच्चों के नाम भी यहीं चढ़ा दिए गए।
मिली जानकारी के अनुसार परिवार रजिस्टर में चढ़ाए गए नाम वाले लोग देहरादून से सभी सरकारी सुविधाएं ले रहे हैं। उनके नाम यहीं की वोटर लिस्ट में भी हैं। परिवार रजिस्टर के आधार पर ही इन लोगों ने अपने आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बनवा लिए हैं। सिर्फ देहरादून ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई इलाकों में तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ने के मामले सामने आ चुके हैं।
राज्य की डेमोग्राफी से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
देहरादून में सामने आए डेमोग्राफिक चेंज के मामले पर सीएम धामी की प्रक्रिया भी सामने आई है। कुमाऊं दौरे पर पहुंचे सीएम ने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा है कि राज्य की डेमोग्राफी चेंज नहीं होनी चाहिए। यहां का मूल अस्तित्व बचा रहना चाहिए। इसके लिए राज्य के सभी जिलों को पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेज जिन्होंने बनाए हैं उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
28 गावों में हिंदुओं की तेजी से घटी संख्या
गांव – हिन्दू आबादी – मुस्लिम आबादी
- ढकरानी -40% हिंदू – 60% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू -40% मुस्लिम - ढलीपुर -50% हिंदू -50% मुस्लिम
2011 -75% हिंदू – 25% मुस्लिम - कुंजा- 50% हिंदू- 50% मुस्लिम
2011- 65% हिंदू -35% मुस्लिम - तिमली -5% हिंदू – 95% मुस्लिम
2011- 25% हिंदू -75% मुस्लिम - बैरागी वाला-50% मुस्लिम -50% हिंदू
2011 -60% हिंदू – 40% मुस्लिम - जमनीपुर-70% हिंदू -30% मुस्लिम
2011 – 80% हिंदू – 20% मुस्लिम - केदारावाला -30% हिंदू – 70% मुस्लिम
2011 – 55% हिंदू – 45% मुस्लिम - कुंजाग्रांट-23% हिंदू -77% मुस्लिम
2011 – 30% हिंदू – 70% मुस्लिम - कुल्हाल – 15% हिंदू – 85% मुस्लिम
2011 – 20% हिंदू – 80% मुस्लिम - धर्मावाला -50% हिंदू – 50% मुस्लिम
2011 -70% हिंदू – 30% मुस्लिम - नवाबगढ़ -44% हिंदू – 56% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू – 40% मुस्लिम - जसोवाला – 55% हिंदू -45% मुस्लिम
2011 -65% हिंदू -35% मुस्लिम - माजरी -30% हिंदू -70% मुस्लिम
2011में – 65% हिंदू – 35% मुस्लिम - आम वाला(पौंधा)- 40% हिंदू- 60% मुस्लिम
2011 में – 45% हिंदू – 55% मुस्लिम - जाटों वाला -20% हिंदू – 80% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू – 40% मुस्लिम - बुलाकी वाला- 75% हिंदू – 25% मुस्लिम
2011- 88% हिंदू – 11% मुस्लिम - मेहूवाला खालसा-55% हिंदू – 45% मुस्लिम
2011 -75% हिंदू – 25 प्रतिशत मुस्लिम - जीवनगढ़ -50% हिंदू – 50% मुस्लिम
2011 में – 65% हिंदू – 35% मुस्लिम - जाटों वाला -20% हिंदू – 80% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू – 40% मुस्लिम - सभावाला-55% हिंदू -45% मुस्लिम
2011 -75 % हिंदू – 25% मुस्लिम - कल्याणपुर/ हसनपुर- 15% हिंदू – 85% मुस्लिम
2011 – 55% हिंदू – 45% मुस्लिम - शेरपुर- 70% हिंदू -30% मुस्लिम
2011 -75 % हिंदू – 25% मुस्लिम - सिंघनीवाला/शीशम बाड़ा- 50% हिंदू -50% मुस्लिम
2011 -55% हिंदू – 45% मुस्लिम - लक्ष्मीपुर -25% हिंदू -75% मुस्लिम
2011 – 30% हिंदू – 70% मुस्लिम - रामपुर कला – 5% हिंदू -95% मुस्लिम
2011 – 20% हिंदू -80% मुस्लिम - कुशालपुर – 4% तक हिंदू -96% मुस्लिम
2011 -10% हिंदू – 90% मुस्लिम - ढाकी -20% हिंदू -80% मुस्लिम
2011 -30% हिंदू -70% मुस्लिम - सहसपुर -38% हिंदू -62% मुस्लिम
2011 -50% हिंदू – 50% मुस्लिम - शंकरपुर -35% हिंदू -65% मुस्लिम
2011 – 40% हिंदू – 60% मुस्लिम
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