Dehradun
सीएम धामी के गुड गर्वनेंस मॉडल को साकार कर रही सीएम हेल्पलाइन 1905 सेवा, 61 प्रतिशत शिकायतों का हुआ निस्तारण।

क्यों नज़ीर बन रहा धामी का गुड गवर्नेंस मॉडल ??
माइक्रो लेवल मैनेजमेंट से तय लक्ष्यौं को कर रहे साकार।
धामी के गुड गर्वनेंस मॉडल को साकार कर रही सीएम हेल्पलाइन 1905 सेवा।
61 प्रतिशत शिकायतों का हुआ निस्तारण।
देहरादून – गत 02 वर्षो में सीएम धामी का माइक्रो लेवल मैनेजमेंट मॉडल न केवल राज्य की जनता के बीच वरन अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बना है। जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर शिकायतों और समस्याओं के निवारण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता ने उन्हें एक जननेता के रूप में उभारा है। सीएम धामी का सरलीकरण, समाधान, निस्तारण व संतुष्टि का मंत्र शुरुआत में केवल शिगूफा महसूस किया जा रहा था परंतु पिछले वर्षों में इस पर उनके द्वारा की गई कार्यवाही से उनकी प्रतिबद्धता परिलक्षित हुई है। सरलीकरण, समाधान, निस्तारण व संतुष्टि का मंत्र और उसको अमली जामा पहना कर जनसेवा के मार्ग को प्रशस्त करना धामी की एक बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।
तय जवाबदेही।
मुख्यमंत्री धामी अधिकारियों को भी अपने मिशन और विजन के साथ बखूबी जोड़ने में अभी तक कामयाब साबित हुए हैं, सचिवालय में हो रही ताबड़तोड़ बैठकें और अधिकारियों से सीधा संवाद विशेषकर सचिवालय से लेकर निदेशालय और जनपद से लेकर ब्लॉक तक के अधिकारियों को एक साथ जोड़ना और सभी की जवाबदेही तय करना सीएम धामी के धाकड़ प्रशासक की छवि को उभारने का कार्य कर रहा है।
जनता और नौकरशाही के बीच बने सेतु।
सचिवालय में हो रही बैठकों में सीधा शिकायतकर्ताओं और लाभार्थियों से संवाद करना हो या फिर अधिकारियों को इसी दौरान निर्देशित करना हो, यह धामी की समयबद्धता और जनसमस्याओं के प्रति सरकार की जिम्मेदारी की समझ को प्रदर्शित करता है। अधिकारियों के लिए टारगेट सेट करना और विभागों के पास आ रही शिकायतों को अपने स्तर पर शीध्र समाधान देना धामी सरकार के गुड गवर्नेंस का प्रमाण है।
उत्तराखंड में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन 1905 सेवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गुड गवर्नेंस मॉडल को साकार करती नजर आ रही है।
समस्याओं का घर बैठे ही समाधान हो सके, लोगों को विभागों के चक्कर न काटने पड़ें, इसके लिए मुख्यमंत्री धामी स्वयं इसकी मॉनिटरिंग भी करते रहते हैं।
धामी के मॉडल का ही असर है कि जनवरी 2024 में हेल्पलाइन में दर्ज कुल 95573 शिकायतों में से 61 प्रतिशत का निस्तारण हो चुका है। बीते सोमवार को मुख्यमंत्री धामी ने हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों की मॉनिटरिंग के दौरान फरियादियों से वार्ता कर उनका फीडबैक भी लिया। इससे पहले भी कई बार धामी हेल्पलाइन में शिकायतें दर्ज कराने वाले लोगों को फोन कर उनका फीडबैक ले चुके हैं, इससे जनता में धामी के इस मॉडल के प्रति विश्वास सुदृढ़ हुआ है।
मुख्यमंत्री का साफ कहना है कि शासन-प्रशासन की जवाबदेही जनता के प्रति होनी चाहिए। अधिकारी शिकायतकर्ताओं के प्रति सेवा भाव से कार्य करें एवं उनकी समस्याओं को बेवजह लंबित न रखें।
गुड गर्वनेंस से सरकार की आय में हो रही वृद्धि।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के नारे को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुड गवर्नेंस मॉडल आत्मसात करता नजर आ रहा है। सुशासन की दृष्टि से दिया गया यह मॉडल लोगों को खासा पंसद आ रहा है। इससे न सिर्फ जनता की समस्याओं का सरलीकरण, समाधान और निस्तारण हो रहा है बल्कि प्रदेश सरकार की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है।
यह धामी के गुड गवर्नेंस मॉडल का ही असर है कि इस साल परिवहन निगम ने घाटे से बाहर निकल अधिक मुनाफा कमाया। यूकाडा ने भी केदारनाथ धाम के लिए शुरू हुई हेलीकॉप्टर बुकिंग से एक साल में 49 करोड़ की आय प्राप्त की। पिछले 15 सालों में यह सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने के संकल्प पर भी सरकार तेजी से काम कर रही है। इससे लोगों को जागरूक करने के साथ ही नशा तस्करों पर भी नकेल कसी जा रही है।
गुड गवर्नेंस मॉडल की सबसे अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री धामी खुद कार्यों की मॉनिटरिंग करते रहते हैं। जिसका असर विभागों की कार्यशैली में साफ नजर आ रहा है। कई बार धामी खुले मंचों से इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि हमारी सरकार का प्रयास समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास को पहुंचाना हैं। इस मॉडल की मूल अवधारणा में प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, सामाजिक न्याय, सहयोगी शासन, और नागरिकों के साथ संवेदनशीलता को बढ़ावा देना शामिल है।
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सीएम धामी का पूर्व सैनिकों संग संवाद, 2047 के उत्तराखंड के लिए मांगे सुझाव

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून में आयोजित ‘विकसित उत्तराखंड @2047 सामूहिक संवाद’ कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों के साथ संवाद किया। यह आयोजन प्रदेश के भावी विकास के रोडमैप के तहत पूर्व सैनिकों के अनुभव और सुझावों को शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों का सदैव सम्मान देने की भावना दोहराते हुए कहा कि वे स्वयं एक सैनिक पुत्र हैं और सैनिकों का जीवन, अनुशासन और राष्ट्र के प्रति समर्पण उन्होंने घर से ही सीखा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे सैन्य परंपरा वाले राज्य के विकास में पूर्व सैनिकों की भागीदारी अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने सैनिकों और उनके परिजनों के हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। इसमें अनुग्रह राशि में अभूतपूर्व वृद्धि सहित कई योजनाएं शामिल हैं, जिनसे राज्य के हजारों सैनिक परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों की पेंशन, पुनर्वास, स्वास्थ्य सेवाओं और बच्चों की शिक्षा को लेकर लगातार नीति आधारित निर्णय लिए जा रहे हैं, जिससे उनका जीवन अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक बन सके।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पूर्व सैनिकों से सीधा संवाद किया और उनके विचारों को गंभीरता से सुना। उन्होंने कहा कि ‘विकसित उत्तराखंड @2047’ एक ऐसा साझा सपना है, जिसमें हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है, और सैनिकों की दृष्टि से प्राप्त सुझाव राज्य की नीतियों को और अधिक मजबूत आधार देंगे।
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप उत्तराखंड 2047 तक एक सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। इसके लिए सरकार हर स्तर पर संवाद स्थापित कर रही है…युवाओं से लेकर पूर्व सैनिकों तक।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में शिक्षाविद् व चिन्तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी एक कुशल राजनीतिज्ञ, विद्वान और स्पष्टवादी नेता थे। राष्ट्र निर्माण में उनका अमूल्य योगदान अविस्मरणीय है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार हमें सदैव राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
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अब बिना रजिस्ट्रेशन मसूरी में नहीं मिल पाएगी एंट्री, सरकार का नया नियम लागू

मसूरी (उत्तराखंड): अगर आप इस सीजन में मसूरी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो अब आपको एक जरूरी सरकारी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। उत्तराखंड सरकार ने मसूरी के लिए टूरिस्ट रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू कर दिया है…जिसके तहत यहां आने वाले हर पर्यटक को अपनी जानकारी पहले से पोर्टल पर दर्ज करानी होगी।
यह फैसला पर्यटन सीजन में होने वाले भारी ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था से निपटने के लिए लिया गया है। हर वीकेंड पर मसूरी में लगने वाला जाम न केवल पर्यटकों…बल्कि स्थानीय प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती बनता रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) ने यह कदम उठाया है।
सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल पर पर्यटकों को अपना नाम, मोबाइल नंबर, वाहन संख्या, पता, और मसूरी में कितने दिन रुकना है इसकी जानकारी देनी होगी। इससे प्रशासन को पता रहेगा कि शहर में एक समय में कितने पर्यटक मौजूद हैं…और जरूरत पड़ने पर उनकी मदद कैसे की जा सकती है।
वीकेंड और छुट्टियों पर भारी ट्रैफिक की वजह से स्थानीय लोगों और टूरिस्टों को भारी परेशानी होती है। किसी आपात स्थिति…जैसे मौसम बिगड़ना या रास्ते बंद होना में टूरिस्टों का डेटा प्रशासन को मदद पहुंचाने में मदद करेगा। पर्यटन का अनुभव बेहतर हो सके, इसके लिए यह कदम जरूरी माना जा रहा है। स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही इस फैसले को सरकार की एक सकारात्मक पहल मान रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद किसी को रोकना नहीं बल्कि व्यवस्था को बेहतर बनाना है। हालांकि यह रजिस्ट्रेशन सिस्टम अभी सिर्फ मसूरी में शुरू हुआ है…लेकिन जिस तरह की भीड़ ऋषिकेश, नैनीताल और अन्य हिल स्टेशनों पर देखने को मिलती है आने वाले समय में वहां भी ऐसी व्यवस्था लागू की जा सकती है।
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