Dehradun
ग्रामीण महिलाओं को धामी सरकार का बड़ा तोहफा, जलसखी योजना से मिलेगा नया रोजगार

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर 2022 में शुरु लखपति दीदी योजना के तहत अब तक, उत्तराखंड में 1.63 लाख महिलाओं की सालाना आय एक लाख के पार पहुंचाई जा चुकी है। अपने पांचवें वर्ष में सरकार अब ग्रामीण महिलाओं की आजीविका में वृद्धि के लिए एक और गेमचेंजर योजना, जलसखी लेकर आ रही है। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति के साथ ही बिलिंग का काम महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपने की तैयारी है।
उत्तराखंड में हर घर नल योजना अब अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गई है। इसी के साथ पेयजल विभाग अब योजना के तहत जलापूर्ति की व्यवस्था बनाने जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नए कनेक्शन देने, बिल वितरण- सुधार, बिल वसूली और योजनाओं के रख रखाव का काम आउटसोर्स के आधार पर महिला स्वयं सहायता समूहों को दिए जाने की तैयारी है। साथ ही विभाग महिला समूहों को पेयजल गुणवत्ता जांचने के लिए किट्स भी उपलब्ध कराएगा। महिला स्वयं सहायता समूह पेयजल योजना में आने वाली खराबी की रिपोर्ट भी विभाग को देंगी। इसके लिए चयनित समूहों को नल जल मित्र के तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरु की जा रही इस योजना में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रति बिल 10 रुपए का प्रोत्साहन दिए जाने के साथ ही, उन्हें राजस्व में भी निश्चित अंश मिलेगा। इस तरह ग्रामीण महिलाओं को अपने घर में ही अतिरिक्त रोजगार मिल सकेगा।
लखपति दीदी योजना
लखपति दीदी योजना की शुरुआत 2022 में की गई। योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 5 लाख 7 हजार महिला की सालाना आय एक लाख के पार पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए इन महिलाओं को कृषि- उद्यान, दुग्ध उत्पादन, सिलाई कढ़ाई के साथ ही रसोई गैस वितरण, प्रारंभिक पशु चिकित्सा सेवा, बीमा योजना, डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण देकर आजीविका से जोड़ा जा रहा है। योजना के तीन वर्ष के भीतर ही 1.63 लाख महिलाएं लखपति बन चुकी हैं। योजना के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए, सरकार अब मौजूदा वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक कुल तीन लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है।
मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना
धामी सरकार ने महिला समूहों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए, साल अगस्त 2023 से मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना भी लागू की है। वर्तमान में प्रदेश की करीब 30 हजार से अधिक महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं। योजना के तहत अब तक महिला समूह कुल 4 करोड़ 93 लाख 36 हजार रुपए का कारोबार कर चुके हैं। योजना का लक्ष्य महिला समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराना है।
हाउस ऑफ हिमालयाज
उत्तराखंड के पारंपरिक हस्तशिल्प, बुनकर उत्पाद, जैविक कृषि सामग्री और जड़ी-बूटियों को बाज़ार उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा सरकार ने दिसंबर 2023 में हाउस ऑफ हिमालयाज” (House of Himalayas) नाम से एकीकृत ब्रांड लांच किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस ब्रांड की लॉन्चिंग के बाद से देश-विदेश तक इस ब्रांड की पहुंच संभव हुई है। इसमें कुल 36 उत्पाद शामिल हैं, जिसमें से 12 अब तक जी आई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग) में शामिल हो चुके है। इससे न केवल उनकी प्रामाणिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है, बल्कि उपभोक्ताओं को यह जानकारी भी मिलती है कि यह उत्पाद उत्तराखंड के किस जिले से संबंधित है। वर्तमान में राज्य के एयरपोर्ट, हैलीपैड, प्रमुख होटलों में हाउस ऑफ हिमायलाज के 11 स्टॉल स्थापित किए जा चुके हैं। साथ ही विभिन्न ई कॉमर्स साइट से भी इन उत्पादों की बिक्री हो रही है।
सरकार महिलाओं को हर तरह से सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को कई तरह की आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में पेयजल आपूर्ति में भी महिला समूहों की भागीदारी बढाने का प्रयास किया जा रहा है। यह योजना महिलाओं की आर्थिकी सुधारने के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है।
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Harela parv: 7 लाख पेड़! उत्तराखंड के हरेला पर्व ने रचा रिकॉर्ड, जानिए कैसे ?

देहरादून (Harela parv): उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा और प्रकृति से गहरा जुड़ाव रखने वाला हरेला पर्व अब सिर्फ परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक व्यापक जनआंदोलन बन चुका है। इस साल हरेला पर पूरे उत्तराखंड में कुछ ऐसा हुआ….जिसने इतिहास रच दिया और हर व्यक्ति को हरियाली के प्रति अपने दायित्व की याद दिला दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू हुए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई ऊँचाइयों पर पहुँचाते हुए इसे “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” जैसे गहरे और संवेदनशील संदेश से जोड़ा।
देहरादून में खुद पौधारोपण कर मुख्यमंत्री ने इस मुहिम की शुरुआत की। खास बात यह रही कि इसे केवल सरकारी कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि हर गाँव, शहर, स्कूल और मोहल्ले को इस हरित महोत्सव का हिस्सा बनाया गया। प्रदेश के सभी 13 जिलों में हजारों जगहों पर एक साथ पौधे लगाए गए।
7 लाख से ज्यादा पौधे लगाए
आंकड़ों की मानें तो इस अभियान के तहत अब तक पूरे उत्तराखंड में 7 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं। यह किसी एक पर्व पर उत्तराखंड में हुआ सबसे बड़ा पौधारोपण अभियान बन गया है। लेकिन इस पहल की सबसे बड़ी ताकत सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि उसमें छुपी आस्था, ज़िम्मेदारी और लोगों की भागीदारी में है।
जन-जन की भागीदारी से बना उत्सव
हरेला पर्व के इस विशेष अभियान में वन विभाग, जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, महिला समूह और युवाओं ने खुलकर हिस्सा लिया। हर हाथ में कुदाल और हर दिल में हरियाली के सपने के साथ लोगों ने पौधे लगाए, और इस पर्व को सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प में बदल दिया।
हरियाली, उम्मीद और आस्था का प्रतीक
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हरेला अब केवल सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रदेशवासियों की सामूहिक चेतना का उत्सव बन चुका है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि राज्य सरकार विकास और आस्था, दोनों के बीच संतुलन बनाकर चल रही है और पर्यावरण संरक्षण उसकी प्राथमिक नीतियों में शामिल है।
जो पौधे आज लगाए जा रहे हैं…वे सिर्फ पेड़ नहीं हैं, बल्कि आने वाले कल के लिए हरियाली, उम्मीद और सतत विकास के बीज भी हैं। यही बीज एक हरित, स्वच्छ और संवेदनशील उत्तराखंड की नींव रखेंगे, जहाँ प्रकृति के साथ सच्चा प्रेम ही असली विकास का रास्ता दिखाता है
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उत्तराखंड तकनीकी विवि की नई कुलपति बनीं Dr. Tripta Thakur, जानिए प्रोफाइल

देहरादून: उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय को नई कुलपति मिल गई हैं। राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने डॉ. तृप्ता ठाकुर (Dr. Tripta Thakur) को कुलपति नियुक्त किया है।
डॉ. ठाकुर इस समय राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान (एनपीटीआई), फरीदाबाद में महानिदेशक के पद पर कार्यरत थीं। अब वह उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का नेतृत्व करेंगी।
उनकी नियुक्ति उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2005 की धारा‑9 के अंतर्गत की गई है। डॉ. तृप्ता ठाकुर का कार्यकाल तीन वर्ष या आगामी आदेश तक मान्य रहेगा।
राजभवन, उत्तराखंड से इस संबंध में आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया गया है। विश्वविद्यालय परिवार और शिक्षाविदों में इस नियुक्ति को लेकर सकारात्मक माहौल है…और सभी को नई कुलपति से नई ऊर्जा और दिशा की उम्मीद है।
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Government Employee Rules: जमीन या टीवी खरीदने से पहले अफसर को देनी होगी खबर! नया फरमान जारी

देहरादून: Government Employee Rules उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए अब ज़मीन खरीदने या 5000 रुपये से अधिक की कोई भी बड़ी ख़रीदारी करने से पहले अपने विभागाध्यक्ष को जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की ओर से इस बारे में सभी प्रमुख सचिव, सचिव, मंडलायुक्त, विभागाध्यक्ष और जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2022 के सख़्त पालन के निर्देश दिए गए हैं।
इसके तहत, कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने नाम या परिवार के नाम से ज़मीन तभी खरीद सकेगा, जब वह पहले अपने अधिकारी को इसकी जानकारी देगा। यही नहीं, अगर कोई सरकारी कर्मचारी टीवी, फ्रिज, एसी या अन्य चल संपत्ति खरीदना चाहता है, जिसकी क़ीमत उसके एक महीने के वेतन या 5000 रुपये (जो भी कम हो) से ज़्यादा है, तो इसके लिए भी उसे पहले अपने अफसर को सूचित करना होगा।
हर पांच साल में देनी होगी संपत्ति की जानकारी
नियमावली के मुताबिक, हर सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति के समय और फिर हर पांच साल में अपनी अचल संपत्ति का पूरा ब्योरा देना होगा। अगर विभाग चाहे, तो कर्मचारी से किसी भी समय उसकी चल और अचल संपत्ति का विवरण माँगा जा सकता है। इस विवरण में यह भी साफ़ करना होगा कि संपत्ति किस तरह अर्जित की गई है।
मुख्य सचिव ने साफ़ कर दिया है कि अगर कोई कर्मचारी बिना सूचना के इस तरह की संपत्ति खरीदता है, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और उस पर कार्रवाई हो सकती है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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