Dehradun
जंगलों में नहीं भड़केगी आग, कंट्रोल फायर की जगह गड्ढों में सहेजी जाएंगी पत्तियां…..

देहरादून: उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन शुरू होने से पहले वन विभाग ने पारंपरिक कंट्रोल फायर प्रैक्टिस को बदलने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। अब जंगलों में सूखी पत्तियों को जलाने की बजाय गड्ढों में डालकर जैविक खाद में बदलने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण में कमी आएगी बल्कि जंगलों में लगने वाली आग की संभावनाएं भी कम होंगी।
क्या है कंट्रोल फायर, और क्यों बन रही है ये समस्या?
अब तक वन विभाग जंगलों से सूखी पत्तियां और ईंधन सामग्री हटाने के लिए कंट्रोल फायर की प्रक्रिया अपनाता रहा है। इस प्रक्रिया में पत्तियों को एकत्र कर आग लगाई जाती थी ताकि जंगलों में स्वतः आग लगने की संभावना को रोका जा सके। लेकिन इस प्रक्रिया से भारी वायु प्रदूषण फैलता है और कई बार यही नियंत्रित आग, बेकाबू होकर बड़ी आग का कारण बन जाती है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार, “बेशक गड्ढों में पत्तियों को डालने की प्रक्रिया अधिक बेहतर है और हम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। हालांकि चीड़ बहुल क्षेत्रों में इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन इसे लेकर रणनीति बनाई जा रही है।“
नई रणनीति: गड्ढों में पत्तियों को डालकर बनाएंगे जैविक खाद
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सलाह पर वन विभाग अब कंट्रोल फायर की जगह पत्तियों को गड्ढों में डालने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहा है। यह तरीका न सिर्फ प्रदूषण को रोकेगा, बल्कि इन पत्तियों से प्राकृतिक खाद भी तैयार होगी, जिससे वन क्षेत्र की जैव विविधता को भी लाभ पहुंचेगा।
एपीसीसीएफ वनाग्नि, निशांत वर्मा ने बताया, “प्रदेश के कुछ डिवीजनों में यह व्यवस्था लागू की जा चुकी है। शुरुआत में संवेदनशील क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह कार्य होगा और फिर पूरे राज्य में इसे लागू किया जाएगा।“
पर्यावरण के लिए राहत
इस पहल से पंजाब में पराली जलाने जैसी समस्याओं से मिलती-जुलती कंट्रोल फायर प्रक्रिया को धीरे-धीरे खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। अब जंगलों में सूखी पत्तियों को जलाने के बजाय उन्हें प्राकृतिक तरीके से नष्ट करने और उपयोग में लाने की योजना बनाई गई है।
वन्यजीवों को भी मिलेगा फायदा
कंट्रोल फायर से होने वाले धुएं और गर्मी से वन्यजीवों पर भी प्रभाव पड़ता था। नई व्यवस्था से उनके आवासों को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। साथ ही जंगलों में बिना वजह की आग लगने की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है।
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Breakingnews
उत्तराखंड से बड़ी खबर: कोर्ट के अग्रिम आदेश तक नहीं होंगे पंचायत चुनाव, निर्वाचन आयोग ने सभी कार्यवाही पर लगाई रोक !

देहरादून: राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट के अग्रिम आदेश तक राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों के नामांकन और आगे की कार्यवाही को स्थगित किया।
प्रदेश से आदर्श आचार संहिता खत्म।
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने जारी किया आदेश।
कोर्ट के अग्रिम आदेशों तक नहीं होगी पंचायत चुनाव की कोई कार्यवाही।
राज्य निर्वाचन आयोग ने तीन रोज पहले जारी किया था पंचायत चुनाव का शेड्यूल।
हाई कोर्ट की रोक के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला।
कल 25 तारीख से होने थे नामांकन।
Dehradun
अब नहीं लगानी पड़ेगी लाइन, QR कोड से मिनटों में भरें पानी का बिल

देहरादून: प्रदेशभर के जल उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है। उत्तराखंड जल संस्थान ने पानी के बिल भरने की प्रक्रिया को और सरल बनाते हुए क्यूआर कोड आधारित भुगतान सुविधा शुरू कर दी है। इस नई व्यवस्था के तहत अब प्रदेश के करीब 30 लाख जल संयोजन धारक अपने बिलों का भुगतान मोबाइल से सीधे क्यूआर कोड स्कैन कर के कर सकेंगे।
जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक डीके सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अब उपभोक्ताओं को पानी का बिल जमा करने के लिए लंबी कतारों में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। वे घर बैठे डिजिटल पेमेंट, नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड या क्यूआर कोड से भुगतान कर सकते हैं। यह सुविधा सभी जिलों में लागू कर दी गई है।
जल संस्थान के बिलिंग काउंटरों पर एटीएम कार्ड स्कैन मशीन भी लगाई गई हैं….ताकि ऑफलाइन भुगतान भी आसान बनाया जा सके। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य है कि उपभोक्ताओं को समय से बिल भरने के लिए अधिकतम सुविधा मिल सके।
हालांकि शुरुआत में कुछ उपभोक्ताओं ने शिकायत की कि कुछ बिलों पर क्यूआर कोड सही ढंग से प्रिंट नहीं हुआ है….जिससे स्कैन करने में दिक्कत आ रही है। जल संस्थान के इंजीनियरों का कहना है कि यह तकनीकी दिक्कत शुरुआती चरण में आती है और जल्द ही इसे पूरी तरह ठीक कर लिया जाएगा।
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Dehradun
मुख्यमंत्री धामी ने वाराणसी में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उत्तराखंड के अहम मुद्दे उठाए

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को वाराणसी में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक में प्रतिभाग किया। बैठक में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं मंत्रीगण उपस्थित थे।
मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगा उत्तराखण्ड राज्य सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके दृष्टिगत राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, संचार, सुरक्षा एवं रसद आपूर्ति की समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है। उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री से आग्रह किया कि सीमा सड़क संगठन के माध्यम से उत्तराखण्ड को और अधिक सहायता प्रदान की जाए। वाईब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के सीमावर्ती गाँवों में सुविधाओं का विकास किया जाए जिससे वहां हो रहे पलायन को रोकने में सहायता मिल सके। उन्होंने सीमांत क्षेत्रों में संचार सुविधाओं के विकास के लिए भारत नेट योजना, 4-जी विस्तार परियोजना तथा उपग्रह आधारित संचार सेवाएं प्रारंभ करने का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने बैठक में उत्तराखंड राज्य के हित में केंद्र सरकार से कुछ नीतिगत प्रावधानों में शिथिलता प्रदान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना के केंद्रीय अनुदान का आवंटन एकमुश्त किये जाने, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के कुशल संचालन हेतु अतिरिक्त सहयोग प्रदान करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन के लिए राज्य में एक उच्चस्तरीय ग्लेशियर अध्ययन केंद्र की स्थापना किये जाने और जैव विविधता संरक्षण संस्था की स्थापना के लिए भी केंद्र से तकनीकी सहयोग की मांग की। मुख्यमंत्री ने राज्य में साहसिक पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय साहसिक खेल प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए सहयोग मांगा। उन्होंने उत्तराखण्ड में वर्ष 2026 में नंदा राजजात यात्रा और 2027 में कुम्भ मेले के सफल एवं भव्य आयोजन हेतु केंद्र सरकार से आवश्यक सहयोग प्रदान करने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 80 प्रतिशत पर्वतीय भू-भाग वाले उत्तराखण्ड राज्य का 71 प्रतिशत क्षेत्र वनों से आच्छादित है। राज्य की जटिल भौगोलिक परिस्थिति तथा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य की आर्थिक गतिविधियाँ सीमित हैं। इन प्रतिकूल परिस्थितियों एवं सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य की अर्थव्यवस्था में लगभग डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 में नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी रैंकिंग में उत्तराखण्ड ने प्रथम स्थान प्राप्त करने के साथ ही इस वर्ष जारी केयर एज रेटिंग रिपोर्ट में सुशासन एवं वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में छोटे राज्यों की श्रेणी में भी उत्तराखण्ड को दूसरा स्थान मिला है। राज्य में समान नागरिक संहिता, सख्त नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून, दंगारोधी कानून, भू-कानून बनाकर उत्तराखण्ड को समरस एवं सुरक्षित राज्य बनाने हेतु कार्य किये जा रहे हैं। वोकल फॉर लोकल, विरासत एवं संस्कृति, शिक्षा एवं कौशल, सहभागिता तथा आत्मनिर्भरता के सूत्रों को आत्मसात करते हुए प्रदेश के लगभग तीन लाख से अधिक युवाओं को स्वरोजगार के विभिन्न माध्यमों से जोड़ने की महत्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की गई है। उत्तराखंड को आयुष तथा वेलनेस हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य में देश की पहली ’’योग नीति’’ का शुभारंभ भी किया गया है। राज्य में आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा, योग और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दो स्पिरिचुअल इकोनॉमिक ज़ोन की स्थापना करने का निर्णय भी लिया गया है। इन प्रयासों और राज्य सरकार की प्रतिबद्धताओं को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारने में केन्द्र सरकार द्वारा भरपूर समर्थन और सहयोग मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद की विगत वर्षों की बैठकों में अनेकों महत्वपूर्ण नीतिगत एवं अंतर्राज्यीय विषयों के समाधान का मार्ग प्रशस्त हुआ है। देश में सहकारिता, सुरक्षा और क्षेत्रीय समन्वय के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व और गृह मंत्री के प्रयासों से भारत आंतरिक रूप से कहीं अधिक सुरक्षित, संगठित और आत्मविश्वास से परिपूर्ण होकर विकसित एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हुआ है।
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