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छात्रों के लिए बड़ी खबर! Heic Bill 2025 को हरी झंडी,उच्च शिक्षा में होगा सबसे बड़ा बदलाव…

Heic Bill 2025 को कैबिनेट की मंजूरी, उच्च शिक्षा में आएगा बड़ा नियामक बदलाव
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार की दिशा में अहम कदम उठाते हुए Heic Bill 2025 को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक देश में एक सिंगल हायर एजुकेशन रेगुलेटर की व्यवस्था लागू करेगा, जो मौजूदा कई नियामक संस्थाओं की भूमिका संभालेगा। सरकार का मानना है कि इससे उच्च शिक्षा प्रणाली अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनेगी।
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क्या है Heic Bill 2025?
Heic Bill 2025 का उद्देश्य मौजूदा कानूनी ढांचे में सुधार करना और कुछ पुराने नियमों को नए समय की जरूरतों के अनुसार अपडेट करना है। इस बिल के तहत:
- प्रशासनिक निर्णयों में डिजिटल रिकॉर्ड को प्राथमिकता
- जवाबदेही तय करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश
- सरकारी संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर
सरकार का कहना है कि यह विधेयक “Ease of Governance” को बढ़ावा देगा।
UGC, AICTE और NCTE की जगह लेगा नया नियामक
Heic Bill 2025 के लागू होने के बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC), ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) का मौजूदा ढांचा समाप्त हो जाएगा।
फिलहाल UGC गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा, AICTE तकनीकी शिक्षा और NCTE शिक्षक शिक्षा से जुड़े संस्थानों की निगरानी करता है। नए बिल के तहत इन सभी जिम्मेदारियों को एक ही केंद्रीय निकाय के अंतर्गत लाया जाएगा।
NEP 2020 में रखी गई थी Heic Bill 2025 की नींव
असल में Heic Bill 2025 की अवधारणा नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में सामने आई थी। उस समय इसे हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बिल के नाम से प्रस्तावित किया गया था, लेकिन अब सरकार ने इसे नया स्वरूप देते हुए Viksit Bharat Shiksha Adhikshan Bill, यानी Heic Bill 2025, के रूप में आगे बढ़ाया है।
NEP 2020 में साफ तौर पर कहा गया था कि उच्च शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए एकल नियामक व्यवस्था जरूरी है और मौजूदा बिखरे हुए ढांचे में सुधार होना चाहिए।
नए नियामक की मुख्य जिम्मेदारियां क्या होंगी?
सरकारी जानकारी के अनुसार Heic Bill 2025 के तहत बनने वाले नियामक निकाय की तीन प्रमुख भूमिकाएं होंगी:
- उच्च शिक्षा संस्थानों का नियमन
- संस्थानों की मान्यता (Accreditation)
- शैक्षणिक और व्यावसायिक मानकों का निर्धारण
हालांकि, फंडिंग से जुड़ा कोई अधिकार इस निकाय को नहीं दिया जाएगा। वित्तीय सहायता और बजट से जुड़े फैसले प्रशासनिक मंत्रालय के अधीन ही रहेंगे।
मेडिकल और लॉ कॉलेज रहेंगे दायरे से बाहर
Heic Bill 2025 के अंतर्गत मेडिकल और लॉ कॉलेजों को शामिल नहीं किया गया है। इन पेशेवर पाठ्यक्रमों की निगरानी पहले की तरह अलग-अलग नियामक संस्थाओं द्वारा ही की जाती रहेगी। सरकार का तर्क है कि इन क्षेत्रों की प्रकृति अलग होने के कारण उनके लिए विशेष नियामक व्यवस्था जरूरी है।
2021 से चल रही थी तैयारी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कार्यभार संभालने के बाद जुलाई 2021 से ही शिक्षा मंत्रालय ने HECI को लागू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया था। अब Heic Bill 2025 के रूप में यह प्रयास अंतिम रूप लेता दिख रहा है।
उच्च शिक्षा व्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि Heic Bill 2025 लागू होने से:
- नियामक प्रक्रियाएं सरल होंगी
- संस्थानों पर दोहरे या तिहरे नियंत्रण का बोझ कम होगा
- गुणवत्ता और मानकों पर अधिक स्पष्ट फोकस रहेगा
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव को ज़मीन पर प्रभावी बनाने के लिए मजबूत क्रियान्वयन जरूरी होगा।
आम जनता पर क्या पड़ेगा असर?
नीति विशेषज्ञों के मुताबिक:
- सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ सकती है
- दस्तावेज़ी प्रक्रियाएं तेज और डिजिटल होंगी
- लेकिन कुछ मामलों में नागरिकों को नई प्रक्रियाओं को समझने में समय लग सकता है
यानी लाभ के साथ-साथ बदलाव की चुनौती भी होगी।
निष्कर्ष
Heic Bill 2025 को भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में एक बड़े सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। जहां सरकार इसे शिक्षा क्षेत्र को नई दिशा देने वाला कदम बता रही है, वहीं इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि नया नियामक ढांचा कितनी पारदर्शिता और संतुलन के साथ काम करता है। आने वाले समय में यह बिल भारतीय शिक्षा व्यवस्था की दिशा और दशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
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FAQs
Heic Bill 2025 क्या है?
Heic Bill एक नया केंद्रीय विधेयक है, जिसके तहत भारत में उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल नियामक निकाय बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।
Heic Bill किन संस्थाओं की जगह लेगा?
इस बिल के लागू होने के बाद UGC, AICTE और NCTE की मौजूदा नियामक भूमिकाएं समाप्त हो जाएंगी और उनकी जिम्मेदारियां नए केंद्रीय निकाय को सौंप दी जाएंगी।
क्या Heic Bill 2025 NEP 2020 से जुड़ा है?
हां, Heic Bill की परिकल्पना नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में की गई थी। पहले इसे HECI Bill कहा जाता था, जिसे अब नए नाम से पेश किया गया है।
Heic Bill से छात्रों को क्या लाभ मिलेगा?
छात्रों को अधिक पारदर्शी नियम, बेहतर शैक्षणिक मानक और कम जटिल नियामक प्रक्रियाओं का लाभ मिलने की उम्मीद है।
Heic Bill कब लागू हो सकता है?
बिल को संसद से मंजूरी मिलने के बाद इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने की संभावना है। इसकी समयसीमा सरकार द्वारा तय की जाएगी।
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UNESCO heritage सूची में शामिल हुआ दिवाली का त्यौहार, अब तक केवल 20 त्यौहारों को मिला है स्थान

Diwali in UNESCO Heritage : खुशियों के त्यौहार दिवाली को यूनेस्को की सूची में शामिल कर लिया गया है। Diwali का पर्व अब आधिकारिक रूप से यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल हो गया है।
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UNESCO की हेरिटेज सूची में शामिल हुई दिवाली (Diwali in UNESCO Heritage)
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची यानी कि UNESCO Heritage List में दिवाली ने अपनी जगह बना ही ली है। साल 2025 की सूची के साथ ये घोषणा की गई है। जिसके बाद से पूरे देश में खुशी का माहौल है। आपको बता दें कि इस सूची में दुनिया की केवल 20 धरोहरों को जगह मिली है।

UNESCO Heritage List क्या है ?
UNESCO का मुख्य उद्देश्य दुनिया की अनमोल धरोहरों की पहचान कर उनकी सुरक्षा करना है। इसी के तहत World Heritage List बनाई गई है। जिसमें दो तरह की धरोहरें सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरें शामिल होती हैं। इसके साथ ही एक और श्रेणी इसके तहत आती है जो कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर है। इसके तहत त्योहार, परंपराएँ, नृत्य, संगीत, रिवाज़ आदि को संरक्षित किया जाता है।

क्या है यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर ?
अब आपको बताते हैं कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर क्या है जिसमें दिवाली को शामिल किया गया है। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर उन परंपराओं और रीति-रिवाज़ों को कहा जाता है जो किसी देश या समाज की संस्कृति का जीवंत हिस्सा होते हैं।
ये ऐसी धरोहरें हैं जिन्हें छुआ नहीं जा सकता, लेकिन लोग उन्हें अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में निभाते हैं। इसमें दुनियाभर के कई त्योहार, नृत्य, संगीत, लोकगीत, कहानियाँ आदि आते हैं। ये धरोहरें अपने समुदाय की पहचान होती हैं और इस वैश्वीकरण के दौर में भी अपनी पहचान बनाए हुए है।

यूनेस्को की सूची में शामिल भारत की धरोहरें
भारत की कई परंपराएँ जैसे रामलीला, गरबा, दुर्गा पूजा, योग, छाऊ नृत्य, कुंभ मेला, कालबेलिया नृत्य इस सूची में पहले से शामिल हैं। बता दें कि इसमें से प्रमुख नौरोज (2016), जंडियाला गुरु (पंजाब) के ठठेरों की धातु कला (2014), मणिपुर का संकीर्तन (2013), लद्दाख की बौद्ध मंत्रोच्चार परंपरा (2012), कुंभ मेला (2017), छऊ नृत्य, कालबेलिया नृत्य और मुदियेट्टू (2010), गढ़वाल का रम्माण पर्व (2009), तथा कुटियाट्टम संस्कृत थिएटर, रामलीला और वैदिक मंत्र (2008) और कोलकाता की दुर्गा पूजा (2021 शामिल हैं। इन धरोहरों को इस सूची में शामिल करने का मकसद है इन्हें पहचान देना, सुरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है।
Diwali in UNESCO Heritage – FAQs
1. दिवाली को किस सूची में शामिल किया गया है?
दिवाली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है।
2. दिवाली को कब UNESCO Heritage में शामिल किया गया?
साल 2025 की सूची में दिवाली को आधिकारिक रूप से शामिल किया गया है।
3. यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) क्या होती है?
यह उन परंपराओं, त्योहारों, नृत्य, संगीत, अनुष्ठानों और रिवाज़ों की सूची है जो किसी देश की जीवित संस्कृति का हिस्सा होती हैं। इन धरोहरों को छू नहीं सकते, लेकिन लोग इन्हें जीवन में निभाते हैं।
4. यूनेस्को Heritage List क्या है?
यूनेस्को की Heritage List दुनिया की अनमोल और महत्वपूर्ण धरोहरों—चाहे वे प्राकृतिक, सांस्कृतिक या अमूर्त हों—की पहचान और सुरक्षा के लिए बनाई गई वैश्विक सूची है।
5. दिवाली को UNESCO की सूची में शामिल करने का क्या महत्व है?
इससे दिवाली को वैश्विक मान्यता, सांस्कृतिक महत्व और विश्व स्तर पर सुरक्षा मिली है। साथ ही भारत की सांस्कृतिक छवि और मजबूत हुई है।
6. क्या UNESCO Heritage List में बहुत सारी धरोहरें शामिल होती हैं?
नहीं। 2025 की सूची में दुनिया की केवल 20 अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों को ही जगह मिली है।
7. भारत की और कौन-कौन सी परंपराएँ पहले से UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल हैं?
भारत की कई परंपराएँ पहले से शामिल हैं, जैसे:
- रामलीला
- वैदिक मंत्र
- कुटियाट्टम
- गरबा
- दुर्गा पूजा
- योग
- छऊ नृत्य
- कालबेलिया नृत्य
- मुदियेट्टू
- कुंभ मेला
- संकीर्तन (मणिपुर)
- लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार
- नौरोज़
- ठठेरों की धातु कला
- गढ़वाल का रम्माण पर्व
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छात्रों के लिए पीएम मोदी से सीधे बात करने का सुनहरा मौका , परीक्षा पे चर्चा 2026 के रजिस्ट्रेशन खुले, जानें पूरी प्रक्रिया…

Pariksha Pe Charcha Registration 2026
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय वार्षिक संवाद कार्यक्रम “परीक्षा पे चर्चा” का नौवां संस्करण आधिकारिक रूप से शुरू हो चुका है। Pariksha Pe Charcha Registration 2026 के लिए आवेदन प्रक्रिया अब खुल गई है और देश–विदेश के छात्र, शिक्षक और अभिभावक इसमें भाग ले सकते हैं। यह पहल परीक्षा से जुड़े तनाव को कम करने और सीखने की प्रक्रिया को एक उत्सव के रूप में देखने का संदेश देती है।
हर साल की तरह इस बार भी “परीक्षा पे चर्चा” का उद्देश्य केवल परीक्षा पर बात करना नहीं, बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, सकारात्मक सोच, अनुशासन और जीवन कौशल पर खुले संवाद को बढ़ावा देना है।
क्या है परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम?
परीक्षा पे चर्चा एक इंटरैक्टिव और प्रेरणादायक कार्यक्रम है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर के छात्रों, माता-पिता और शिक्षकों से सीधे संवाद करते हैं। इस कार्यक्रम में पढ़ाई के दबाव, परीक्षा के डर, समय प्रबंधन, आत्मविश्वास और भविष्य की तैयारी जैसे विषयों पर सरल और व्यावहारिक सुझाव दिए जाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कहते हैं कि परीक्षा को बोझ नहीं, बल्कि अपनी सीख दिखाने का अवसर समझना चाहिए। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए यह कार्यक्रम छात्रों को यह सिखाता है कि असफलता डरने वाली चीज नहीं, बल्कि सीखने का जरिया है।

Pariksha Pe Charcha Registration 2026: आवेदन कहां और कैसे करें?
Pariksha Pe Charcha Registration 2026 के लिए पंजीकरण MyGov Portal के जरिए किया जा रहा है। इच्छुक प्रतिभागी नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो कर आसानी से आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन की चरणबद्ध प्रक्रिया:
स्टेप 1:
सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं:
👉 innovateindia1.mygov.in
स्टेप 2:
होमपेज पर दिख रहे ‘Participate Now’ बटन पर क्लिक करें।
स्टेप 3:
यहां आप अपनी श्रेणी चुनें:
- Student (छात्र)
- Teacher (शिक्षक)
- Parent (अभिभावक)
स्टेप 4:
आवश्यक बुनियादी जानकारियां भरें और अपनी क्रिएटिव एंट्री सबमिट करें।
स्टेप 5:
सभी एक्टिविटी मॉड्यूल्स को पूरा करें।
स्टेप 6:
फॉर्म सबमिट करने के बाद उसे डाउनलोड करें और भविष्य के लिए सुरक्षित रखें।
कौन ले सकता है हिस्सा?
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए किसी विशेष बोर्ड की बाध्यता नहीं है।
- कक्षा 6 से 12 तक के छात्र
- सभी बोर्ड (CBSE, State Boards, KVs, Navodaya, Sainik Schools आदि)
- शिक्षक और अभिभावक भी आवेदन के पात्र
- भारत के साथ-साथ विदेशों में रह रहे भारतीय छात्र भी शामिल हो सकते हैं
जो भी प्रतिभागी सभी गतिविधियां पूरी करेगा, उसे Participation Certificate भी दिया जाएगा।

ऑनलाइन MCQ प्रतियोगिता भी है खास
प्रतिभागियों के चयन के लिए MyGov Portal पर एक ऑनलाइन MCQ आधारित प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।
- शुरुआत: 1 दिसंबर 2025
- अंतिम तिथि: 11 जनवरी 2026
इस प्रतियोगिता के जरिए छात्रों की सोच, समझ और नजरिए को परखा जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और डिजिटल है।
Pariksha Pe Charcha 2025 की झलकियां
पिछले साल यानी Pariksha Pe Charcha 2025 का आयोजन 10 फरवरी को नई दिल्ली के सुंदर नर्सरी में हुआ था। यह संस्करण अपने अनोखे और रचनात्मक फॉर्मेट की वजह से खास रहा।
- इसमें देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से 36 छात्रों ने हिस्सा लिया
- सरकारी स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल, नवोदय और CBSE स्कूलों के छात्र शामिल हुए
- PRERANA कार्यक्रम के पूर्व छात्र, काला उत्सव और वीर गाथा के विजेता भी मंच का हिस्सा बने
सात विशेष एपिसोड बने आकर्षण
2025 के संस्करण में “परीक्षा पे चर्चा” को और भी रोचक बनाने के लिए सात अलग-अलग विशेष एपिसोड शामिल किए गए थे। इनमें विषय थे:
- खेल और फिटनेस
- अनुशासन और आत्मनियंत्रण
- मानसिक स्वास्थ्य
- पोषण और संतुलित खान-पान
- रचनात्मकता और कला
- तकनीक और डिजिटल शिक्षा
- वित्तीय जागरूकता और सकारात्मक सोच
इन एपिसोड्स में देश की कई जानी-मानी हस्तियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का हिस्सा बना PPC
साल 2025 में परीक्षा पे चर्चा ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस कार्यक्रम में:
- 245 से अधिक देशों से छात्रों ने भाग लिया
- 153 देशों से शिक्षक जुड़े
- 149 देशों से अभिभावकों की भागीदारी रही
इसी वैश्विक सहभागिता के चलते PPC ने Guinness World Record भी अपने नाम किया, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े छात्र संवाद कार्यक्रमों में शामिल करता है।
क्यों जरूरी है परीक्षा पे चर्चा में भाग लेना?
आज के समय में परीक्षा का दबाव छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर बड़ा असर डालता है। परीक्षा पे चर्चा जैसे कार्यक्रम छात्रों को यह भरोसा देते हैं कि वे अकेले नहीं हैं।
इस प्लेटफॉर्म के जरिए:
- छात्र अपने डर खुलकर साझा कर सकते हैं
- माता-पिता बच्चों की भावनाओं को बेहतर समझते हैं
- शिक्षक, पढ़ाई के साथ जीवन मूल्यों पर भी फोकस करते हैं
निष्कर्ष
अगर आप या आपके घर में कोई छात्र परीक्षा की तैयारी कर रहा है, तो Pariksha Pe Charcha Registration 2026 एक बेहतरीन मौका है। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि छात्रों को सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास और जीवनभर काम आने वाली सीख देने की पहल है।
आज ही MyGov Portal पर जाकर आवेदन करें और परीक्षा को तनाव नहीं, सीखने के उत्सव के रूप में देखें।
यहां AEO (Answer Engine Optimization) के अनुसार तैयार किया गया FAQ सेक्शन दिया गया है, जो Google Search, Google Discover और AI Overviews के लिए उपयोगी रहेगा। आप इसे सीधे अपने आर्टिकल में इस्तेमाल कर सकते हैं।
FAQs
Pariksha Pe Charcha Registration 2026 कब शुरू हुआ है?
Pariksha Pe Charcha Registration 2026 आधिकारिक रूप से शुरू हो चुका है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन 1 दिसंबर 2025 से MyGov पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
Pariksha Pe Charcha 2026 के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
इस कार्यक्रम में कक्षा 6 से 12 तक के छात्र, साथ ही शिक्षक और अभिभावक भी आवेदन कर सकते हैं। सभी बोर्ड और किसी भी स्कूल से जुड़े प्रतिभागी इसके पात्र हैं।
परीक्षा पे चर्चा 2026 के लिए आवेदन कहां करें?
Pariksha Pe Charcha Registration 2026 के लिए आवेदन केवल MyGov की आधिकारिक वेबसाइट innovateindia1.mygov.in पर किया जा सकता है।
Pariksha Pe Charcha 2026 के लिए चयन कैसे होगा?
प्रतिभागियों का चयन MyGov पोर्टल पर आयोजित ऑनलाइन MCQ आधारित प्रतियोगिता के माध्यम से किया जाएगा।
Pariksha Pe Charcha 2026 की अंतिम तिथि क्या है?
ऑनलाइन प्रतियोगिता और गतिविधियों को पूरा करने की अंतिम तिथि 11 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है।
क्या Pariksha Pe Charcha 2026 में भाग लेने पर सर्टिफिकेट मिलेगा?
हां, जो भी छात्र, शिक्षक या अभिभावक सभी गतिविधियां सफलतापूर्वक पूरी करेंगे, उन्हें Participation Certificate दिया जाएगा।
Pariksha Pe Charcha का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य परीक्षा से जुड़ी चिंता और तनाव को कम करना, सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना और परीक्षाओं को सीखने के उत्सव के रूप में देखना है।
Pariksha Pe Charcha 2026 का आयोजन कब होगा?
Pariksha Pe Charcha 2026 की आयोजन तिथि की आधिकारिक घोषणा जल्द की जाएगी।
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चावल पर ट्रंप का वार ! भारत पर लगाया चावल डंपिंग करने का आरोप , भारतीय चावल पर टैरिफ बढ़ाने के दिए संकेत…

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Trump Tariff On Rice : डोनाल्ड ट्रंप की नई चेतावनी का भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारतीय चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी देकर वैश्विक व्यापार बहस को तेज कर दिया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत अमेरिका में चावल की “डंपिंग” कर रहा है और इस समस्या को टैरिफ के जरिए “आसानी से हल” किया जा सकता है। हालांकि, व्यापार विशेषज्ञों और भारतीय निर्यात संगठनों का मानना है कि Trump Tariff On Rice का असर भारत से ज्यादा अमेरिका के उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है।
Trump ने क्या कहा और क्यों बढ़ी चर्चा?
व्हाइट हाउस में किसानों के साथ आयोजित एक राउंडटेबल बैठक के दौरान Trump ने भारतीय चावल के मुद्दे को उठाया। इस बैठक में अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट और कृषि मंत्री ब्रूक रोलिन्स भी मौजूद थीं। इसी कार्यक्रम में अमेरिकी किसानों के लिए 12 अरब डॉलर के फेडरल सहायता पैकेज की भी घोषणा की गई।
Trump ने सीधे सवाल किया,
“भारत को ऐसा करने की इजाजत क्यों है? क्या उन्हें चावल पर कोई छूट मिली हुई है?”
जब बताया गया कि भारत के साथ व्यापार समझौते पर अभी बातचीत चल रही है, तो ट्रंप ने कहा,
“उन्हें डंपिंग नहीं करनी चाहिए। मैंने यह बात और लोगों से भी सुनी है।”
इसके बाद बातचीत विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के खिलाफ चल रहे एक मामले की ओर भी मुड़ गई।
Trump की चेतावनी राजनीति ज्यादा, नीति कम?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का मानना है कि ट्रंप की यह टिप्पणी ठोस व्यापार नीति से ज्यादा घरेलू राजनीति से प्रेरित दिखती है।
उनके अनुसार,
- भारत ने FY2025 में अमेरिका को 392 मिलियन डॉलर मूल्य का चावल निर्यात किया
- यह भारत के कुल वैश्विक चावल निर्यात का सिर्फ 3 प्रतिशत है
- अमेरिका में चावल बाजार का करीब 53 प्रतिशत हिस्सा पहले से टैरिफ के दायरे में है
- निर्यात किए गए चावल में से 86 प्रतिशत प्रीमियम बासमती है
GTRI का कहना है कि नए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को खास नुकसान नहीं होगा, लेकिन अमेरिका में चावल महंगा जरूर हो जाएगा।
भारत कितना चावल अमेरिका भेजता है?
भारतीय राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) के आंकड़ों के मुताबिक:
- वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 337.10 मिलियन डॉलर का बासमती चावल निर्यात किया
- कुल मात्रा: 2,74,213.14 मीट्रिक टन
- अमेरिका, भारतीय बासमती का चौथा सबसे बड़ा बाजार
- इसी अवधि में
- गैर-बासमती चावल: 54.64 मिलियन डॉलर
- मात्रा: 61,341.54 मीट्रिक टन
- अमेरिका गैर-बासमती के लिए 24वां सबसे बड़ा बाजार
कुल मिलाकर, अमेरिका को भारत से होने वाला चावल निर्यात करीब 390 मिलियन डॉलर (3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा) का है।
पहले से ऊंचे टैरिफ, फिर भी निर्यात स्थिर
भारत से अमेरिका जाने वाले चावल पर पहले 10 प्रतिशत टैरिफ लगता था। हालिया फैसलों के बाद यह बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो अमेरिका द्वारा किसी देश पर लगाए गए सबसे ऊंचे टैरिफ में से एक है।
फिर भी,
- भारतीय चावल का निर्यात जारी है
- कीमतों में बढ़ोतरी का असर अमेरिकी खुदरा बाजार में दिखा
- भारतीय किसानों और निर्यातकों की आमदनी पर बड़ा असर नहीं पड़ा
IREF का कहना है कि यह साबित करता है कि चावल अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए एक जरूरी खाद्य वस्तु है।
बासमती का कोई विकल्प नहीं
विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका में उगाया गया चावल भारतीय बासमती की जगह नहीं ले सकता। इसकी वजह है:
- बासमती की खास खुशबू
- पकने पर दानों की लंबाई
- स्वाद और टेक्सचर
अमेरिका में भारतीय चावल मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और खाड़ी देशों से आए समुदायों द्वारा खरीदा जाता है। बिरयानी जैसे लोकप्रिय व्यंजनों में बासमती चावल का कोई सस्ता विकल्प नहीं है।
भारतीय चावल उद्योग कितना मजबूत?
IREF के उपाध्यक्ष देव गर्ग के मुताबिक,
“भारतीय चावल उद्योग मजबूत और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी है। अमेरिका अहम बाजार जरूर है, लेकिन भारत का निर्यात कई देशों में फैला हुआ है।”
उनका कहना है कि सरकार और निर्यातक मिलकर नए बाजार खोलने और पुराने व्यापार साझेदारों को मजबूत करने पर लगातार काम कर रहे हैं।
भारत से ज्यादा अमेरिका पर असर
कुल मिलाकर, Trump Tariff On Rice की चेतावनी सुर्खियों में भले ही बड़ी लगे, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इसका सीधा झटका भारत को नहीं, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को लग सकता है। बासमती चावल की वैश्विक मांग, भारत के विविध निर्यात बाजार और भारतीय चावल उद्योग की मजबूती को देखते हुए विशेषज्ञ इसे एक गंभीर नीतिगत बदलाव के बजाय चुनावी मौसम का राजनीतिक संदेश मान रहे हैं।
FAQs
Q1. क्या Trump के नए टैरिफ से भारतीय चावल निर्यात घटेगा?
संभावना कम है, क्योंकि भारत का अमेरिका पर निर्भरता सीमित है।
Q2. अमेरिका में भारतीय चावल क्यों महंगा हो सकता है?
अतिरिक्त टैरिफ का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जा सकता है।
Q3. क्या अमेरिकी चावल बासमती की जगह ले सकता है?
नहीं, स्वाद, खुशबू और गुणवत्ता के कारण बासमती का विकल्प नहीं है।
Q4. Trump ने यह बयान कहां दिया?
व्हाइट हाउस में किसानों के साथ एक राउंडटेबल बैठक के दौरान।
Q5. क्या यह WTO से जुड़ा मामला है?
हां, बातचीत में भारत के खिलाफ चल रहे WTO मामले का भी जिक्र हुआ।
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