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पेरिस पैरालंपिक: अवनि लेखरा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर रचा इतिहास, भारत की बनी सबसे कामयाब शूटर।

पेरिस – पेरिस पैरालंपिक में भारत की अवनि लेखरा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की स्टैंडिंग 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा एसएच-1 में यह स्वर्ण पदक जीता। पेरिस पैरालंपिक में भारत का यह पहला पदक है और वह भी स्वर्ण के रूप में आया है। आपको बता दें कि अवनि को यह जीत इतनी आसानी से नहीं मिली है। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। आइए जानते हैं अवनि के संघर्ष की कहानी…

वर्ष 2012 में महज 12 साल की उम्र में अवनि लेखरा की जिंदगी उस समय बदल गई जब एक दुर्घटना के चलते उन्हें पैरालिसिस का शिकार होना पड़ा और चलने के लिए व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ गया। लेकिन अवनि ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ने को ठान लिया। दुर्घटना के महज तीन साल बाद ही अवनी ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बनाया और महज पांच साल के भीतर ही अवनी ने गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल कर लिया। अब अपने लगातार दूसरे पैरालंपिक में उन्होंने स्वर्ण जीतकर इतिहास तो रचा ही, साथ ही भारत की सबसे कामयाब शूटर भी बन गईं। ओलंपिक हो या पैरालंपिक भारत की किसी महिला एथलीट ने दो स्वर्ण नहीं जीते हैं।
दुर्घटना के बाद हो गई थीं बेहद कमजोर
अवनि के पिता प्रवीण बताते हैं कि दुर्घटना के बाद गुमसुम रहने लग गई थी। किसी से बात नहीं करती थी, पूरी तरह डिप्रेशन में चली गई थी। उन्होंने कहा कि भीषण दुर्घटना के कारण इसकी पीठ पूरी तरह काटनी पड़ी। इतनी कमजोर हो गई थी कि कुछ कर नहीं पाती थी। यहां तक की कोई हल्का सामान भी उठाना मुश्किल हो रहा था।
पैरालिसिस के बाद काफी टूट गई थीं अवनि
अवनि के माता-पिता ने कहा कि 12 साल की उम्र में जब अवनि को पैरालिसिस हुआ तो वह काफी टूट गई थीं। उस समय सोचा की अवनी को किसी खेल से जोड़ा जाए और काफी सोच-विचार के बाद मैंने इसे शूटिंग में हाथ आजमाने को कहा। अवनि के पिता ने कहा कि शूटिंग में पहली बार तो इससे गन तक नहीं उठी थी, मगर आज इसकी वजह से टोक्यो पैरालिम्पिक के पोडियम पर राष्ट्रगान गूंजेगा। खेल के साथ ही अवनी पढ़ाई में भी काफी होशियार हैं। इसके साथ ही अन्य क्रियाकलाप में भी अवनी सबसे अव्वल रहती हैं।

मन बहलाने के लिए शूटिंग रेंज घुमाने लेकर गए पिता, वहीं से अवनि की रुचि जगी
अवनि के पिता ने बताया कि दुर्घटना के बाद जब यह परेशान रहने लगी थी तब मन बहलाने के लिए इसे शूटिंग रेंज लेकर गया था। यहीं से अवनि में रुचि जगने लगी। अवनि ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बना ली। वह इसके लिए तबतक मेहनत करती रहती थीं जब तक कि थक कर चूर न हो जाए।
कोरोना काल रहा मुश्किल भरा
कोरोना के चलते अवनि को पिछले दो सालों से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उनकी प्रैक्टिस पर भी काफी असर पड़ा। लेकिन उनके पिता ने घर में टारगेट सेट कर अवनी की प्रैक्टिस में कोई कसर नहीं छोड़ी। पैरालंपिक की तैयारी कर रही अवनि घर पर ही टारगेट पर प्रैक्टिस कर रही थीं साथ ही उस समय उनका गोल्ड पर निशाना साधना ही लक्ष्य था। इसके लिए वो नियमित रूप से जिम और योगा पर ध्यान दे रही थीं। उन्होंने फिट रखने के लिए खान-पान का विशेष रूप से ध्यान रखा।
अवनि ने पैरालंपिक में अब तक दो स्वर्ण समेत तीन पदक जीते
टोक्यो पैरालंपिक में अवनि ने एक स्वर्ण और एक कांस्य समेत दो पदक जीते थे। स्वर्ण उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जीता था और कांस्य उन्होंने महिलाओं की 50 मीटर राइफल की पी-3 एसएच-1 स्पर्धा में अपने नाम किया था। वह भारत की पहली महिला एथलीट बनी थीं, जिन्होंने एक पैरालंपिक में दो मेडल जीते थे। उनसे पहले जोगिंदर सिंह सोढ़ी इन खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे। अवनि पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने भारत का इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी पहला पदक भी जीता था। टोक्यो पैरालंपिक में भी अवनि ने ही स्वर्ण जीतकर भारत के स्वर्ण पदक का खाता खोला था। टोक्यो पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर वह इन खेलों में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला बनी थीं।

अवनि पद्मश्री से सम्मानित हो चुकीं
अवनि पैरालंपिक के अलावा विश्व कप में भी दो स्वर्ण समेत तीन पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने 2022 फ्रांस में हुए विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 स्पर्धा में और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण जीता था। वहीं, 2022 में दक्षिण कोरिया में हुए विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया था। इसके अलावा वह 2022 एशियाई पैरा गेम्स में इसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 2021 में उन्हें खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वह जीक्यू इंडिया द्वारा 2021 में यंग इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड दिया गया था। 2021 मेंही उन्हें अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक कमिटी द्वारा बेस्ट फीमेल डेब्यू अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। 2022 में अवनि पद्मश्री से सम्मानित हो चुकी हैं।
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नेपाल में उग्र हालात: भारतीय विदेश मंत्रालय ने नागरिकों से की नेपाल यात्रा से बचने की अपील

काठमांडू: नेपाल में इन दिनों हालात बेहद नाजुक और अशांत हो गए हैं। राजधानी काठमांडू समेत देश के कई हिस्सों में सरकार के खिलाफ उग्र विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते दो दिनों से जारी यह आंदोलन अब हिंसक रूप ले चुका है। सड़कों पर हजारों की संख्या में छात्र और युवा उतर आए हैं, जो मौजूदा व्यवस्था और नेताओं के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए आगजनी और तोड़फोड़ कर रहे हैं।
मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद से देश की राजनीतिक स्थिति और ज्यादा अस्थिर हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, उनके इस्तीफे के बाद कई अन्य मंत्री भी पद छोड़ चुके हैं और कुछ नेता देश से बाहर निकलने की कोशिश में हैं। इसी बीच, प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और कई पूर्व नेताओं के घरों में आग लगा दी।

कांतिपुर मीडिया समूह के मुख्यालय से उठता धुआं, हिंसा की भयावहता को दिखा रहा है। जानकारी के अनुसार, मंगलवार को हुए प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मीडिया समूह की इमारत को आग के हवाले कर दिया।
सेना ने संभाला मोर्चा, कर्फ्यू जारी
देश की राजधानी काठमांडू में हालात काबू में लाने के लिए नेपाली सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। सेना और सुरक्षाबलों को हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात कर दिया गया है। साथ ही, बुधवार से कर्फ्यू लागू कर दिया गया है जो अगले आदेश तक जारी रहेगा।
नेपाल सेना ने एक बयान जारी कर नागरिकों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि कुछ असामाजिक तत्व स्थिति का गलत फायदा उठा रहे हैं, और देश की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भारतीय नागरिकों को वापस लाया जा रहा, एडवाइजरी भी जारी
नेपाल की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। उत्तर प्रदेश के सोनौली बॉर्डर से भारतीय नागरिकों को SSB की मदद से भारत वापस लाया जा रहा है। केवल मेडिकल या आपात स्थिति में ही नेपाली नागरिकों को भारत में प्रवेश दिया जा रहा है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यात्रा परामर्श (Travel Advisory) जारी कर भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे नेपाल की अनावश्यक यात्रा से फिलहाल बचें। जो भारतीय नेपाल में पहले से मौजूद हैं, उन्हें घर के अंदर रहने और पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही, काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने आपातकालीन संपर्क नंबर भी जारी किए हैं:
+977-980 860 2881 (WhatsApp पर उपलब्ध)
+977-981 032 6134 (WhatsApp पर उपलब्ध)
प्रदर्शनकारियों की मांग: नया संविधान, नया नेतृत्व
प्रदर्शन कर रहे युवाओं और छात्रों का कहना है कि वे नेपाल में “नई पीढ़ी का शासन” चाहते हैं। एक छात्र प्रदर्शनकारी सुभाष ने कहा कि हम भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते हैं, हमें पुराने नेताओं से कोई उम्मीद नहीं। हम नए नियम-कानून और एक मजबूत नेतृत्व की मांग कर रहे हैं। हमने पुराने नेताओं को खदेड़ दिया, अब वक्त है एक नई शुरुआत का।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी का घर भी जला चुके हैं।
भारत सरकार की सतर्क निगाह
नेपाल के हालात पर भारत सरकार भी लगातार नजर बनाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल और पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर लौटने के बाद नेपाल की स्थिति को लेकर कैबिनेट समिति की आपात बैठक की। माना जा रहा है कि भारत, नेपाल में अपने नागरिकों की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति को लेकर सजग है।
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ऑपरेशन महादेव: पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन आतंकी ढेर

जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बीच सुरक्षा बलों ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। श्रीनगर के दाचीगाम वन क्षेत्र में सेना और आतंकियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में लश्कर-ए-ताइबा के तीन खूंखार आतंकियों को मार गिराया गया। इन आतंकियों में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान उर्फ आसिफ भी शामिल है। बाकी दो की पहचान जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है। सेना ने मौके से अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल और एके सीरीज की दो राइफलें भी बरामद की हैं।
कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन महादेव
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए नृशंस हमले के बाद सेना ने इलाके में आतंकियों की तलाश तेज कर दी थी। इस दौरान आतंकियों द्वारा इस्तेमाल की गई कम्युनिकेशन डिवाइस अचानक एक्टिव हुई, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को उनकी लोकेशन का सुराग मिला। इसके बाद स्पेशल फोर्सेज की 4 पैरा यूनिट और 24 राष्ट्रीय राइफल्स ने मिलकर ‘ऑपरेशन महादेव’ शुरू किया। रविवार देर रात आतंकियों की मौजूदगी की पुष्टि के बाद इलाके की घेराबंदी सख्त की गई। खुद को घिरा देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी और भीषण मुठभेड़ में तीनों आतंकी ढेर हो गए।
क्यों रखा गया नाम ‘ऑपरेशन महादेव’
यह अभियान श्रीनगर के पास महादेव चोटी क्षेत्र में चलाया गया, जो जबरवान रेंज का हिस्सा है और धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना जाता है। इसी वजह से सेना ने इस ऑपरेशन को ‘महादेव’ नाम दिया।
पहलगाम हमला: दर्द और बदले की कहानी
22 अप्रैल को हुए इस आतंकी हमले में आतंकियों ने 26 लोगों को सिर्फ धर्म पूछकर मौत के घाट उतार दिया था। इसी हमले में जान गंवाने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा, “मैं सेना के जांबाजों को सलाम करता हूं। मुझे पहले से भरोसा था कि सेना एक दिन इन आतंकियों को जरूर मार गिराएगी।”
पहले भी हो चुकी है मुठभेड़
दाचीगाम के इसी इलाके में पिछले साल 10 नवंबर को भी आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी, जिसमें आतंकी भाग निकले थे। बाद में 3 दिसंबर को लश्कर का आतंकी जुनैद भट इसी क्षेत्र में मार गिराया गया था, जो गांदरबल में हुए हमले में शामिल था।
सेना की सतर्कता और रणनीति से मिली सफलता
एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए दो आतंकियों की सूचना और कम्युनिकेशन डिवाइस की लोकेशन से मिले सुराग के आधार पर सेना ने लगातार इलाके पर नजर रखी। आखिरकार सोमवार सुबह लिदवास क्षेत्र में आतंकियों की मूवमेंट देखते ही सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया।
पुलिस का बयान
कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक वीके बिरदी ने कहा कि मारे गए आतंकियों की औपचारिक पहचान की प्रक्रिया जारी है। शवों को घने जंगल से नीचे लाने में वक्त लगेगा। यह ऑपरेशन एक बार फिर साबित करता है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां किसी भी कीमत पर आतंक के नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगी। ‘ऑपरेशन महादेव’ ने पहलगाम हमले का दर्द झेल रही देश की जनता को थोड़ी राहत जरूर दी है।
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नीरज चोपड़ा ने ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक में इतिहास रचते हुए जीता गोल्ड मेडल

ओस्ट्रावा : दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने मंगलवार को इतिहास रचते हुए प्रतिष्ठित ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक में पहली बार गोल्ड मेडल जीत लिया। यह विश्व एथलेटिक्स कॉन्टिनेंटल टूर श्रेणी ए का एक प्रमुख आयोजन है। नीरज भले ही अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 90.23 मीटर के थ्रो से चूक गए…लेकिन उन्होंने 9 पुरुष प्रतियोगियों के बीच अपने दबदबे से इस प्रतियोगिता में जीत हासिल की। खास बात यह रही कि उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी जूलियन वेबर इस आयोजन में शामिल नहीं थे।
दक्षिण अफ्रीका के डॉव स्मिथ ने 84.12 मीटर का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता…जबकि पूर्व विश्व चैंपियन एंडरसन पीटरसन 83.63 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
नीरज ने इस प्रतियोगिता में 80 मीटर से अधिक की 4 वैध थ्रो फेंकीं, जो उनकी निरंतरता का परिचायक है। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 85.29 मीटर का थ्रो किया, जिसने उन्हें स्वर्ण पदक पक्का करा दिया। इसके बाद कोई भी खिलाड़ी 85 मीटर के करीब नहीं पहुंच पाया। हालांकि उनके अंतिम प्रयास में उत्साह ज्यादा होने की वजह से फाउल हो गया…लेकिन इससे उनकी जीत पर कोई असर नहीं पड़ा।
नीरज के लिए निर्णायक क्षण उनका तीसरा थ्रो था…क्योंकि उस समय वे दूसरे प्रयास तक दूसरे स्थान पर थे। उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम गर्व से रोशन किया।
2025 सीजन में नीरज चोपड़ा का शानदार प्रदर्शन:
20 जून को पेरिस डायमंड लीग में जीत के बाद यह नीरज की लगातार दूसरी बड़ी जीत थी। यह 2025 सीजन में उनका पांचवां प्रतिस्पर्धी प्रदर्शन था। उन्होंने अप्रैल में दक्षिण अफ्रीका के पोटचेफस्ट्रूम में पोच आमंत्रण मीट में जीत के साथ सीजन की शुरुआत की। इसके बाद दोहा डायमंड लीग में दूसरे स्थान पर रहे, जहां उन्होंने 90.23 मीटर का थ्रो कर अपने करियर में पहली बार 90 मीटर का आंकड़ा पार किया और भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड को नया आयाम दिया। पोलैंड में जानूस कुसोसिन्स्की मेमोरियल में दूसरे स्थान पर आने के बाद उन्होंने पेरिस डायमंड लीग में 88.16 मीटर का थ्रो कर जीत हासिल की।
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