Dehradun
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी तेज, 15 जुलाई तक प्रक्रिया पूरी करने की योजना…

देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब बेहद नजदीक हैं। हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल नवंबर 2024 में समाप्त हो गया था, जिसके बाद शासन ने पंचायतों में प्रशासक तैनात कर दिए थे। अब इन प्रशासकों का कार्यकाल मई के अंत में समाप्त हो रहा है, ऐसे में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। सरकार की कोशिश है कि 15 जुलाई तक पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
उत्तराखंड के 12 जिलों में 2019 में पंचायत चुनाव हुए थे और इन पंचायतों का कार्यकाल क्रमश: 28, 30 नवंबर और 1 दिसंबर 2024 को समाप्त हो गया। इसके बाद पंचायतों में 6 महीने के लिए प्रशासक नियुक्त किए गए, जिनका कार्यकाल 27 मई (ग्राम पंचायत), 29 मई (क्षेत्र पंचायत), और 31 मई (जिला पंचायत) को समाप्त हो रहा है। इसी को देखते हुए प्रशासकों का कार्यकाल अगले 6 महीने के लिए बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए शासन ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जाएगा।
इस बीच सरकार ने पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ा दिए हैं। “उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025” और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी मिल चुकी है। अब पदों के आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, ताकि जून में चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सके।
उत्तराखंड के 12 जिलों में कुल 47,57,210 मतदाता हैं। सबसे ज्यादा मतदाता उधम सिंह नगर (7,43,756) में हैं, जबकि सबसे कम मतदाता चंपावत (1,85,347) में हैं। पंचायतों में कुल 7499 ग्राम पंचायतें, 55589 सदस्य ग्राम पंचायत, 7499 प्रधान, 2974 सदस्य क्षेत्र पंचायत, 358 सदस्य जिला पंचायत, और 12 जिला पंचायत अध्यक्ष के पद हैं।
पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने जानकारी दी कि सरकार की योजना 15 जुलाई तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की है। आरक्षण की प्रक्रिया के लिए समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। नोटिफिकेशन जारी होने से लेकर मतगणना तक की प्रक्रिया में लगभग 30 दिन लगते हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने बताया कि आयोग की तैयारी पूरी है। वोटर लिस्ट तैयार हो चुकी है, बैलेट बॉक्स, बैलेट पेपर और पोलिंग पार्टियों के लिए किट भी उपलब्ध हैं। आयोग को अब शासन से आरक्षण सूची का इंतजार है, जिसके बाद चुनावी कार्यक्रम तय कर दिया जाएगा। पूर्व के चुनावों में आरक्षण सूची जारी होने के बाद लगभग 40 दिन में पूरी चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई गई है।
सरकार जून-जुलाई में चुनाव कराने पर इसलिए जोर दे रही है क्योंकि इस अवधि में शिक्षकों की ड्यूटी आसानी से लगाई जा सकती है और चारधाम यात्रा का दबाव भी कम होता है। वहीं अगर चुनाव अक्टूबर-नवंबर में कराए जाते हैं, तो बारिश और आपदाओं के चलते दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
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Dehradun
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में लिया भाग

देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने रविवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइंस इंस्टीट्यूशंस के 24वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में प्रतिभाग किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से आए प्रख्यात विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में सामाजिक कल्याण, अर्थशास्त्र, रोजगार, उद्योग, कृषि, तकनीकी, पर्यावरण और नगरीकरण जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय असंतुलन और असमान विकास जैसी चुनौतियों के स्थायी समाधान और नई दिशा की तलाश में है। ऐसे समय में यह सम्मेलन केवल एक अकादमिक विमर्श नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना, साझी जिम्मेदारी और पर्यावरणीय जागरूकता का सशक्त आह्वान है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि पूरक बनाना ही सच्चा सतत विकास है।
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है। अनियोजित शहरीकरण, अंधाधुंध वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए केवल नीतियाँ या तकनीक पर्याप्त नहीं होंगी, बल्कि हमें जीवनशैली में परिवर्तन, जनसहभागिता और प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहकर नीतियां बनानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे पर्वतीय राज्यों के लिए पर्यावरणीय चुनौतियाँ और भी संवेदनशील हैं। भूस्खलन, मृदा क्षरण, नदियों का कटाव और वन्य जीवों के आवासों में कमी जैसे मुद्दे अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता से भी जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी, वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय तथा जनजागरूकता और शिक्षा तीनों को एक साथ जोड़ना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि शहरीकरण आर्थिक प्रगति का वाहक है, परंतु अनियोजित शहरीकरण असमानता, प्रदूषण और संसाधनों की कमी का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि हमें “स्मार्ट सिटीज” के साथ-साथ “ग्रीन सिटीज” की भी परिकल्पना करनी होगी, जहाँ भवन ऊर्जा-कुशल हों, परिवहन स्वच्छ हो और हरित आवरण पर्याप्त हो। सतत विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना है।
राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि वे केवल भविष्य के विद्यार्थी नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माता हैं। उनके विचार, शोध और संवेदना ही हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की दिशा तय करेंगे। उन्होंने आयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान, संवाद और नीति-चिंतन का उत्कृष्ट मंच बना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहाँ हुए मंथन से निकले विचार हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास के लिए नई दिशा प्रदान करेंगे।
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Accident
उत्तरखड़: सड़क पर दौड़ रही थी टैक्सी, ड्राइवर को अचानक आया अटैक, पर्यटकों की अटकी सांसे

मसूरी: पर्यटन नगरी मसूरी के नजदीक सोमवार को एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जब धनौल्टी से लौट रहे एक टैक्सी चालक को अचानक दिल का दौरा पड़ गया। घटना उस वक्त हुई जब चालक कार चला रहा था, जिससे गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और वह सड़क किनारे पैराफिट से टकरा गई। हादसे में चालक की मौके पर ही मौत हो गई…हालांकि गाड़ी में सवार चार पर्यटक पूरी तरह सुरक्षित बच गए।
यह दुर्घटना टिहरी बाईपास मार्ग पर लक्ष्मणपुरी क्षेत्र में नगर पालिका परिषद के कूड़ा कलेक्टिंग सेंटर के पास हुई। हादसे के तुरंत बाद चालक को 108 एंबुलेंस के जरिए उप जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक की पहचान हरिद्वार निवासी कपिल अरोड़ा (उम्र करीब 40 वर्ष), पुत्र स्व. अनिल अरोड़ा के रूप में हुई है। कपिल स्विफ्ट डिज़ायर टैक्सी (यूके08-टीए-6149) चला रहे थे और धनौल्टी से देहरादून होते हुए हरिद्वार लौट रहे थे।
आखिरी पलों में दिखाई सूझबूझ
कार में सवार पश्चिम बंगाल से आए पर्यटकों ने बताया कि चलती गाड़ी में ही कपिल को चक्कर जैसा महसूस हुआ। इसके बाद उन्होंने किसी तरह खुद को संभालते हुए गाड़ी को साइड में लगाने की कोशिश की, जिससे कार पैराफिट से टकरा गई। अगर चालक ने सूझबूझ न दिखाई होती, तो कार सीधे गहरी खाई में गिर सकती थी और एक बड़ा हादसा हो सकता था।
पर्यटक सुरक्षित, भेजे गए हरिद्वार
कार में सवार सभी पर्यटक पश्चिम बंगाल के निवासी हैं, जिनमें पुरबस्त हल, डाइसेल, पूरतराड़ निवासी राजेल मुखर्जी (उम्र 45 वर्ष), ढंगन निवासी अनकटी नाथ, पुत्र आलोक नाथ और शेम नाथ गराई शामिल हैं। सभी को मसूरी पुलिस द्वारा सुरक्षित बाहर निकाला गया और उन्हें अन्य वाहन से हरिद्वार भेज दिया गया।
पुलिस ने शुरू की जांच
मसूरी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। मृतक के परिजनों को सूचना दे दी गई है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह मामला स्वाभाविक मृत्यु (दिल का दौरा) का प्रतीत होता है, हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी।
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