Dehradun
अब देहरादून से मसूरी पहुंचना होगा आसान, देश का सबसे लंबा रोपवे होगा जल्द पूरा !

देहरादून: पहाड़ों की रानी मसूरी जाने वाले पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। अब देहरादून से मसूरी की यात्रा केवल 20 मिनट में पूरी हो सकेगी। वर्तमान में करीब 33 किलोमीटर दूरी तय करने में करीब सवा घंटे का समय लगता है और अक्सर इस मार्ग पर लंबा जाम रहता है। लेकिन अब दोनों शहरों को जोड़ने के लिए 5.2 किलोमीटर लंबा रोपवे बनाया जा रहा है, जो सितंबर 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा। यह देश का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे होगा।
रोपवे निर्माण का लगभग आधा कार्य पूरा हो चुका है। कुल 26 टावरों में से 16 का निर्माण पूर्ण हो चुका है। पुरकुल में रोपवे टर्मिनल के साथ 10 मंजिला बहुस्तरीय पार्किंग का भी लगभग 50% काम पूरा हो चुका है, जो 2,000 से अधिक वाहनों की पार्किंग क्षमता रखेगा। यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर विकसित की जा रही है। रोपवे पर्यटकों को सीधे मसूरी के मॉल रोड स्थित लाइब्रेरी चौक तक ले जाएगा।
इस परियोजना से मसूरी में पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी। साथ ही यह सड़क यातायात में भी कमी लाने में मददगार साबित होगा। उत्तराखंड पर्यटन विभाग का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ प्रदूषण कम करना और यातायात जाम से राहत प्रदान करना है।
परियोजना के महत्वपूर्ण बिंदु……
दुनिया के पांच सबसे लंबे मोनो-केबल रोपवे सिस्टम में से एक होगा।
कुल लागत: 285 करोड़ रुपये।
कुल 26 टावर, जिनमें से 16 का निर्माण पूरा।
10 मंजिला बहुस्तरीय पार्किंग, 2,000+ वाहनों की क्षमता।
रोपवे मोनो-केबल डिटैचेबल गोंडोला सिस्टम पर आधारित।
लगभग 1,000 मीटर की ऊंचाई तक जाएगा।
दक्षिण एशिया में अपनी तरह का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे होगा।
पर्यावरण अनुकूल, पूरी तरह बिजली से संचालित।
प्रति घंटे 1,300 यात्रियों को ले जाने की क्षमता।
ऑटोमेटिक दरवाजे और मौसम से सुरक्षा देने वाला आधुनिक डिजाइन।
धीरज सिंह गर्ब्याल पर्यटन सचिव: देहरादून-मसूरी रोपवे पर्यटकों को तेज, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल यात्रा प्रदान करेगा। यह परियोजना पहाड़ी पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ यातायात जाम में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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13 दिन में करोड़ों कांवड़िये! राज्यपाल बोले– कई देशों की आबादी से ज़्यादा भीड़ संभाल रहा उत्तराखंड

हरिद्वार: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने डामकोठी में जिला प्रशासन की बैठक लेकर कांवड़ यात्रा के सफल संचालन हेतु जिला प्रशासन द्वारा की गई तैयारियों, व्यवस्थाओं तथा चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कांवड़ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन द्वारा की गई तैयारियों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने जिला प्रशासन का हौसला अफजाई करते हुए कहा कि प्रभु ने श्रद्धालुओं की सेवा का बहुत ही सुन्दर अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों की इतनी जनसंख्या नहीं है, जितने कांवड़ यात्रियों को प्रशासन द्वारा इन 13 दिनों में डील किया जायेगा। उन्होंने मार्गदर्शित करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा पर आधारित कॉफी टेबल बुक 2025 बनाई जाये जिसमें तैयारियों, चुनौतियों, आस्था सहित सभी पहलुओं का समावेशन हो।
उन्होंने मार्गदर्शित करते हुए कहा कि किसी भी यात्रा के साथ तीन चीजें- यादें, भावनाएं तथा प्रेरणा जुड़ी होती है। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में कांवड़ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो और यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु देवभूमि से सुःखद यादें व सुःखद अनुभव लेकर जायें। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति समस्या के समाधान की ओर जाता है, समाधान खुद उस व्यक्ति की ओर चलकर आता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर जटिल समस्याओं का समाधान बहुत ही सरल होता है।
राज्यपाल ने कहा कि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर समस्या का उसी स्थान पर त्वरित गति से समाधान की दिशा में कार्य किया जाये। उन्होंने मैनेजमेंट में ट्रैफिक रेगुलेशन, स्वास्थ्य और जितनी भी सुविधाएं हैं, उनमें किस प्रकार और अधिक इंप्रूवमेंट किया जाये, इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई।
इस दौरान जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल एसपी जितेन्द्र मेहरा सहित सभी अधिकारियों द्वारा कांवड़ यात्रा से जुड़े अनुभव, चुनौतियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। एएसपी जितेन्द्र चौधरी द्वारा पॉवर पॉइन्ट प्रजे़न्टेशन के माध्यम से कांवड़ यात्रा मार्ग, रूट प्लान सहित श्रद्धालुओं हेतु की गई विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने डामकोठी में तन्मयता से कार्य कर रहे बावर्ची सुरेश रावत प्रोत्साहित एवं सम्मानित किया।
उन्होंने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि हर उत्तराखंडी के लिए ये सौभाग्य की बात है कि इस पवित्र सावन के महीने में कावंड यात्रा के लिए आए श्रद्धालुओं को देख कर बहुत खुशी हो रही है, क्योंकि उनकी जो भक्ति, सेवा और समर्पण है, अपने आप में अलग ही स्टैंडर्ड का है। खुशी है कि शासन, प्रशासन ने जो प्लानिंग व मेहनत की थी उसका आज फल मिल रहा है, पूरे कांवड़ यात्रा का संचालन बहुत सुंदर तरीके से चल रहा है। हमारे लिए सबसे बड़ा ये चैलेंज होता है कि इतने कम दिनों के अंदर बहुत ज्यादा संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लास्ट ईयर में एक्सपीरियंस था कि 4 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु 15 दिन के भीतर आए थे। उन्होंने कहा कि चैलेंज के अलावा हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि शिव भक्तों की सेवा करने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि शिव भक्तों को कांवड़िये के रूप में देखकर ऐसा लगता है कि ये हम सब को उदाहरण देते है कि किस प्रकार से जीवन में संकल्प करना चाहिए। जिन कांवड़ यात्रियों से मिला, उनके चेहरे पर बिल्कुल थकावट नहीं हैं, उनके चेहरे पर संकल्प का भाव दृश्य है। उन्होंने कहा कि कांवड़िये 11 तारीख से घर से निकले हुए, इतना सफर पैदल चले हैं कांवड़ को उठाया है अब तक तो बहुत थके हुए होने चाहिए, लेकिन जिस प्रकार उन्हें देखा, मिला और उनसे वार्तालाप करके ऐसा लगा कि उनके अंदर और भी शक्ति आई है। आप हरिद्वार में होते हैं, उत्तराखंड में होते हैं तो अलग ही दिव्यता, भव्यता, पवित्रता, शुद्धता का अलग ही अहसास होता है। शासन, प्रशासन, पुलिस वाले और समाजसेवी बहुत सुंदर तरीके से कार्य कर रहे है तथा उनमें समन्वय, समरसता है। सबके दिल में यही खयाल है कि किस प्रकार हर एक श्रद्धालु की यात्रा सफल होनी चाहिए। एक और सौभाग्य है कि 2027 में कुंभ होगा उसका भी एक ट्रेलर एक एक्सपीरियंस की तरह बनता है। चारधाम यात्रा पर 40 लाख से अधिक यात्री आ चुके हैं।
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पोल्ट्री फार्म की आड़ में बन रही थी ड्रग्स! STF के हत्थे चढ़ा मास्टरमाइंड कुनाल

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ड्रग्स फ्री देवभूमि अभियान को लेकर प्रदेश पुलिस एक्शन में है। पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के निर्देश पर STF और लोकल पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए एमडीएमए ड्रग्स बनाने वाले गिरोह के सरगना कुनाल कोहली को नानकमत्ता से गिरफ़्तार किया है।
कुनाल के पास से 126 लीटर केमिकल, 28 किलो पाउडर और 7.41 ग्राम तैयार एमडीएमए ड्रग्स बरामद की गई है। ये सभी पदार्थ NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं।
जानकारी के मुताबिक, कुनाल चंपावत और पिथौरागढ़ में पोल्ट्री फार्म की आड़ में ड्रग फैक्ट्री चला रहा था। माल को मुंबई समेत कई शहरों में खपाया जाता था। गिरोह के अन्य सदस्य (मोनू, भीम, राहुल, अमन और ईशा ) पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं या नेपाल बॉर्डर के पास दबोचे गए हैं।
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह गाजियाबाद, बनारस और ठाणे की कंपनियों से बिना लाइसेंस कैमिकल मंगवा रहा था। अब उन कंपनियों की भी जांच शुरू कर दी गई है।
इस ऑपरेशन में STF, चंपावत, पिथौरागढ़ पुलिस के साथ नेपाल प्रशासन की भी बड़ी भूमिका रही। तकनीकी निगरानी और खुफिया इनपुट से इस गैंग के पूरे नेटवर्क को तोड़ा गया।
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‘एक पेड़ माँ के नाम’’ को बनाएं आंदोलन, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने दी हरेला पर्व पर शुभकामनाएं

देहरादून।: उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और प्रकृति प्रेम का प्रतीक हरेला पर्व इस बार भी नई उम्मीदें और हरियाली का संदेश लेकर आया है। इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने प्रदेशवासियों को दिल से शुभकामनाएं दी हैं और पर्यावरण को बचाने का आह्वान किया है।
राज्यपाल ने कहा कि हरेला केवल त्योहार नहीं, बल्कि जीवन में हरियाली, समृद्धि और शांति लाने वाला उत्सव है। यह पर्व हमें पेड़-पौधों, जल, जमीन और प्रकृति से जोड़ने की प्रेरणा देता है। “हमारी जड़ें प्रकृति में हैं। हरेला पर्व हमें अपनी जड़ों को पहचानने और हरियाली को अपनाने का अवसर देता है,” राज्यपाल ने कहा।
“हरेला पर्व को जन-आंदोलन बनाएं”
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल ‘एक पेड़ माँ के नाम’ की सराहना करते हुए प्रदेश के सभी नागरिकों से अपील की कि इस पर्व पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं। उन्होंने खास तौर पर बच्चों, युवाओं और महिलाओं को इस पर्व से जोड़ने पर ज़ोर दिया, ताकि पर्यावरण संरक्षण एक परिवार से निकलकर पूरे समाज का संकल्प बने।
राज्यपाल ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण की गंभीर चुनौती से जूझ रही है, ऐसे समय में हरेला पर्व प्रकृति को बचाने का हमारा संकल्प और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा, “पेड़ लगाकर हम न सिर्फ अपने प्रदेश को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित करते हैं।”“हरेला पर्व हरियाली और उम्मीद का प्रतीक”
अपने संदेश में राज्यपाल ने याद दिलाया कि उत्तराखंड के पर्व-त्योहार सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे गहरे रिश्ते का उत्सव हैं। उन्होंने कहा कि इस पर्व को मनाते हुए हमें ये भी याद रखना चाहिए कि पेड़-पौधों की रक्षा करना सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए दिया गया अमूल्य तोहफा है।
राज्यपाल ने अंत में सभी से आह्वान किया:
“आइए, इस हरेला पर्व पर हम सब मिलकर संकल्प लें — हर हाथ से लगे एक पेड़, हर दिल से जुड़े प्रकृति से, ताकि हमारा उत्तराखंड हमेशा हरा-भरा और खुशहाल रहे।”
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