Dehradun
ओएनजीसी को देहरादून से शिफ्ट करने की तैयारी, मुख्यमंत्री धामी से स्टाफ यूनियन ने लगाई गुहार।

देहरादून – देश के सर्वाधिक मूल्यवान निगमों में से एक तेल एवं प्राकृतिक गैस लिमिटेड (ओएनजीसी) देहरादून स्थित मुख्यालय को स्थानांतरित (शिफ्ट) करने की चर्चाएं एक बार फिर गरमा रही हैं। चर्चा की वजह ओएनजीसी स्टाफ यूनियन का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखा पत्र है, जिसमें उनसे निगम मुख्यालय से विभागों और अनुभागों को शिफ्ट करने की कवायद पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

यूनियन के महामंत्री अजय शर्मा ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र सौंपे जाने की पुष्टि की है। यूनियन ने मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय भी मांगा है। यूनियन को आशंका है कि जिस तरह से एक-एक कर प्रमुख विभागों को नई दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा, वह देर-सबेर मुख्यालय की पूरी तरह से शिफ्टिंग की संभावना का संकेत कर रहा है। हालांकि, यूनियन के अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने चेता दिया है कि वह ओएनजीसी मुख्यालय को देहरादून से शिफ्ट करने की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।
यूनियन की आशंका बेबुनियाद नहीं है। 2018 में ओएनजीसी का स्थायी खाता संख्या (पैन) देहरादून से दिल्ली स्थानांतरित करने का प्रयास हुआ था। ओएनजीसी ने उत्तराखंड के मुख्य आयकर आयुक्त को इस संबंध में पत्र लिखा था। यूनियन के विरोध में विराम लगा था। मुख्यमंत्री को भेजे यूनियन के पत्र के मुताबिक, पिछले दो दशक में देहरादून मुख्यालय से कई प्रमुख विभाग स्थानांतरित हो चुके हैं और यह सिलसिला जारी है। जो विभाग व अनुभाग देहरादून से स्थानांतरित हो चुके हैं, उनमें मुख्य स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण, कारपोरेट खाते, कारपोरेट बजट, कॉरपोरेट एमएम, केंद्रीय पेरोल, हेड स्पोट्र्स, ओएनजीसी फुटबॉल व हॉकी टीम, ईडी-सुरक्षा, मुख्य भूभौतिकीय सेवाएं, कारपोरेट सतर्कता व प्री-ऑडिट विभाग प्रमुख हैं।
यूनियन को अंदेशा है कि देहरादून मुख्यालय से एससी और एसटी सेल, कारपोरेट डीएंडए, कारपोरेट नीति, कारपोरेट प्रतिष्ठान, सीपीएफ ट्रस्ट, पीआरबीएस ट्रस्ट, सीएसएसएस ट्रस्ट, सहयोग ट्रस्ट, ग्रेच्युटी ट्रस्ट को शिफ्ट किया जा सकता है। नए भर्ती किए गए स्नातक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण के लिए स्थापित ओएनजीसी अकादमी और जीटी हॉस्टल को गोवा भेजने की संभावना है।
पत्र में कहा गया कि देहरादून ओएनजीसी मुख्यालय में कभी 2,800 से अधिक कर्मचारी थे। इनकी संख्या घट कर 1,300 के आसपास रह गई है। जो स्थायी कर्मचारी तैनात हैं, उन्हें भी स्थानांतरित होने की आशंका है।
ओएनजीसी अपने कर्मचारियों का सालाना करीब 8,000 करोड़ रुपये से ऊपर आय कर जमा करता है। उत्तराखंड की ओर से आय कर का सबसे बड़ा अंश ओएनजीसी की ओर से ही जमा होता है। इस लिहाज से ओएनजीसी उत्तराखंड की आर्थिकी में अहम भूमिका मानी जाती है। हाइड्रो कार्बन उद्योग के संस्थापक केशव देव मालवीय द्वारा देहरादून में ओएनजीसी की आधारशिला रखने से लेकर आज तक इस संस्थान से उत्तराखंड की अलग ख्याति है।
सितंबर 2002 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री राम नायक ने आश्वस्त किया था कि ओएनजीसी मुख्यालय देहरादून में ही रहेगा। जुलाई 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी सरकार में भी ओएनजीसी मुख्यालय को बदलने की चर्चाएं हुई थीं। मई 2018 में ओएनजीसी ने अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) को देहरादून से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए आवेदन किया था। तब यूनियन के अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट धरने पर बैठ गए थे। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी आश्वस्त किया था कि ओएनजीसी के बारे में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा, जिससे उत्तराखंड पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दखल पर ओएनजीसी ने पत्र लिखकर अवगत कराया था कि ओएनजीसी के पैन को दिल्ली स्थानांतरित नहीं किया जा रहा।
चीफ ईआर के अधीन 11 कार्यालय हैं, उन्हें दिल्ली के बजाय देहरादून में बैठना चाहिए। चीफ एचआरडी को देहरादून स्थानांतरित किया जाए। मुख्य भू भौतिकीय सेवाओं को देहरादून में होना चाहिए, क्योंकि मुंबई में एक भी जीपीएस फील्ड पार्टी नहीं है। कारपोरेट खाते, कारपोरेट बजट, कारपोरेट एमएम, सतर्कता, प्री-ऑडिट और ओएनजीसी फुटबाल एवं हॉकी टीम को देहरादून शिफ्ट करना चाहिए।
ओएनजीसी स्टॉफ यूनियन अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट देहरादून ने कहा कि केंद्रीय संस्थानों से देहरादून की अलग पहचान है। यह मसला रोजगार और अर्थव्यवस्था से जुड़ा है, लेकिन धीरे-धीरे एक-एक कर केंद्रीय संस्थानों को यहां से शिफ्ट किया जा रहा है। ओएनजीसी के देहरादून मुख्यालय को शिफ्ट करने की साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। ऐसा पहले भी करने की कोशिश हुई थी, लेकिन यूनियन के विरोध से यह नाकाम हो गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। हमने मुख्यमंत्री को पत्र सौंप दिया है।
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महिलाओं पर आधारित पुस्तक का राज्यपाल ने किया विमोचन, लेखकों को दी बधाई

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शनिवार को राजभवन में “माउंटेन्स ऑफ लेबर, करन्ट्स ऑफ चेंज-वुमैंस लाइवलीहुड एंड इकोनॉमिक ट्रांजिशंस इन द हिमालयन रीजन एंड उत्तराखण्ड’’ पुस्तक का विमोचन किया।
महिलाओं पर आधारित पुस्तक का राज्यपाल ने किया विमोचन
भारतीय हिमालयी क्षेत्र में महिलाओं की आजीविका और आर्थिक परिवर्तन पर आधारित ये पुस्तक दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, प्रो. राजेन्द्र पी. ममगाईं और श्रुति ढौंडियाल द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई है। राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण ही विकास की वास्तविक आधारशिला है। विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह अनिवार्य है कि महिलाएं सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की अग्रदूत बनें।
लेखकों की टीम को राज्यपाल ने दी बधाई
बता दें कि “वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च” पर आधारित यह शोधकृति उत्तराखण्ड के छह जिलों के 900 परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। अध्ययन में मात्रात्मक आंकड़ों के साथ-साथ साक्षात्कारों, समूह चर्चाओं और क्षेत्रीय अवलोकन से प्राप्त जानकारियों को भी सम्मिलित किया गया है।
पुस्तक के विमोचन अवसर पर राज्यपाल ने लेखकों और दून विश्वविद्यालय की शोध टीम को बधाई देते हुए कहा कि ये अध्ययन “वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च” पहल की भावना को साकार करता है। जिसका उद्देश्य उत्तराखण्ड की स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित प्रभावी और व्यावहारिक शोध को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल महिला सशक्तीकरण को नई दिशा प्रदान करेगी, बल्कि नीति-निर्माण के क्षेत्र में भी उपयोगी साबित होगी।
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रजत जयंती समारोह की तैयारियां जोरों पर, मुख्य सचिव ने लिया जायजा

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने शनिवार को एफआरआई देहरादून जाकर उत्तराखण्ड रजत जयंती समारोह के दौरान 9 नवम्बर को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया।
रजत जयंती समारोह की तैयारियों का मुख्य सचिव ने लिया जायजा
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने आज एफआरआई पहुंचकर रजत जयंती महोत्सव की तैयारियों का जायजा लिया। मुख्य सचिव ने इस अवसर पर सभी सम्बन्धित अधिकारियों से तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि नौ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे को देखते हुए सुरक्षा सहित सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंध की जाएं।
सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव ने कहा कि 9 नवम्बर को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में लगभग 60 से 70 हज़ार लोगों के शामिल होने की संभावना को देखते हुए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कि जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि आमजन को प्रवेश और निकासी में किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को देखते हुए यातायात और पार्किंग प्लान को वृहद स्तर पर बनाया जाए ताकि आमजन के कार्यक्रम में पहुंचने के साथ ही शहर के यातायात में किसी प्रकार की समस्या ना हो।
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राजभवन में दिखी सभी राज्यों की झलक, राज्यपाल बोले- ऐसे कार्यक्रम दर्शाते हैं भारत की एकता

राजभवन में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस मनाया गया। इस दौरान इन राज्यों के उत्तराखण्ड में निवास कर रहे लोगों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुतियां दी। जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस मनाया गया उनमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु़, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, पुड्डुचेरी, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप शामिल हैं।
राजभवन में दिखी सभी राज्यों की झलक
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को स्थापना दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के स्थापना दिवसों को मनाए जाने की इस पहल से सामाजिक एकीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिल रहा है।
ऐसे कार्यक्रम दर्शाते हैं भारत की एकता – राज्यपाल गुरमीत सिंह
राज्यपाल ने कहा कि ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ विचारधारा से प्रेरित यह कार्यक्रम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय एकता की भावना, आपसी समझ और सम्मान की भावना को बढ़ाता है। राज्यपाल ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारत की विविधता को एकता के रूप में दर्शाते हैं साथ ही हम सब को एक परिवार के रूप में जोड़ने का कार्य करते हैं।
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