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रक्षाबंधन की रौनक से हरिद्वार के बाजार गुलज़ार, भाई-बहन के प्रेम का पर्व कल धूमधाम से मनाया जाएगा

रक्षाबंधन की रौनक से हरिद्वार के बाजार गुलज़ार, भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन इस बार 9 अगस्त को पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
हरिद्वार: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन इस बार 9 अगस्त को पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। पर्व की तैयारी को लेकर हरिद्वार के बाजारों में खूब चहल-पहल देखने को मिल रही है।
शहर के मुख्य बाजारों में राखियों की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी है, और रंग-बिरंगी, डिजाइनर राखियों से बाजार सज उठे हैं। बच्चों के लिए कार्टून थीम वाली राखियां, तो बड़ों के लिए कलावे और धार्मिक प्रतीकों से सजी राखियां खूब पसंद की जा रही हैं।
त्यौहार को लेकर मिठाई और गिफ्ट की दुकानों पर भी रौनक चरम पर है। बहनें अपने भाइयों के लिए मनपसंद राखी चुनने में जुटी हैं, वहीं भाई भी अपनी बहनों के लिए खास तोहफों की तलाश कर रहे हैं।
इस बार सावन का समापन और रक्षाबंधन एक ही दिन यानी 9 अगस्त को पड़ रहा है, जिससे पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। पंडितों के अनुसार, इस दिन बहनों को लाल वस्त्र और भाइयों को हरे रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी गई है, जिससे भाई-बहन का प्रेम और भी प्रगाढ़ हो।
पर्व की भावना को समर्पित एक पंक्ति इस मौके पर खूब प्रासंगिक लगती है:
“जैसे चंदन और रोली से श्रृंगार नहीं होता,
वैसे ही बहनों के बिना रक्षाबंधन और भाई दूज का त्योहार नहीं होता।
रह जाते हैं वह घर आंगन सुने, जिन घरों में बेटी का अवतार नहीं होता।”
हरिद्वार में यह पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव के रूप में भी खास महत्व रखता है। प्रशासन द्वारा भी बाजारों में सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर तैयारी की गई है।
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दिवाली से पहले बार-बार दिखाई दे रही हैं ये चीजें, तो समझिए खुलने वाली है आपकी किस्मत

त्यौहारी सीजन शुरू हो गया है और दिवाली की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। दीवाली से पहले कुछ चीजों का दिखना काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में इन दिनों अगर कुछ चीजें आपको बार-बार दिखाई दे रही हैं तो वो आपको लक्ष्मी जी के आगमन का संकेत देती हैं।
दिवाली से पहले ये चीजें दिखने से खुल जाएगी आपकी किस्मत
दिवाली से पहले लोग कई दिनों पहले से ही सफाई में जुट जाते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि साफ-सफाई से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। अगर ऐसे में आपको घर की सफाई करने के दौरान मोर पंख मिलता है तो ये एक शुभ संकेत है। ये मां लक्ष्मी के आपके घर में आगमन का संकेत देता है। ऐसी मान्यता है कि मोरपंख मिलने का अर्थ ये माना जाता है कि घर के सदस्यों पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बरसने वाली है।
ये जानवर दिखना है बेहद शुभ
दिवाली से पहले कुछ जानवरों का घर आना या घर के आसपास देखा जाना भी बेहद ही शुभ माना जाता है। जिसमें उल्लू, छिपकली, छछूंदर या काली चींटी शामिल हैं। अगर इऩमें से कुछ भी आपके घर आते हैं या आसपास देखे जाते हैं तो इसे मां लक्ष्मी के प्रसन्न होने के रूप में देखा जाता है। अगर इन दिनों में रोजाना आपके घर के बाहर गाय आती है तो इसे भी शुभ संकेत माना जाता है। ऐसे में आपको गौ माता को रोटी जरूर खिलानी चाहिए।
सपनों में ये दिखना है अच्छा संकेत
diwali से पहले कुछ दिनों में आने वाले सपने भी खास संकेत देते हैं। स्वप्न शास्त्र में माना गया है कि अगर दीवाली से पहले सपने में शंख, ऊं या फिर देवी-देवताओं के दर्शन होना बेहद ही शुभ संकेत है।
इसके साथ ही अगर आप सपने में कोई मंदिर देखते हैं या फिर खुद को किसी मंदिर में जाते हुए देखते हैं तो इसका अर्थ है कि दिवाली पर आपके घर धन की देवी मां लक्ष्मी आने वाली है। आप पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसने वाली है।
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Janmashtami 2025: जन्माष्टमी आज, मध्यरात्रि से 12:43 तक पूजन का शुभ मुहूर्त, इन नियमों का करें पालन

जन्माष्टमी का पर्व आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का पर्व आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूजन मध्यरात्रि से लेकर रात 12:43 बजे तक करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मंदिरों और घरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की पूजा की जाती है।
पूजन के नियम और सावधानियां:
व्रत के दिन सात्विकता का विशेष ध्यान रखें, मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
उपवास के दौरान अन्न ग्रहण न करें, केवल फलाहार या जल से व्रत रखें।
भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से पंचामृत स्नान कराएं।
श्रीकृष्ण जन्म के समय शंख, घंटी और मृदंग बजाएं, साथ ही ‘नंद के आनंद भयो’ जैसे भजन गायें।
रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म होते ही झूले में बालगोपाल को विराजमान करें और उनका आरती करें।
इस अवसर पर श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। कई स्थानों पर दही हांडी का आयोजन भी किया जाता है, जो श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं की स्मृति दिलाता है।
यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, करुणा और धर्म की शक्ति का संदेश भी देता है।
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