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सफला एकादशी का व्रत रखने से पूरी होंगी मनोकामनाएं , ऐसे करें व्रत का पारण…

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Safala Ekadashi Vrat paran: ऐसे पूरी होंगी मनोकामनाएं
पौष महीने की कृष्ण पक्ष की Safala Ekadashi Vrat katha को बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि, भगवन विष्णु को ये व्रत बहुत प्रिय है। इस दिन व्रत रखकर उनकी पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं भगवान् जरूर पूरी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पर व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को safala ekadashi vrat के रूप में जाना जाता है। इस दिन जो भी भक्त व्रत रख कर भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस बार सूर्य के गौचर होने और खरमास शुरू होने से से व्रत और भी ख़ास है। जो भी भक्त इस सुबह मुहूर्त में दान करेंगे उसका फल दोगुना हो जाएगा।

कब है Safala Ekadashi Vrat Katha का मुहूर्त
इस बार सफला एकादशी 15 और 16 दिसंबर को मनाई जाएगी। जिसमें 15 दिसंबर को व्रत रखें और 16 दिसंबर को व्रत का पारण किया जाएगा। इस बार एकादशी का शुभारम्भ रविवार शाम 06 बजकर 49 मिनट से हो चुका है जो सोमवार 15 दिसंबर रात 09:19 रहेगा। उदया तिथि की प्रधानता के मुताबिक एकादशी सोमवार 15 दिसंबर को ही मनाई जाएगी। इस दिन तुलसी माता की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शाम के समय तुलसी माँ को सुहाग का सामान और वस्त्र अर्पित कर दिया जलाना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन पर भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की व्रत रखकर पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस बार व्रत के पारण का दिन है ख़ास
इस बार safala ekadashi vrat के पारण के लिए बहुत ही शुभ दिन है। जिससे दान करने वालों को दोगुना फायदा होगा। इस बार सूर्य के गौचर हो जाने और खरमास शुरू होने से ये व्रत ख़ास बन गया है। 16 दिसंबर को व्रत का पारण करने के लिए सुबह 7 बजकर 7 मिनट से 9 बजकर 11 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। ग्रहों की बात करें तो इस दिन पर सूर्य, बुश और शुक्र ग्रह एक ही साथ वृश्चिक राशि में हैं। इसके साथ ही शोभन और बुधादित्य योग भी बन रहा है।
कैसे करें Safala ekadshi vrat का पारण
safala ekadashi के पारण में मंगलवार 16 दिसंबर को द्वादशी की सुबह स्नान, पूजा और दान के बाद किया जाता है, जिसमें सूर्य देव को जल, भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा, तुलसी पत्ता खाकर फिर सात्विक भोजन (चावल मुख्य) और दान-दक्षिणा के बाद ही अन्न ग्रहण करना होता है, जिससे व्रत पूर्ण और सफल माना जाता है।
( डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इसमें व्यक्त विचारों, तथ्यों या दावों की सत्यता की पुष्टि जनमंच टीवी द्वारा नहीं की जाती है। )
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UNESCO heritage सूची में शामिल हुआ दिवाली का त्यौहार, अब तक केवल 20 त्यौहारों को मिला है स्थान

Diwali in UNESCO Heritage : खुशियों के त्यौहार दिवाली को यूनेस्को की सूची में शामिल कर लिया गया है। Diwali का पर्व अब आधिकारिक रूप से यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल हो गया है।
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UNESCO की हेरिटेज सूची में शामिल हुई दिवाली (Diwali in UNESCO Heritage)
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची यानी कि UNESCO Heritage List में दिवाली ने अपनी जगह बना ही ली है। साल 2025 की सूची के साथ ये घोषणा की गई है। जिसके बाद से पूरे देश में खुशी का माहौल है। आपको बता दें कि इस सूची में दुनिया की केवल 20 धरोहरों को जगह मिली है।

UNESCO Heritage List क्या है ?
UNESCO का मुख्य उद्देश्य दुनिया की अनमोल धरोहरों की पहचान कर उनकी सुरक्षा करना है। इसी के तहत World Heritage List बनाई गई है। जिसमें दो तरह की धरोहरें सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरें शामिल होती हैं। इसके साथ ही एक और श्रेणी इसके तहत आती है जो कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर है। इसके तहत त्योहार, परंपराएँ, नृत्य, संगीत, रिवाज़ आदि को संरक्षित किया जाता है।

क्या है यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर ?
अब आपको बताते हैं कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर क्या है जिसमें दिवाली को शामिल किया गया है। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर उन परंपराओं और रीति-रिवाज़ों को कहा जाता है जो किसी देश या समाज की संस्कृति का जीवंत हिस्सा होते हैं।
ये ऐसी धरोहरें हैं जिन्हें छुआ नहीं जा सकता, लेकिन लोग उन्हें अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में निभाते हैं। इसमें दुनियाभर के कई त्योहार, नृत्य, संगीत, लोकगीत, कहानियाँ आदि आते हैं। ये धरोहरें अपने समुदाय की पहचान होती हैं और इस वैश्वीकरण के दौर में भी अपनी पहचान बनाए हुए है।

यूनेस्को की सूची में शामिल भारत की धरोहरें
भारत की कई परंपराएँ जैसे रामलीला, गरबा, दुर्गा पूजा, योग, छाऊ नृत्य, कुंभ मेला, कालबेलिया नृत्य इस सूची में पहले से शामिल हैं। बता दें कि इसमें से प्रमुख नौरोज (2016), जंडियाला गुरु (पंजाब) के ठठेरों की धातु कला (2014), मणिपुर का संकीर्तन (2013), लद्दाख की बौद्ध मंत्रोच्चार परंपरा (2012), कुंभ मेला (2017), छऊ नृत्य, कालबेलिया नृत्य और मुदियेट्टू (2010), गढ़वाल का रम्माण पर्व (2009), तथा कुटियाट्टम संस्कृत थिएटर, रामलीला और वैदिक मंत्र (2008) और कोलकाता की दुर्गा पूजा (2021 शामिल हैं। इन धरोहरों को इस सूची में शामिल करने का मकसद है इन्हें पहचान देना, सुरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है।
Diwali in UNESCO Heritage – FAQs
1. दिवाली को किस सूची में शामिल किया गया है?
दिवाली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है।
2. दिवाली को कब UNESCO Heritage में शामिल किया गया?
साल 2025 की सूची में दिवाली को आधिकारिक रूप से शामिल किया गया है।
3. यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) क्या होती है?
यह उन परंपराओं, त्योहारों, नृत्य, संगीत, अनुष्ठानों और रिवाज़ों की सूची है जो किसी देश की जीवित संस्कृति का हिस्सा होती हैं। इन धरोहरों को छू नहीं सकते, लेकिन लोग इन्हें जीवन में निभाते हैं।
4. यूनेस्को Heritage List क्या है?
यूनेस्को की Heritage List दुनिया की अनमोल और महत्वपूर्ण धरोहरों—चाहे वे प्राकृतिक, सांस्कृतिक या अमूर्त हों—की पहचान और सुरक्षा के लिए बनाई गई वैश्विक सूची है।
5. दिवाली को UNESCO की सूची में शामिल करने का क्या महत्व है?
इससे दिवाली को वैश्विक मान्यता, सांस्कृतिक महत्व और विश्व स्तर पर सुरक्षा मिली है। साथ ही भारत की सांस्कृतिक छवि और मजबूत हुई है।
6. क्या UNESCO Heritage List में बहुत सारी धरोहरें शामिल होती हैं?
नहीं। 2025 की सूची में दुनिया की केवल 20 अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों को ही जगह मिली है।
7. भारत की और कौन-कौन सी परंपराएँ पहले से UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल हैं?
भारत की कई परंपराएँ पहले से शामिल हैं, जैसे:
- रामलीला
- वैदिक मंत्र
- कुटियाट्टम
- गरबा
- दुर्गा पूजा
- योग
- छऊ नृत्य
- कालबेलिया नृत्य
- मुदियेट्टू
- कुंभ मेला
- संकीर्तन (मणिपुर)
- लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार
- नौरोज़
- ठठेरों की धातु कला
- गढ़वाल का रम्माण पर्व
धर्म-कर्म
वृषभ राशिफल 9 दिसंबर 2025 : इस राशि के जातक आज रहें सावधान, वरना हो सकता है नुकसान

वृषभ राशिफल 9 दिसंबर 2025 (Taurus Horoscope) : वृषभ राशि वालों के लिए आज का दिन थोड़ा परेशानियों भरा रह सकता है। खासकर इस राशि के जातकों को वित्तिय मामलों में सावधानी बरतने की जरूरत है।
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वृषभ राशिफल 9 दिसंबर 2025 (Taurus Horoscope)
वृषभ राशि के जातकों को आज के दिन वित्तीय मामलों को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। इसके साथ ही आज वृषभ राशि वाले आज अगर अपनी वाणी पर सयंम रखते हैं तो वो इसके दम पर अच्छे परिणाम पा सकते हैं। जबकि प्रेम जीवन में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। Taurus Horoscope
वित्तीय मामलों से जुड़े फैसलों को कुछ समय के लिए टालें
वृषभ राशि के जातक अगर अपने काम में ध्यान लगाते हैं तो इनकी आय में वृद्धि हो सकती है। लेकिन आपको ये सलाह दी जाती है कि वित्तीय मामलों में आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसलिए वित्तीय मामलों में अभी कोई फैसला ना लें अन्यथा आपको नुकसान हो सकता है। फिलहाल इसे कुछ समय के लिए टाल दें।

कई दिनों से चली आ रही परेशानी का मिलेगा हल
वित्तिय मामलों के अलावा बात करें तो इस राशि (Taurus Horoscope) के जातकों के लिए ये समय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अनुकूल है। इसके साथ ही कार्यक्षेत्र में भी बेहतर कार्य करेंगे। सबसे खास बात बीते कुछ दिनों से जीवन में चली आ रही किसी परेशानी का आपको हल मिल सकता है। समाज में आपका सम्मान व रुतबा बढ़ेगा।
सेहत का रखें खास ख्याल
Taurus Horoscope (वृषभ राशि के जातकों) को सेहत के मामले में आज सतर्क रहने की जरूरत है। आज डायबिटीज या शुगर से जुड़ी समस्याओं से परेशान लोगों को अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए। आज थोड़ी ज्यादा थकान हो सकती है।
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उत्तराखंड मे शीतकालीन चारधाम यात्रा की हुई शुरूआत, गंगा आरती ने किया यात्रा का मंगल शुभारंभ..

Winter Chardham Yatra : मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा में गंगा आरती के साथ शीतकालीन चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया है। अब शीतकाल में भी भक्त चारधामों के दर्शन कर सकते हैं।
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Winter Chardham Yatra की हुई शुरूआत
मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा में गंगा आरती के साथ शीतकालीन चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया है। ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने भक्तों और साधु समाज के साथ मुखवा पहुंचे। जहां से उन्होंने पण्डा समाज के साथ मां गंगा की आरती की ओर शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ किया।

अब यात्री कर पाएंगे मां गंगा जी की विग्रह मूर्ति के दर्शन
अब शीतकालीन प्रवास में मां गंगा जी की विग्रह मूर्ति और शीतकालीन यात्रा के दौरान आगंतुक चारधाम यात्री अपने परिवार के साथ दर्शन कर पाएंगे। आपको बता दें कि सर्दियों की शुरूआत के साथ ही केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट बंद हो जाते हैं। लेकिन कपाट बंद होने के साथ ही देवडोलियां शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए रवाना हो जाती हैं और शीतकालीन गद्दीस्थलों पर ही शीतकाल में दर्शन होते हैं।

शीतकाल में यहां होती है चारधाम की पूजा
शीतकाल के लिए माता यमुना की शीतकालीन पूजा खरसाली में होती है। जबकि गंगोत्री धाम की प्रतिमा मुखबा गांव में विराजमान होती है। इन्हीं स्थानों पर शीतकाल के लिए मां गंगा और यमुना की पूजा की जाती है।
शीतकाल में बाबा केदार शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर विराजते हैं। जबकि भगवान बद्रीनारायण की शीतकाल में बद्रीविशाल भगवान की पूजा पांडुकेश्वर और नृसिंह भगवान मंदिर ज्योतिर्मठ में होती है। इन चार स्थलों पर सर्दियों में विशेष पूजा होती है।
Winter Chardham Yatra – FAQs
1. सर्दियों में चारधाम की पूजा कहां होती है?
सर्दियों में चारधाम की पूजा उनके शीतकालीन गद्दीस्थलों पर होती है।
2. यमुनोत्री धाम की शीतकालीन पूजा कहां होती है?
माता यमुना की शीतकालीन पूजा खरसाली गांव में होती है।
3. गंगोत्री धाम की प्रतिमा सर्दियों में कहां विराजमान होती है?
मां गंगा की प्रतिमा सर्दियों में मुखबा गांव में स्थापित की जाती है।
4. केदारनाथ धाम के बाबा केदार सर्दियों में कहां विराजते हैं?
बाबा केदार की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है।
5. बद्रीनाथ भगवान की सर्दियों में पूजा कहां की जाती है?
शीतकाल में भगवान बद्रीनारायण की पूजा पांडुकेश्वर स्थित योगध्यान बद्री मंदिर तथा ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में की जाती है।
6. क्या सर्दियों में भी चारधाम जैसा ही दर्शन संभव है?
हाँ, भक्त इन शीतकालीन स्थलों पर चारधाम जैसा ही भाव और अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
7. क्या Winter Chardham Yatra आधिकारिक रूप से आयोजित होती है?
हाँ, राज्य प्रशासन और देवस्थानम बोर्ड द्वारा इन गद्दीस्थलों पर विधि-विधान से पूजा और दर्शन की व्यवस्था की जाती है।
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