Bageshwar
बच्ची की मौत के बाद वन विभाग ने उठाए कदम, गुलदार हुआ कैद…

बागेश्वर: कांडा तहसील के अंतिम छोर पर स्थित औलानी गांव में हाल ही में एक दो वर्षीय मासूम बच्ची को गुलदार ने अपना निवाला बना लिया था। इस घटना के बाद वन विभाग ने गांव में ट्रैप कैमरे, पिंजरे, और फोर्स ट्रैकुलाइज गन एक्स्पर्ट रेस्क्यू टीम की तैनाती की थी।
शनिवार शाम को रेस्क्यू टीम को नरगोली गांव में एक गाय पर गुलदार के हमले की सूचना मिली। रेस्क्यू टीम के प्रभारी डॉ. हिमांशु पांगती ने तत्परता दिखाते हुए रात्रि प्राथमिक विद्यालय में मोर्चाबंदी की और मात्र एक घंटे के भीतर गुलदार को ट्रैकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर दिया।
हालांकि, औलानी और नरगोली गांव की महिलाओं ने इस गुलदार को वही मानने से इंकार कर दिया, जिसने बच्ची को बचाने में मदद की थी। इस घटना ने ग्रामीणों में भय और दहशत का माहौल और बढ़ा दिया है।
प्रभागीय वनाधिकारी बागेश्वर, ध्रुव मर्तोलिया ने जानकारी दी कि गुलदार के सैम्पलिंग की जा रही है। यदि पुष्टि होती है कि यह वही गुलदार है, तो आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। अन्यथा, रेस्क्यू टीम सहित सभी संसाधन गांव में बने रहेंगे। उन्होंने ग्रामीणों से धैर्य और सावधानी बरतने की अपील की है।
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Cricket
कौन है रोहित शर्मा को 0 पर आउट करने वाले Devendra Singh Bora , जानिए उनकी पूरी जीवनी…

Devendra Singh Bora : संघर्ष से सुर्खियों तक, उत्तराखंड के तेज़ गेंदबाज़ की पूरी कहानी
भारतीय घरेलू क्रिकेट में हर साल कई खिलाड़ी आते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जिनका एक पल उन्हें पहचान दिला देता है। Devendra Singh Bora उन्हीं नामों में से एक हैं। विजय हज़ारे ट्रॉफी में मुंबई के खिलाफ मैच के दौरान रोहित शर्मा को पहली ही गेंद पर आउट कर देना केवल एक विकेट नहीं था, बल्कि यह उस मेहनत, धैर्य और सपने का नतीजा था, जो वर्षों से एक युवा गेंदबाज़ के भीतर पल रहा था।
यह लेख Devendra Singh Bora की पूरी जीवनी है। इसमें उनका शुरुआती जीवन, क्रिकेट सफर, घरेलू करियर, खेल शैली, उपलब्धियां और भविष्य की संभावनाएं विस्तार से बताई गई हैं।
Table of Contents
Devendra Singh Bora का शुरुआती जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
उत्तराखंड की टीम की ओर से विजय हज़ारे ट्रॉफी में खेल रहे Devendra Singh Bora मूल रूप से एक पहाड़ी खिलाड़ी हैं। Devendra Singh Bora उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के रहने वाले हैं और बीते दो वर्षों से राज्य की सीनियर टीम का हिस्सा बने हुए हैं।

उन्होंने साल 2024 में अपने घरेलू करियर की एक अहम शुरुआत की, जब उन्होंने देहरादून में पुडुचेरी के खिलाफ अपना पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेला। यह मुकाबला उनके लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में प्रवेश का बड़ा मौका साबित हुआ।
अगर लिस्ट-ए क्रिकेट की बात करें, तो देवेंद्र सिंह बोरा अब तक उत्तराखंड के लिए दो मैच खेल चुके हैं, जिसमें उन्होंने चार अहम विकेट अपने नाम किए हैं। सीमित मौकों के बावजूद उनका प्रदर्शन यह दिखाता है कि वे टीम के लिए उपयोगी और भरोसेमंद गेंदबाज़ बनकर उभर रहे हैं।
देवेंद्र सिंह बोरा का जन्म 6 दिसंबर 2000 को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में हुआ। पहाड़ी राज्य से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना आसान नहीं होता, क्योंकि यहां न तो बड़े क्रिकेट मैदान हैं और न ही सुविधाओं की भरमार। फिर भी, देवेंद्र के परिवार ने उनके सपनों को सीमित नहीं होने दिया।
शिक्षा और क्रिकेट की शुरुआत
Devendra Singh Bora ने अपनी शुरुआती पढ़ाई उत्तराखंड से ही पूरी की। पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट को संतुलन में रखना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी खेल को बोझ नहीं बनने दिया।
- स्कूल स्तर पर तेज़ गेंदबाज़ के रूप में पहचान
- स्थानीय टूर्नामेंटों में लगातार विकेट
- जिला और फिर राज्य टीम तक चयन
यहीं से उनका सफर धीरे-धीरे गंभीर होता गया। उत्तराखंड की घरेलू क्रिकेट संरचना में जगह बनाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि थी।

घरेलू क्रिकेट में एंट्री
Devendra Singh Bora ने उत्तराखंड के लिए फर्स्ट क्लास और लिस्ट-ए क्रिकेट खेलना शुरू किया। शुरुआत में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन जब भी गेंद थमाई गई, उन्होंने खुद को साबित किया।
फर्स्ट क्लास करियर
- सीम और स्विंग पर भरोसा
- लंबी स्पेल डालने की क्षमता
- दबाव में विकेट निकालने का माद्दा
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 15 मैचों में 3.5 की इकॉनमी से 30 विकेट लेकर यह दिखा दिया कि वे सिर्फ फिलर खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि मैच जिताने की क्षमता रखते हैं।
लिस्ट-ए और विजय हज़ारे ट्रॉफी
विजय हज़ारे ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट युवा खिलाड़ियों के लिए बड़ा मंच होते हैं। यहां प्रदर्शन सीधे चर्चा में आ जाता है। देवेंद्र के साथ भी यही हुआ। लिस्ट – ए मे Devendra Singh Bora ने इस मुक़ाबले से पहले 2 मैच ही खेले थे जिसमे उन्हे 4 विकेट प्राप्त है ।
रोहित शर्मा का ऐतिहासिक विकेट
जयपुर में खेले गए उत्तराखंड बनाम मुंबई मैच में Devendra Singh Bora को नई गेंद सौंपी गई। सामने थे भारतीय टीम के कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज़ रोहित शर्मा।
पहली ही गेंद…
- सटीक लाइन
- हल्की मूवमेंट
- रोहित शर्मा का कैच आउट
गोल्डन डक।
यह पल Devendra Singh Bora के करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया। सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट विशेषज्ञों तक, हर कोई पूछने लगा – ये देवेंद्र सिंह बोरा कौन हैं?
गेंदबाज़ी शैली और ताकत
Devendra Singh Bora को सिर्फ एक विकेट से आंकना गलत होगा। उनकी गेंदबाज़ी में कई खास बातें हैं।
गेंदबाज़ी की मुख्य विशेषताएं
- राइट आर्म फास्ट-मीडियम
- नई गेंद से स्विंग कराने की क्षमता
- अनुशासित लाइन-लेंथ
- डेथ ओवर्स में नियंत्रण
वह बहुत ज्यादा आक्रामक दिखने की कोशिश नहीं करते। उनकी ताकत सादगी और निरंतरता है।
मानसिक मजबूती और मैदान पर सोच
Devendra Singh Bora की सबसे बड़ी ताकत उनकी मानसिकता है। बड़े नामों के सामने गेंदबाज़ी करते वक्त घबराहट नहीं, बल्कि आत्मविश्वास दिखता है।
- विकेट के बाद जश्न सीमित
- अगली गेंद पर पूरा फोकस
- कप्तान की योजना के अनुसार गेंदबाज़ी
यही गुण उन्हें एक भरोसेमंद घरेलू गेंदबाज़ बनाते हैं।
उत्तराखंड क्रिकेट के लिए अहम नाम
उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए Devendra Singh Bora का उभरना प्रेरणादायक है। उनका प्रदर्शन यह साबित करता है कि सही मेहनत और धैर्य से छोटे क्रिकेटिंग सिस्टम से भी बड़े खिलाड़ी निकल सकते हैं।
आज वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि उत्तराखंड के युवा क्रिकेटरों के लिए रोल मॉडल बनते जा रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएं
देवेंद्र सिंह बोरा अभी अपने करियर की शुरुआती अवस्था में हैं। उम्र उनके पक्ष में है और अनुभव लगातार बढ़ रहा है।
आने वाले वर्षों में संभावनाएं
- घरेलू क्रिकेट में नियमित स्थान
- आईपीएल ट्रायल और चयन की उम्मीद
- इंडिया ए या राष्ट्रीय चयन की दौड़
अगर फिटनेस और निरंतर प्रदर्शन बना रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब देवेंद्र बड़े मंच पर नजर आएंगे।
व्यक्तिगत जीवन
देवेंद्र अपने निजी जीवन को सुर्खियों से दूर रखते हैं।
- साधारण जीवनशैली
- परिवार से गहरा जुड़ाव
- सोशल मीडिया पर सीमित लेकिन सकारात्मक मौजूदगी
वे मैदान पर अपने खेल से बात करना पसंद करते हैं।
निष्कर्ष
देवेंद्र सिंह बोरा की कहानी सिर्फ एक विकेट की कहानी नहीं है। यह कहानी है संघर्ष, धैर्य और सही मौके पर सही प्रदर्शन की। रोहित शर्मा को गोल्डन डक पर आउट करना भले ही सुर्खियों में रहा हो, लेकिन उनकी असली पहचान उनकी निरंतर मेहनत और क्रिकेटिंग समझ है।
उत्तराखंड क्रिकेट को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं, और भारतीय घरेलू क्रिकेट को एक ऐसा गेंदबाज़ मिला है, जो चुपचाप काम करता है और सही वक्त पर असर छोड़ता है।
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FAQs: देवेंद्र सिंह बोरा से जुड़े सवाल
Q1. देवेंद्र सिंह बोरा कौन हैं?
देवेंद्र सिंह बोरा उत्तराखंड के लिए खेलने वाले भारतीय घरेलू क्रिकेटर और तेज़ गेंदबाज़ हैं।
Q2. देवेंद्र सिंह बोरा ने रोहित शर्मा को कब आउट किया?
विजय हज़ारे ट्रॉफी में उत्तराखंड बनाम मुंबई मैच के दौरान उन्होंने रोहित शर्मा को पहली ही गेंद पर आउट किया।
Q3. देवेंद्र सिंह बोरा की गेंदबाज़ी शैली क्या है?
वे राइट आर्म फास्ट-मीडियम गेंदबाज़ हैं, जो स्विंग और लाइन-लेंथ पर भरोसा करते हैं।
Q4. क्या देवेंद्र सिंह बोरा आईपीएल खेल चुके हैं?
अब तक उन्होंने आईपीएल नहीं खेला है, लेकिन भविष्य में उनके चयन की संभावना है।
Q5. देवेंद्र सिंह बोरा का जन्म कब हुआ?
उनका जन्म 6 दिसंबर 2000 को हुआ।
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अच्छी खबर : 4 करोड़ 34 लाख से होगा गरुड़ बागेश्वर मोटर मार्ग का सुधारीकरण

अच्छी खबर : 4 करोड़ 34 लाख से होगा गरुड़ बागेश्वर मोटर मार्ग का सुधारीकरण
बागेश्वर : लम्बे समय से गरुड़ बागेश्वर मोटर मार्ग के सुधारीकरण की बात जोह रहे क्षेत्रीय लोगो के लिए राहत भरी खगबर है। विधायक पार्वती दास जी ने बताया कि जनपद बागेश्वर के विधानसभा क्षेत्र बागेश्वर में मानसखण्ड(राज्य योजना) के अन्तर्गत बागेश्वर प्रभाग के (चै0 52.200 से चै0 68.425) का 1.50 लेन मार्ग का सुधारीकरण का कार्य की शासन द्वारा वित्तीय स्वीकृति दी गयी है। कहा कि बागेश्वर प्रभाग के अन्तर्गत 17.425 किमी0 में 434.71 लाख की धनराशि से 1.50 लेन मार्ग का सुधारीकरण का कार्य किया जाएगा, जिसमे डिफेक्ट कटिंग, ब्लैक स्पॉट का निस्तारण, डामरीकरण व मोटर मार्ग का सुधारीकरण किया जाना है।विधायक ने धनराशि की स्वीकृति पर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी का समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से धन्यवाद व आभार व्यक्त किया है।


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SC ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई, 29 पट्टाधारकों को दी राहत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में खड़िया खनन पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट ने 29 वैध खनन पट्टा धारकों को तुरंत खनन शुरू करने की मंजूरी देते हुए कहा कि हाई कोर्ट कानूनी रूप से संचालित पट्टों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा सकता है।
SC ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई
सुप्रीम कोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक को गलत बताते हुए हटा दिया। हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक को गलत बताया। दअसल मामला एसएलपी (C) 23540/2025 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था जिसमें 17 फरवरी 2025 को उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बागेश्वर जिले में सोपस्टोन खनन गतिविधियों पर रोक जारी रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ -जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि सिर्फ नौ पट्टों में ही अनियमितताएं मिली थीं जबकि 29 पट्टाधारक पूरी तरह कानूनी रूप से खनन कर रहे थे। ऐसे में सभी पर एक समान रोक लगाना उचित नहीं है।

खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा: SC
कोर्ट ने ये भी माना कि खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था और स्थानियों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 29 पट्टाधारकों को अपने माइनिंग प्लान और पर्यावरण मंजूरी के अनुसार मशीनों के उपयोग की भी अनुमति दी ।
कोर्ट ने अपने पुराने आदेश (16 सितंबर 2025) का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि वह पहले ही पट्टाधारकों को पहले से निकाले और जमा किए गए सोपस्टोन को बेचने की अनुमति दे चुका है। बशर्ते वे पूरा रिकॉर्ड दें और तय रॉयल्टी का भुगतान करें।
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