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भारतीय सनातन संस्कृति के सिद्धांत आज के विज्ञान में साबित हो रहे हैं : मुख्यमंत्री धामी

देहरादून : भारतीय सनातन संस्कृति में ज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व जिन सिद्धांतों की खोज की थी, वे आज वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो रहे हैं। यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर विज्ञान धाम झाझरा में आयोजित कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेता, भारत रत्न स्वर्गीय डॉ. सी.वी. रमन को भावांजलि अर्पित करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून देश की पांचवी साइंस सिटी बन रही है, जो उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि साइंस सिटी हमारे राज्य को विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में भी एक ग्लोबल डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने में अहम् भूमिका निभाएगी। राज्य सरकार द्वारा तकनीक और नवाचार के उपयोग से सरकारी सेवाओं को पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जहां हम आज प्रदेश के प्रत्येक जनपद में एक ओर साइंस और इनोवेशन सेंटर, लैब्स ऑन व्हील्स, जीएसआई डैशबोर्ड, डिजिटल लाइब्रेरी, पेटेंट इनफार्मेशन सेंटर और स्टेम लैब्स के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं, वहीं, रोबोटिक, ड्रोन, सेमी कंडक्टर और प्री-इनक्यूबेशन लैब की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण नवाचारों को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक से भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नित-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। महान खगोलशास्त्री आर्यभट्ट, जिनके सिद्धांतों ने खगोल शास्त्र और गणित को सरल बनाया, आचार्य कणाद जिन्होंने हजारों साल पहले परमाणु की व्याख्या की, आचार्य नागार्जुन जिन्होंने सदियों पहले सोना, चांदी, तांबे, लौह, पारा व अभ्रक आदि का इस्तेमाल कर औषधीय भस्म बनाने की विधि तैयार की। महर्षि सुश्रुत जिन्होंने जटिल से जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए। ये सभी भारत के वो वैज्ञानिक स्तंभ हैं जिनके सिद्धांतों पर आज का आधुनिक विज्ञान स्थापित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, आज देश में डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी उन्नत तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे भारत वैश्विक तकनीकी क्रांति में अग्रणी भूमिका निभा सके। ये सभी उपलब्धियां भारत को आत्मनिर्भर और विज्ञान-प्रधान राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में टेक्नोलॉजी, डिजिटल गवर्नेंस, शोध एवं विकास, नई प्रौद्योगिकी तथा स्टार्टअप के अनुरूप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही, हम प्रदेश में साइंटफिक रिसर्च और लर्निंग को बढ़ावा देते हुए साइंस बेस्ड नॉलेज इकॉनमी को भी मजबूत किया जा रहा है।
विज्ञान में आगे बढ रहा देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत आज कोरोना वैक्सीन के विकास से लेकर ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों की खोज तक के कार्य आत्मनिर्भरता के मंत्र को अपनाकर कर रहा है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर उतरने वाला पहला देश बना दिया। जहां आदित्य स्1 मिशन के माध्यम से हमने सूर्य के रहस्यों को उजागर करने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया। वहीं अब गगनयान मिशन के तहत भारत जल्द ही अंतरिक्ष में मानव भेजने की तैयारी कर रहा है, जो हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों का एक और स्वर्णिम अध्याय होगा।
ई गवर्नेंस को बढावा दे रही है राज्य सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न सरकारी सेवाओं को ई-गवर्नेंस के अंतर्गत ऑनलाइन पोर्टल द्वारा सरल और सुलभ बनाने का कार्य किया जा रहा है। नागरिकों को ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, पेंशन प्रमाणपत्र समेत कई सेवाएं डिजिटल रूप से उपलब्ध की जा रही है। यही नहीं, कृषि के क्षेत्र में भी किसानों को तकनीक से जोड़ने हेतु राज्य में स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में ड्रोन तकनीक और सेंसर आधारित खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलगी। ई-टूरिज्म पोर्टल के माध्यम से पर्यटकों को ऑनलाइन बुकिंग और पर्यटन स्थलों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध किए जाने के भी प्रयास गतिमान हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ऐसे डैशबोर्ड की शुरुआत की गई है जो चारधाम यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को पहले ही मौसम पूर्वानुमान से लेकर अपनी यात्रा प्लान करने में मदद करेगा। यही नहीं, हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए डेटा एनालिटिक्स और सैटेलाइट इमेजरी का भी उपयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि ये सभी प्रयास उत्तराखंड को एक आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि यूकॉस्ट में राज्य का पहला कम्यूनिटी साइंस रेडियो भी प्रारम्भ होने रहा है जो विज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारियां हर घर तक पहुंचाने में सहायक होगा, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां इंटरनेट या अन्य संसाधन सीमित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी ही वो माध्यम हैं, जिससे हम आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाकर उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने के अपने विकल्प रहित संकल्प को साकार कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने इससे पहले निर्माणाधीन साइंस सिटी परियोजना के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया और साइंस म्यूजियम का अवलोकन भी किया।
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कैबिनेट की बैठक हुईं समाप्त, अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड और UCC पर बड़ा बदलाव!

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस बैठक में कुल पांच प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण फैसले उत्तराखंड के समाज और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े हुए हैं।
पहला बड़ा फैसला यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) से संबंधित था। कैबिनेट ने यूसीसी के तहत होने वाले शादी रजिस्ट्रेशन की समय सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब लोग जनवरी 2026 तक इस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा कर सकेंगे। यह कदम उन लोगों के लिए राहत का कारण बनेगा, जिन्हें रजिस्ट्रेशन में समय की कमी महसूस हो रही थी।
दूसरा अहम फैसला उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा कल्याण बोर्ड के गठन से जुड़ा था। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी, जिसके तहत अगर उत्तराखंड में ईसाई या अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपनी शिक्षण संस्थाएं (स्कूल) खोलना चाहते हैं, तो उन्हें अब इस बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इससे राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और विभिन्न समुदायों के बीच समानता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके अलावा, 19 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में कई अन्य प्रस्तावों और विधेयकों पर चर्चा की जाएगी। इन प्रस्तावों में राज्य की सेवा नियमावली से संबंधित प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिन पर कैबिनेट ने आज अपनी मुहर लगाई है।
आज की बैठक में लिए गए फैसलों से स्पष्ट हो गया कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा, समाज और कानून व्यवस्था में सुधार लाना है। इन फैसलों का असर आने वाले दिनों में उत्तराखंड के विकास पर महत्वपूर्ण पड़ सकता है।
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उत्तराखंड में आज भी भारी बारिश, पर्वतीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा; अलर्ट जारी!

देहरादून: उत्तराखंड में मानसून ने इस साल एक बार फिर से कहर बरपाया है। लगातार हो रही बारिश से राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी नुकसान हुआ है। कई संपर्क मार्गों के बाधित होने के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है, जबकि मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और बारिश की संभावना जताते हुए अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के अनुसार, राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जबकि देहरादून, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश का अनुमान है। इन जिलों में अलर्ट जारी करते हुए मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और नैनीताल जिलों में भी भारी बारिश हो सकती है, जिसके लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
राजधानी देहरादून में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे और हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। अधिकतम तापमान 32°C और न्यूनतम तापमान 24°C के आसपास रह सकता है।
मानसून में तबाही का सिलसिला जारी
मौसम की बेरुखी ने प्रदेश में भारी नुकसान पहुंचाया है। मानसून की बारिश में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 169 सड़कें अभी भी बाधित हैं। भारी बारिश से 40 लोग घायल हुए हैं और 13 लोग अब भी लापता हैं। प्रदेश भर में 1594 मकानों का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है, 63 मकान आधे से ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 40 मकान पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।
उत्तरकाशी में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
उत्तरकाशी में आई भीषण आपदा के बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। धराली में खीरगंगा से आए मलबे ने इलाके का नामोनिशान मिटा दिया था, लेकिन अब तक 1308 यात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। लापता लोगों की तलाश के लिए आधुनिक मशीनों और स्निफर डॉग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वहीं, सरकार ने सभी प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिया है और प्रशासनिक टीमों को राहत और बचाव कार्य में जुटने के निर्देश दिए गए हैं। इस आपदा ने यह फिर से साबित कर दिया है कि मानसून सीजन में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में यात्रा और आवागमन कितने खतरनाक हो सकते हैं।
सचेत रहने की अपील
मौसम विभाग ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए घरों से बाहर निकलने से पहले मौसम का पूर्वानुमान जरूर जांचें। इसके साथ ही प्रशासन ने सभी यात्रियों और आम जनता से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने का आग्रह किया है।
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