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टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी की बढ़ी मुश्किलें, उपराष्ट्रपति की नकल करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग।

नई दिल्ली – टीएमसी सांसद द्वारा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल किए जाने के मामले में सियासत गरमा गई है। एक वकील ने संसद भवन के परिसर में उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने वाले टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी है।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी
पुलिस अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि बीती शाम डिफेंस कॉलोनी पुलिस स्टेशन में अभिषेक गौतम नाम के एक वकील ने शिकायत दी थी। हमने इस मामले को नई दिल्ली जिला पुलिस को भेज दिया है।
वकील ने की एफआईआर दर्ज करने की मांग
वकील ने शिकायत में कहा है कि वीडियो बनाने का मकसद भारत के उप-राष्ट्रपति का अपमान और बदनाम करने के लिए बनाया गया। वह किसान परिवार से आते हैं। ओबीसी कोटे से संबंध रखते हैं, साथ ही एक वकील हैं। वकील ने मांग की है कि टीएमसी सांसद और वीडियो में दिख रहे सभी लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा और आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
पीएम मोदी ने घटना पर जताया दुख
बीते मंगलवार को संसद में विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के दौरान बनर्जी ने जगदीप धनखड़ की नकल की थी। इसके बाद भाजपा ने टीएमसी सांसद का जमकर विरोध किया। धनखड़ ने इस घटना की निंदा की है। वहीं, बुधवार को उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन किया। उपराष्ट्रपति ने बताया कि पीएम ने इस घटना पर दुख जताया और कहा कि वह ऐसे अपमान 20 वर्षों से भी ज्यादा से झेलते आ रहे हैं।
नकल किए जाने पर जगदीप धनखड़ दुखी
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा नकल किए जाने पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ में दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि मैंने सदन स्थगित कर दिया है। आपको पता नहीं है कि लोगों के मन में इसके खिलाफ किस तरह की प्रतिक्रिया है।
साथ ही उन्होंने कहा कि गिरावट की हद होती है। कार्यवाही के दौरान उन्होंने कल्याण बनर्जी और कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा, चिदम्बरम जी आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं। कल्पना कीजिए कि जब आपके वरिष्ठ नेता एक सांसद द्वारा चेयरमैन संस्थान का मजाक उड़ाते हुए वीडियोग्राफी कर रहे हों, तो मेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी।
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ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का ये छुपा मंदिर, इतिहास, मान्यताएं और कैसे पहुंचें, यहां जानें सब कुछ

Bhadraj Temple : यूं तो उत्तराखंड में कई मंदिर है जो अपनी एक झलक से ही आपका दिल जीत सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मंदिर दूर पहाड़ों पर स्थित हैं। जहां हर कोई नहीं पहुंच पाता। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं और उनकी खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। ऐसा ही एक मंदिर पहाड़ों की रानी मसूरी में भी है जहां खुद बादल दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही यहां पर आप खूबसूरत ट्रैक (Bhadraj Track) का भी आनंद ले सकते हैं।
Table of Contents
ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का छुपा मंदिर Bhadraj Temple
उत्तराखंड में मसूरी में बादलों के बीच भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर भद्रराज मंदिर (Bhadraj Temple) स्थित है। ये मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर साढ़े सात हजार फीट की ऊँचाई पर बना हुआ है और अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है।

भद्रराज मंदिर की है ये मान्यता
ऐसी मान्याताएं हैं कि पौराणिक काल में दुधली पहाड़ी पर जौनपुर और पछवादून क्षेत्र के ग्रामीण इस पहाड़ी पर वर्षा ऋतु यानी कि चौमासा में अपने पशु चराने के लिए जाते थे। लेकिन उस समय इस स्थान पर एक राक्षस का आतंक था । जो गांव वालों के पालतू पशुओं को अक्सर अपना निवाला बना लेता था। जिस से परेशान होकर थक-हारकर गांव वालों ने भगवान बलराम से पशुओं की रक्षा के लिए प्रार्थना की।

ऐसा कहा जाता है कि भक्तों की इस पुकार पर भगवान बलराम ने उस स्थान पर अवतार लिया और राक्षस का वध कर ग्रामीणों को भयमुक्त किया। जिसके बाद ग्रामीणों ने इस स्थान पर उनका मंदिर बनवाया। गांव वालों का मानना है कि तब से लेकर अब तक भगवान बलराम उनके पशुओं की रक्षा करते हैं।
भगवान बलराम को समर्पित उत्तराखंड का इकलौता मंदिर
आपको बता दें कि ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित मंदिर है। खास बात ये है कि भद्राज मंदिर उत्तराखंड में स्थित भगवान बलराम का इकलौता मंदिर है। स्थानीय लोगों के अनुसार भद्राज मंदिर आने से परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। इसके साथ ही लोग अपने पालतू पशुओं के लिए भी यहां आते हैं।

खासकर सर्दियों और होली के समय यहां बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। इस दौरान यहां पर कई धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। ऐसी मान्यता है क जो व्यक्ति कठिनाइयों में यहां आता है और भगवान बलराम की पूजा करता है, उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे पहुंच सकते हैं आप भद्राज मंदिर
भद्राज मंदिर आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंचत सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रैक भी कर सकते हैं। दिल्ली और देहरादून से आप यहां कुछ इस तरीके से पहुंच सकते हैं। दिल्ली से आप सड़क मार्ग हवाई मार्ग या फिर रेल मार्ग से देहरादून पहुंच सकते हैं।

देहरादून से आगे आप कार से, बस से या फिर चॉपर से भी जा सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आप सरकारी बस, टैक्सी या फिर अपने वाहन से मसूरी पहुंच सकते हैं। मसूरी से भद्राज के लिए आपको शेयरिंग टैक्सी मिल जाएगी। लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो देहरादून से मसूरी के लिए हेली सेवा भी उपलब्ध है। मसूरी से आगे भद्राज के लिए आप टैक्सी, शेयरिंग टैक्सी, रेंटल व्हीकल से जा सकते हैं।
भद्राज मंदिर तक के ट्रैक की हर जानकारी (Bhadraj Track)
भद्राज मंदिर तक पहुंचने के लिए मसूरी क्षेत्र से एक सुंदर और शांत ट्रैक मार्ग है, जिसे आसान से मध्यम श्रेणी का ट्रैक माना जाता है। ये ट्रैक खास तौर पर उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बिल्कुल परफेक्ट है जो प्रकृति के बीच शांति और कम भीड़ के साथ ट्रैक करना चाहते हैं। भद्राज ट्रैक (Bhadraj Track) की शुरूआत आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से होती है। ये पूरा ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यहां का रास्ता घने देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है। जो इस ट्रैक को और भी मजेदार बनाता है।

बात करें ट्रैक करते हुए मंदिर पहुंचने में लगने वाले समय की तो सामान्य गति से चलते हुए मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। ट्रैक करने के बाद आपको 7,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर से मसूरी और देहरादून घाटी के सुंदर नज़ारे दिखाई देते हैं। जो आपके सफर को और भी यादगार बना सकते हैं।

यहां पर ट्रैक पर आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का माना जाता है। हालांकि सालभर अन्य महीनों में भी आप यहां आ सकते हैं। लेकिन बरसात में खासी सावधानी आपको बरतनी होगी। अगर आप सर्दियों में आ रहे हैं तो मौसम को देखकर ही ट्रैक करें क्योंकि सर्दियों के मौसम में, खासकर दिसंबर से फरवरी के बीच जब पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है, तब यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है।
FAQs: भद्राज मंदिर (Bhadraj Temple)
1. भद्राज मंदिर कहां स्थित है?
भद्राज मंदिर उत्तराखंड के मसूरी क्षेत्र में दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से करीब 7,500 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है।
2. भद्राज मंदिर किस देवता को समर्पित है?
भद्राज मंदिर भगवान बलराम को समर्पित है, जो भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई थे। यह उत्तराखंड में भगवान बलराम को समर्पित इकलौता मंदिर माना जाता है।
3. भद्राज मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर अपनी धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक मान्यता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि भगवान बलराम आज भी उनके पशुओं और परिवार की रक्षा करते हैं।
5. भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है?
भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच माना जाता है। सर्दियों में ठंड और कभी-कभार बर्फबारी हो सकती है, जबकि बरसात में रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं।
6. क्या भद्राज मंदिर क्षेत्र में बर्फबारी होती है?
हां, दिसंबर से फरवरी के बीच कभी-कभी यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है, लेकिन भारी और लंबे समय तक बर्फ जमना आम नहीं है।
7. भद्राज मंदिर तक ट्रैक कितना लंबा है?
भद्राज मंदिर तक का ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यह ट्रैक आसान से मध्यम श्रेणी का है और आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से शुरू होता है।
8. भद्राज मंदिर तक ट्रैक करने में कितना समय लगता है?
सामान्य गति से चलते हुए भद्राज मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है।
9. भद्राज मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
भद्राज मंदिर तक आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: दिल्ली या देहरादून से मसूरी तक बस, टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। मसूरी से भद्राज के लिए टैक्सी और शेयरिंग टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जहां से मसूरी के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है।
- हवाई मार्ग: देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से मसूरी के लिए टैक्सी और हेली सेवा भी उपलब्ध है।
- ट्रैकिंग: ट्रैकिंग के शौकीन लोग मसूरी से पैदल ट्रैक के जरिए भी मंदिर पहुंच सकते हैं।
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47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस–2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया प्रतिभाग

पीआर विजन–2047 विकसित भारत के निर्माण में निभाएगा अहम भूमिका: सीएम धामी
सरकार और जनता के बीच भरोसेमंद संवाद समय की सबसे बड़ी आवश्यकता: मुख्यमंत्री
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को होटल एमरॉल्ड ग्रैण्ड, सहस्त्रधारा रोड, देहरादून में आयोजित 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस–2025 में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलन कर सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने कॉन्फ्रेंस स्थल पर आयोजित फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया और हस्तशिल्प उत्पादों के स्टॉल का निरीक्षण कर स्थानीय कला एवं शिल्प को प्रोत्साहन दिया।
देशभर के पीआर विशेषज्ञों का महासंगम, देहरादून बना संवाद का केंद्र
दरअसल, देहरादून 13 से 15 दिसंबर तक 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशंस कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी कर रहा है, जिसमें देशभर से जनसंपर्क एवं कम्युनिकेशन प्रोफेशनल्स भाग ले रहे हैं। पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) द्वारा आयोजित यह सम्मेलन “विकसित भारत @2047: विकास भी, विरासत भी” थीम पर केंद्रित है।

सम्मेलन का उद्घाटन 13 दिसंबर को हुआ, जबकि तीन दिवसीय आयोजन के दौरान उत्तराखंड की 25 वर्षों की विकास यात्रा, मीडिया और जनसंपर्क की भूमिका, तकनीक, GST, AI, साइबर क्राइम, मिसइन्फॉर्मेशन और अंतरराष्ट्रीय जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञ सत्र आयोजित किए जाएंगे। रूस से आए प्रतिनिधियों की सहभागिता ने इस सम्मेलन को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप भी प्रदान किया है। सम्मेलन का समापन 15 दिसंबर को होगा।
पीआर केवल सूचना नहीं, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का अहम हिस्सा: मुख्यमंत्री
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देशभर से आए जनसंपर्क विशेषज्ञों, प्रतिनिधियों और युवा प्रतिभाओं का स्वागत करते हुए कहा कि इस वर्ष की थीम “पीआर विजन फॉर–2047” विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज के समय में पब्लिक रिलेशन केवल सूचना संप्रेषण का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का एक प्रभावी और जिम्मेदार अंग बन चुका है।

डिजिटल युग में गलत सूचना बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा डिजिटल युग में जहां एक ओर सूचनाओं की भरमार है, वहीं दूसरी ओर गलत सूचना और अफवाहों की चुनौती भी उतनी ही गंभीर हो गई है। ऐसे में सरकार और जनता के बीच सही, समयबद्ध और भरोसेमंद संवाद स्थापित करना जनसंपर्क की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि उत्तराखंड जैसे प्राकृतिक आपदाओं और सामरिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य में संवाद केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि विश्वास की बुनियाद है।
आपदा प्रबंधन से पर्यटन तक मजबूत पीआर सिस्टम जरूरी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आपदा प्रबंधन, सुशासन, धार्मिक आयोजन और पर्यटन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भविष्य की पीआर प्रणाली को तेज, तकनीकी रूप से सक्षम और जनभावनाओं के प्रति संवेदनशील बनाना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार और जनता के बीच आदेश का नहीं, बल्कि साझेदारी और विश्वास का संबंध स्थापित करना समय की मांग है।

उन्होंने यह भी कहा कि संकट के समय पब्लिक रिलेशन एक सक्षम कमांड सेंटर की भूमिका निभा सकता है, वहीं सामान्य परिस्थितियों में देश और राज्य के लिए सकारात्मक नैरेटिव गढ़ने में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि देवभूमि उत्तराखंड से निकला यह संवाद विकसित भारत–2047 के विजन को नई दिशा देगा।
तेज़ विकास पथ पर अग्रसर उत्तराखंड: मुख्यमंत्री
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की विकास यात्रा पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2024–25 में उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 3.78 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने वाला है, जबकि प्रति व्यक्ति आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के बजट में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है और बेरोजगारी दर में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन को मिल रही नई गति
मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, खेल, पेयजल, हवाई और रेल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में आधुनिक अवसंरचना का तेजी से विकास किया जा रहा है। साथ ही धार्मिक पर्यटन, वेलनेस, एडवेंचर टूरिज्म, फिल्म शूटिंग और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उत्तराखंड को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
उन्होंने ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना, दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेस-वे, रोपवे परियोजनाओं और हवाई अड्डों के विस्तार का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी परियोजनाएं राज्य के विकास को नई गति दे रही हैं। वहीं शीतकालीन यात्रा की पहल के माध्यम से वर्षभर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
निवेश और रोजगार के नए अवसर
मुख्यमंत्री धामी ने निवेश और औद्योगिक विकास पर जोर देते हुए कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत प्राप्त निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने में राज्य को उल्लेखनीय सफलता मिली है। सिंगल विंडो सिस्टम और नई औद्योगिक व स्टार्टअप नीतियों के चलते उत्तराखंड निवेश के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में सामने आया है।

उन्होंने कहा कि “एक जनपद–दो उत्पाद”, हाउस ऑफ हिमालयाज, मिलेट मिशन और नई पर्यटन व फिल्म नीति जैसी योजनाएं स्थानीय आजीविका को मजबूती दे रही हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग्स में राज्य की उपलब्धियां पारदर्शी और जनभागीदारी आधारित शासन का प्रमाण हैं।
उत्तराखंड की नीतियां बन रहीं देश के लिए मॉडल
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक संरचना और संतुलित जनसंख्या के संरक्षण के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की नीतियां और नवाचार आज देश के अन्य राज्यों के लिए मॉडल बन रहे हैं और विकसित भारत–2047 की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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उत्तराखंड शासन से आज की बड़ी खबर, आईपीएस अधिकारियों के हुए बंपर तबादले, देखें लिस्ट

IPS Transfers Uttarakhand : उत्तराखंड शासन से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। कई आईपीएस अधिकारियों के बंपर तबादले किए गए हैं।
आईपीएस अधिकारियों के हुए बंपर तबादले
उत्तराखंड की आज की बड़ी खबर उत्तराखंड शासन से सामने आ रही है। जहां कई आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं। कई को इधर से उधर किया गया है। आपको बता दें कि 15 आईपीएस अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव किया गया है।


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