Uttarakhand
उत्तराखंड: अगर आप भी दिवाली पर घर जाने वाले हैं, तो ये खबर जरूर पढ़ें!

देहरादून: दीपावली की छुट्टियों में घर जाने वाले यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। रेलवे और बस सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है। ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट 200 से ऊपर पहुंच चुकी है…जबकि बसों में ऑनलाइन टिकट बुकिंग पूरी तरह फुल हो गई है।
इस बार दीपावली पर 19 से 23 अक्टूबर तक छुट्टियों का सिलसिला रहेगा…जिस कारण लोगों ने पहले से ही ट्रेन और बस टिकट बुक कर लिए हैं।
स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम ने 200 अतिरिक्त बसें चलाने का निर्णय लिया है। परिवहन निगम के महाप्रबंधक क्रांति सिंह ने कहा कि जिन बसों की मरम्मत चल रही है…उन्हें भी जल्द तैयार कर रूटों पर भेजा जाएगा।
वोल्वो, सुपर डीलक्स और एसी बसों में कोई सीट खाली नहीं है। अब केवल साधारण बसों में टिकट उपलब्ध हैं…जिनकी बुकिंग शुरू कर दी गई है।
यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे बिना टिकट यात्रा की योजना न बनाएं और समय रहते सीट बुक कर लें…ताकि किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
Udham Singh Nagar
मुख्यमंत्री धामी ने किसान मेले का किया उद्घाटन, किसानों के लिए आधुनिक तकनीक और योजनाओं पर दिया जोर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंतनगर विश्वविद्यालय में 118वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
मुख्यमंत्री ने पंतनगर विश्वविद्यालय की नवीन दलहनी प्रजातियों का लोकार्पण और “पंतनगर प्रवाह” पुस्तक का किया विमोचन
कृषि मेले में देशभर से 400 से अधिक स्टॉल, 200 से ज्यादा स्टार्टअप्स व उद्योगों की सहभागिता
कृषि मेले किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच नवाचार व ज्ञान के आदान-प्रदान का माध्यम: मुख्यमंत्री धामी
आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक विधियों से खेती को बनाएँ अधिक उत्पादक, टिकाऊ और लाभकारी: मुख्यमंत्री
प्रदेश के किसानों के लिए तीन लाख रुपये तक ब्याजमुक्त ऋण, 80% तक सब्सिडी पर कृषि उपकरण उपलब्ध
नहरों से सिंचाई पूरी तरह मुफ्त, पॉलीहाउस निर्माण के लिए 200 करोड़ का प्रावधान
गेहूं पर ₹20 प्रति क्विंटल बोनस, गन्ना मूल्य में ₹20 की वृद्धि
राज्य में 1000 करोड़ रुपये की लागत से ‘उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट’ स्वीकृत
सेब, कीवी, मिलेट और ड्रैगन फ्रूट नीति से बागवानी को नई दिशा — 80% तक सब्सिडी का लाभ किसानों को
कृषि को विकास का प्रमुख इंजन मानते हुए किसान क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाई गई 5 लाख रुपये तक
रुद्रपुर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंतनगर विश्वविद्यालय में आयोजित 118वे अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में प्रतिभाग किया । मुख्यमंत्री ने पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित नवीन दलहनी प्रजातियों का लोकार्पण व पंतनगर प्रवाह नामक पुस्तक का विमोचन किया।
मेले में आयोजित रजत जयंती राज्य स्थापना गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस वर्ष के किसान मेले और कृषि प्रदर्शनी में 400 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें से 200 से अधिक स्टॉल देश के विभिन्न राज्यों से आए कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योगों, स्टार्टअप्स और उद्यमियों द्वारा लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन मात्र कृषि उत्पादों और यंत्रों के प्रदर्शन तक सीमित नहीं होते, बल्कि ये किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच ज्ञान, अनुभव और नवाचार के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण माध्यम भी होते हैं। इस प्रकार के कृषि मेलों के माध्यम से जहां एक ओर हमारे किसान भाई एक ही स्थान पर नवीनतम कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों, आधुनिक यंत्रों और नई शोधों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वहीं उन्हें विशेषज्ञों के अनुभवों से सीखने और अपने अनुभव साझा करने का अवसर भी मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस मेले में प्रदर्शित की जा रही आधुनिक तकनीकों और नवाचारों के माध्यम से हमारे किसान भाई पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नई वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर अपनी खेती को और भी अधिक उत्पादक, टिकाऊ और लाभकारी बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश की कृषि व्यवस्था भी सशक्त और समृद्ध बनेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में आज भारत “विकसित राष्ट्र” के संकल्प को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी संकल्प के साथ केंद्र सरकार द्वारा हमारे अन्नदाताओं की आय को दोगुना करने हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज, देशभर के 11 करोड़ किसानों को ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के भी लगभग 9 लाख के करीब अन्नदाताओं को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए सहायता राशि प्रदान की जा रही है। आज जहां एक ओर सभी प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वहीं, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” के माध्यम से किसान को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान हेतु सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “मृदा स्वास्थ्य कार्ड” योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता और भूमि की उर्वरता दोनों में सुधार हो रहा है, और इसके साथ ही, किसान मानधन योजना, मिलेट मिशन, बागवानी विकास मिशन, कृषि यंत्र सब्सिडी, बूंदबूंद सिंचाई योजना, डिजिटल कृषि मिशन जैसी अनेकों योजनाओं द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में “कृषि को विकास का प्रमुख इंजन” मानते हुए जहां एक ओर किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढाकर 5 लाख रुपये करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, वहीं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सिंचाई और कृषि तकनीकों के विकास पर भी विशेष फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने देश के अन्नदाताओं को बड़ी सौगात देते हुए 24 हजार करोड़ रुपये की “पीएम धन धान्य कृषि योजना” और दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु लगभग 11 हजार 500 करोड़ रुपये की लगात के “दलहन उत्पादकता मिशन” का शुभारंभ किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हम एक ओर जहां प्रदेश में किसानों को तीन लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कृषि उपकरण खरीदेने हेतु “फार्म मशीनरी बैंक” योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त करने का काम किया है। साथ ही, हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस के निर्माण हेतु 200 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान भी किया है। जिसके अंतर्गत अब तक राज्य में लगभग 115 करोड़ रुपए की सहायता से करीब 350 पॉलीहाउस स्थापित किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं, हम जहां एक ओर गेहूं खरीद पर किसानों को 20 रूपए प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान रहे हैं, वहीं हमने गन्ने के रेट में भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये की लागत से “उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट” भी स्वीकृत किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सब्जियों की तरह ही फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है। हाल ही में हमारी सरकार ने 1200 करोड़ रुपये की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के तहत बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है। हम किसानों की उपज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ग्रेडिंग सॉर्टिंग यूनिट के निर्माण के लिए भी अनुदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर मैं, आप सभी कृषि वैज्ञानिकों से आग्रह करना चाहता हूँ कि आप हमारी पारंपरिक कृषि व्यवस्था पर भी अनुसंधान करें, और जानें कि हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों से अपनी कृषि सभ्यता को कैसे संरक्षित रखा, अपनी धरती की उर्वरकता को कैसे बनाए रखा और उत्पादन की गुणवत्ता को भी निरंतर सुनिश्चित किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह करते हुए कहा कि आप लोग अपने शोध कार्य और नवीनतम तकनीकी ज्ञान को शीघ्रता से किसानों तक पहुँचाएँ, ताकि ये ज्ञान उनके उत्पादन और आय में वृद्धि का माध्यम बन सके और हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस अवसर पर हम किसानों की प्रगति पर चर्चा करने के साथ-साथ प्रदेश में नकल विरोधी कानून और समान नागरिक संहिता पर संवाद करने के लिए भी एकत्रित हुए हैं। उक्त दोनों विषयों पर जीबी पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की छात्रा पूजा जोशी ने समान नागरिक संहिता, नीति शर्मा ने किसान मेले की प्रगति एवं छात्र निध अवस्थी ने नकल विरोध कानून पर अपने विचार साझा किए जबकि “स्मृद्धि किसान उत्पादक संगठन” की सीमा रानी ने अपने सफल खेती के अनुभव साझा किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू कर सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून और अधिकार स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि हमने अनुभव किया कि समाज में कुछ समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के कारण भेदभाव, असमानता और अन्याय की स्थिति बनी हुई है। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य इन्हीं भेदभावों को समाप्त कर राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यूसीसी के लागू होने से न केवल राज्य से सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हुए हैं, बल्कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को भी बल मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं,यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों के बीच समानता से समरसता स्थापित करने का एक संवैधानिक उपाय है। परन्तु ये देश का दुर्भाग्य रहा कि स्वतंत्रता के पश्चात कई दशकों तक देश में एक ऐसी पार्टी का शासन रहा जिसने अपने वोट बैंक के चक्कर में यूसीसी को लागू नहीं होने दिया। जबकि विश्व के प्रमुख मुस्लिम देशों सहित दुनिया के सभी सभ्य देशों में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है। उन्होंने कहा कि हम भली-भांति जानते थे कि भारत में सर्वप्रथम यूसीसी लागू करने का मार्ग सरल नहीं होगा परंतु जब नीयत साफ हो और जनभावना साथ हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं रहता। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के प्रति भी पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है।
कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने यूसीसी व नकल विरोधी कानून लागू करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन व निर्देशन में विश्वविद्यालय शोध व प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में पूरे प्रदेश में इंटिग्रेटेड फार्मिंग पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 2 लाख 61 हजार हो गई है जो 26% ग्रोथ रेट पर है। उन्होंने बताया कि मेले में 507 स्टॉल लगाए गए हैं व अभी तक लगभग 20 हजार किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया है।
कार्यक्रम में विधायक शिव अरोरा,त्रिलोक सिंह चीमा,सुरेश गाड़िया,पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा सभी जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।
Champawat
देर रात अस्पताल से हाईवे तक डीएम का दौरा, लापरवाह अफसरों को दी चेतावनी

चंपावत: जिलाधिकारी मनीष कुमार इन दिनों सीमांत जनपद चंपावत में अपनी सक्रिय कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में हैं। कभी वे दूरस्थ गांवों तक पैदल पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं…तो कभी शिकायतों का समाधान न करने वाले अधिकारियों को बैठक से बाहर का रास्ता दिखाते हुए भी देखे गए हैं।
अब उन्होंने बीती रात अचानक जिला अस्पताल और टनकपुर-चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग के स्वाला डेंजर जोन का निरीक्षण कर विभागीय अधिकारियों को अलर्ट कर दिया है।
अस्पताल का औचक निरीक्षण
रात के समय जिला अस्पताल पहुंचे डीएम ने आपातकालीन कक्ष, जनरल वार्ड, महिला वार्ड, नर्सिंग स्टाफ रूम और परिसर की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने मरीजों और स्टाफ से सीधे बातचीत कर इलाज और सुविधाओं की जानकारी ली।
उन्होंने निर्देश दिए कि नाइट ड्यूटी में कोई भी डॉक्टर या स्टाफ अनुपस्थित न रहे। आपात स्थिति में तुरंत इलाज सुनिश्चित किया जाए। अस्पताल में स्वच्छता और अनुशासन बनाए रखा जाए। मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए रात में ठहरने की उचित व्यवस्था की जाए।
एंबुलेंस और सड़क मार्ग को लेकर निर्देश
निरीक्षण के दौरान अस्पताल में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की जरूरत पर चर्चा हुई, जिस पर डीएम ने आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया। साथ ही अस्पताल तक आने वाले रास्ते की मरम्मत के निर्देश भी दिए…ताकि मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
स्वाला डेंजर ज़ोन का रात्रि निरीक्षण
डीएम ने इसके बाद टनकपुर-चंपावत हाईवे पर स्थित स्वाला डेंजर ज़ोन का निरीक्षण किया, जो लंबे समय से यात्रियों के लिए खतरे का कारण बना हुआ है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़क चौड़ीकरण का कार्य गुणवत्ता के साथ और समयबद्ध पूरा किया जाए। जल निकासी की व्यवस्था सुधारी जाए। यातायात को सुचारु रखने के लिए वैकल्पिक मार्ग की भी व्यवस्था हो।
लापरवाही पर सख्त रुख
निरीक्षण के दौरान डीएम मनीष कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
उनकी इस सक्रियता के बाद विभागीय अधिकारियों में हलचल मच गई है…और वे अब अपनी कार्यशैली में सुधार लाने की तैयारी में जुट गए हैं।
Dehradun
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