Rudraprayag
उत्तराखंड: तोषी गांव तक पहुँची सड़क, केदारनाथ धाम की दूरी 6 किलोमीटर घटी, गांव में खुशी की लहर

रुद्रप्रयाग: सीमांत गांव तोषी के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया जब लंबे संघर्ष के बाद सड़क कटिंग कार्य पूरा होने के बाद जेसीबी मशीन पहली बार गांव तक पहुँची। गांववालों ने इस क्षण को उत्सव की तरह मनाया मशीन की पूजा की, तिलक लगाया और मिठाइयाँ बाँटकर खुशी ज़ाहिर की।
यह सिर्फ एक सड़क नहीं…बल्कि गांव के लोगों के संघर्ष, धैर्य और उम्मीद का परिणाम है। करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुए 6 किलोमीटर लंबे इस सड़क निर्माण कार्य से अब त्रियुगीनारायण से केदारनाथ धाम तक की पैदल दूरी 6 किलोमीटर घटकर 17 किलोमीटर रह जाएगी।
सड़क न केवल केदारनाथ यात्रा को सुगम बनाएगी…बल्कि आपदा के समय वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी महत्वपूर्ण साबित होगी। अब तक तोषी गांव के ग्रामीणों को सड़क तक पहुँचने के लिए 6 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था लेकिन अब उनकी यह मुश्किल खत्म हो जाएगी।
ग्राम प्रधान दीपेंद्र रावत ने कहा कि यह सड़क गांव के विकास की नई राह खोलेगी। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसर अब हमारे दरवाजे तक आएंगे। वहीं पूर्व प्रधान जगत सिंह रावत ने इसे ग्रामीणों की वर्षों की मेहनत और संघर्ष का फल बताया।
सड़क की कटिंग का काम पूरा हो चुका है अब केवल सोनगाड़ पर पुल निर्माण बाकी है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है…और ग्रामीणों का कहना है कि ठंड के मौसम में जब नदी में पानी कम होता है तब पुल के बिना भी अस्थायी रूप से वाहन गाँव तक पहुँच सकते हैं। पुल बनते ही यहाँ नियमित यातायात सुविधा शुरू हो जाएगी।
गांव में जब जेसीबी मशीन पहुँची तो महिला मंगल दल की अध्यक्ष सरोज देवी, मीना देवी, बलवंत रावत सहित दर्जनों ग्रामीणों ने पूजा-अर्चना की। सरोज देवी ने कहा कि यह सड़क तीर्थयात्रियों के लिए तो वरदान है ही…लेकिन इससे हमारे बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवाएं और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव आएगा।
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2 KM चलकर फंस गए बर्फ में, 4 श्रद्धालुओं की सांसें अटक गईं…रेस्क्यू टीम ने किया बचाया!

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम की यात्रा पर आए चार श्रद्धालु मंदिर परिसर से 2-3 किलोमीटर ऊपर स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर की ओर निकल गए। अचानक मौसम बिगड़ने और बर्फबारी तेज होने से चारों वहीं फंस गए। स्थिति बिगड़ती देख श्रद्धालुओं ने किसी तरह पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। SDRF की टीम ने मौके पर पहुंचकर कठिन परिस्थितियों में सभी का सुरक्षित रेस्क्यू किया।
जानकारी के अनुसार, गाजियाबाद (थाना मुरादनगर) के राधेश्याम विहार फेस से आए हर्ष राणा, दीपक नेगी नवनीत त्यागी और आदित्य सोमवार को केदारनाथ मंदिर के दर्शन के बाद चौराबाड़ी ताल (गांधी सरोवर) की ओर ट्रैकिंग पर निकले थे। समुद्र तल से लगभग 3,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र आमतौर पर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है…लेकिन इस समय खराब मौसम के चलते जोखिम भरा बना हुआ है।
बर्फबारी के चलते चारों श्रद्धालु ग्लेशियर क्षेत्र में ही फंस गए। इस दौरान उन्होंने किसी तरह पुलिस को सूचना भेजी..जिसके बाद SDRF पोस्ट केदारनाथ से उप निरीक्षक मनोहर कन्याल के नेतृत्व में टीम को रेस्क्यू उपकरणों के साथ मौके के लिए रवाना किया गया।
टीम ने भारी बारिश और बर्फबारी के बीच सर्च ऑपरेशन शुरू किया और कुछ ही घंटों में चारों फंसे हुए श्रद्धालुओं को सकुशल तलाश कर नीचे लाया गया। SDRF ने बताया कि सभी यात्री सुरक्षित हैं और उन्हें प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद उनके परिजनों से संपर्क कर स्थिति की जानकारी दी गई।
प्रशासन की अपील – बिना परमिशन और गाइड के न जाएं
उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन ने एक बार फिर पर्यटकों से अपील की है कि वे बिना परमिशन और गाइड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में न जाएं। अक्सर देखा गया है कि पर्यटक मौसम की अनदेखी कर ट्रैकिंग पर निकल जाते हैं और बाद में संकट में फंस जाते हैं।
विशेषकर इस समय पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और लगातार बारिश के चलते हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। इन क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की भी समस्या रहती है, जिससे आपात स्थिति में संपर्क करना मुश्किल हो जाता है। प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं और ट्रैकर्स से अनुरोध किया है कि वे मौसम की स्थिति देखकर ही यात्रा करें और स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
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उत्तराखंड में मौसम ने ली करवट: केदारनाथ और हेमकुंड में सीजन की हुई पहली बर्फबारी

केदारनाथ: उत्तराखंड में आज मौसम ने अचानक करवट बदल ली है। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद राज्य के कई हिस्सों में बारिश और बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है। राजधानी देहरादून सहित आसपास के इलाकों में सुबह से ही बादलों ने डेरा डाले रखा और दोपहर तक बारिश ने तापमान में गिरावट ला दी…जिससे लोगों को हल्की ठंड का एहसास होने लगा।
राज्य के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी मौसम ने असर दिखाया है। केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब में इस सीजन की पहली बर्फबारी दर्ज की गई है। बर्फ की सफेद चादर से ढकी चोटियों ने तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
यमुनोत्री धाम में भी मौसम ने रुख बदला है। यमुना घाटी में हल्की बारिश और आसपास की पहाड़ियों पर बर्फबारी दर्ज की गई है…जिससे तापमान में और गिरावट आई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह बदलाव अचानक हुआ और दिनभर रुक-रुक कर बारिश होती रही।
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के आठ जिलों…पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के लिए भारी बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की है। विभाग के अनुसार, 4000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना बनी हुई है।
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उत्तराखंड: आपदा में राहत का हाथ बढाया योगी सरकार ने, यूपी से पहुंची 6 ट्रकों में मदद

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद जहां एक ओर प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में दिन-रात जुटा है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस मुश्किल घड़ी में मदद का हाथ बढ़ाया है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपदा से प्रभावित ग्रामीणों की मदद के लिए छह ट्रकों में भरकर राहत सामग्री भेजी है, जिसमें राशन किट, खाद्यान्न, तिरपाल, टेंट और अन्य जरूरी सामान शामिल हैं।
आपदा की मार और राहत की पहल
रुद्रप्रयाग जनपद की बसुकेदार तहसील के अंतर्गत आने वाले कई गांव – जैसे डुंगर, बड़ेथ, तालजामण, जौला, स्यूर, उछोला, बक्सीर और मथ्या – हालिया अतिवृष्टि और भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। घर उजड़ गए, सड़कें टूट गईं और लोग अब भी सुरक्षित जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में यूपी से आई राहत सामग्री इन लोगों के लिए किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं है।
जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस सहयोग के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस पहल से जमीनी स्तर पर तत्काल राहत पहुंचाई जा सकेगी। राहत सामग्री को जिला मुख्यालय से प्रभावित गांवों तक जल्द ही पहुंचाया जाएगा।
16 दिन बाद भी नहीं मिला लापता लोगों का सुराग
आपदा को 16 दिन बीत चुके हैं, लेकिन छेनागाड़ क्षेत्र में लापता नौ लोगों का अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीआरडीएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें मलबे के ढेर में संभावित ठिकानों की लगातार खोज कर रही हैं। भारी-भरकम बोल्डरों और गहराई में दबे मलबे के कारण बचाव कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है।
जेसीबी और अन्य मशीनों के सहारे मलबे की खुदाई जारी है। शुक्रवार को रेस्क्यू टीम ने आपदा में मलबे में दबी एक बस को बाहर निकालने में सफलता पाई, जिससे तलाशी अभियान को नई दिशा मिली है। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि सूरज निकलने से लेकर अंधेरा होने तक राहत और खोज अभियान लगातार जारी है।
स्वास्थ्य सेवाओं और अस्थायी आवास की व्यवस्था
आपदा राहत सिर्फ मलबा हटाने तक सीमित नहीं है। जिला प्रशासन ने प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की तैनाती भी सुनिश्चित की है। विशेष रूप से तालजामण, बक्सीर, स्यूर और उछोला जैसे इलाकों में मेडिकल टीमें सक्रिय हैं। ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है और जरूरतमंदों को मौके पर ही दवाइयाँ और प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।
साथ ही जिन परिवारों के घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, उनके लिए अस्थायी टेंट और आवास की व्यवस्था भी की गई है। राशन और पीने के पानी की आपूर्ति लगातार की जा रही है।
डीएम कर रहे हैं राहत कार्यों की निगरानी
पूरे राहत एवं बचाव अभियान की सीधी निगरानी खुद जिलाधिकारी प्रतीक जैन कर रहे हैं। वह समय-समय पर मौके पर पहुंचकर न सिर्फ स्थिति का जायजा ले रहे हैं, बल्कि मौके पर ही अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दे रहे हैं। डीएम ने प्रभावितों से अपील की है कि वे धैर्य और संयम बनाए रखें, प्रशासन हरसंभव मदद के लिए तत्पर है।
आपदा में उत्तर प्रदेश सरकार आपके साथ
उत्तर प्रदेश से आई मदद का नाम भी भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है – “आपदा में सबके साथ उत्तर प्रदेश सरकार”। यह नारा सिर्फ कागज़ पर नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई बनकर प्रभावितों तक राहत पहुंचा रहा है। ट्रकों में भरकर भेजी गई सामग्री न सिर्फ लोगों की ज़रूरतें पूरी करेगी, बल्कि उनके मन में यह विश्वास भी जगाएगी कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है।
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