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दूसरे टेस्ट में कौन करेगा ओपनिंग? कप्तान Rohit Sharma ने प्रेस कांफ्रेंस कर दिया स्पष्ट जवाब….

क्रिकेट : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच 5 दिसंबर से एडिलेड में खेला जाएगा। इस टेस्ट से पहले कप्तान Rohit Sharma ने प्रेस कांफ्रेंस में टीम की प्लेइंग इलेवन और ओपनिंग पार्टनर को लेकर अपनी बात रखी। Rohit Sharma ने कंफर्म किया कि दूसरे टेस्ट में ओपनिंग की जिम्मेदारी केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल निभाएंगे, और वे खुद मध्यक्रम में बल्लेबाजी करेंगे।
केएल राहुल को लेकर क्या बोले Rohit Sharma?
कप्तान Rohit Sharma ने केएल राहुल को लेकर कहा, “हम रिजल्ट और सफलता चाहते हैं। मैं घर पर था और राहुल को बल्लेबाजी करते देखना अच्छा लग रहा था। राहुल ने विदेश में जिस तरह से बल्लेबाजी की है, तो इस समय वो इसके हकदार हैं। पर्थ में यशस्वी के साथ उनकी जोड़ी ने शानदार प्रदर्शन किया और 500 के करीब रन बनाए। ऐसे में उस जोड़ी को बदलना नहीं बनता। व्यक्तिगत तौर पर यह मेरे लिए कठिन था, लेकिन टीम के लिए यह एक आसान फैसला था।”
पिंक बॉल चैलेंज को लेकर क्या बोले Rohit Sharma?
Rohit Sharma ने पिंक बॉल से संबंधित चैलेंज पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “जब आप पिंक बॉल के खिलाफ खेलते हैं, तो आपको संयम दिखाना होता है। पिंक बॉल के साथ खेलते समय जितना समय आप बिता सकते हैं, वह बाद में आपके लिए आसान हो जाता है। आपको ज्यादा से ज्यादा समय तक संयम बनाए रखते हुए खेलना होता है और फिर इसका सामना करने का तरीका ढूंढना होता है।”
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड टेस्ट के दौरान यह महत्वपूर्ण होगा कि दोनों टीमें पिंक बॉल से जुड़े चैलेंज का सही तरीके से सामना करें।
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उत्तराखंड धर्मांतरण कानून को नहीं मिली राज्यपाल से मंजूरी, पुनर्विचार के लिए वापस लौटाया

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Dehradun News: उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकभवन से मंजूरी नहीं मिली है। बिल अगस्त महीने में विधनसभा से पारित हो चुका है जिसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। लेकिन राज्यपाल गुरमीत सिंह की तरफ से बिल को वापस पुनर्विचार के लिए लौटाया गया है।
लोकभवन से नहीं मिली विधेयक को मंजूरी, पुनर्विचार के वापस लिए भेजा
सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल ने विधेयक के ड्राफ्ट में तकनीकी खामियों के चलते सरकार के पास पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है। जिसके बाद धामी सरकार के पास अब इस विधेयक को लागू करवाने के लिए दो ही रास्ते हैं।
- सरकार इसे अध्यादेश लाकर इसे लागू करे
- या दोबारा विधेयक को विधानसभा से पारित करे
क्या है उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक ?
राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक लागू किया था, जिसे 2022 में धामी सरकार द्वारा इस क़ानून में कुछ संशोधन करते हुए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक (संशोधन) 2022 लागू किया गया था। वर्तमान में जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में लगतार बढ़ोतरी होने के चलते 13 अगस्त 2025 को सरकार ने मौजूदा विधेयक में सजा को और भी सख्त करते हुए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक (संशोधन), 2025 के प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद विधेयक को 20 अगस्त 2025 को गैरसैण में चले मानसून सत्र में विधानसभा से मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल के पास भेजा गया था।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक (संशोधन) 2025
- विधेयक का उद्देश्य राज्य के मौजूदा धर्मांतरण विरोधी कानून को और अधिक सख्त बनाना है।
- अगस्त 2025 में उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने विधेयक को मंजूरी दी थी।
- दिसंबर 2025 में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने तकनीकी खामियों के चलते इसे पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटा दिया।
- अब सरकार के पास अध्यादेश लाने या संशोधन के बाद दोबारा विधानसभा में पारित कराने का विकल्प है।
दंड से जुड़े प्रावधान
- सामान्य मामलों में 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान।
- महिलाओं, नाबालिगों और एससी/एसटी से जुड़े मामलों में 5 से 14 साल तक की सजा।
- गंभीर मामलों में 20 साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान।
अन्य प्रमुख प्रावधान
- प्रलोभन की परिभाषा का विस्तार, जिसमें विवाह का वादा, मुफ्त शिक्षा, नौकरी या अन्य लाभ शामिल।
- सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल माध्यमों से धर्मांतरण के प्रचार पर प्रतिबंध।
- विवाह के लिए झूठी पहचान या जानकारी देने को दंडनीय अपराध बनाया गया।
- पीड़ितों की सुरक्षा, पुनर्वास, चिकित्सा और वित्तीय सहायता के लिए विशेष प्रावधान।
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ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का ये छुपा मंदिर, इतिहास, मान्यताएं और कैसे पहुंचें, यहां जानें सब कुछ

Bhadraj Temple : यूं तो उत्तराखंड में कई मंदिर है जो अपनी एक झलक से ही आपका दिल जीत सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मंदिर दूर पहाड़ों पर स्थित हैं। जहां हर कोई नहीं पहुंच पाता। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं और उनकी खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। ऐसा ही एक मंदिर पहाड़ों की रानी मसूरी में भी है जहां खुद बादल दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही यहां पर आप खूबसूरत ट्रैक (Bhadraj Track) का भी आनंद ले सकते हैं।
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ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का छुपा मंदिर Bhadraj Temple
उत्तराखंड में मसूरी में बादलों के बीच भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर भद्रराज मंदिर (Bhadraj Temple) स्थित है। ये मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर साढ़े सात हजार फीट की ऊँचाई पर बना हुआ है और अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है।

भद्रराज मंदिर की है ये मान्यता
ऐसी मान्याताएं हैं कि पौराणिक काल में दुधली पहाड़ी पर जौनपुर और पछवादून क्षेत्र के ग्रामीण इस पहाड़ी पर वर्षा ऋतु यानी कि चौमासा में अपने पशु चराने के लिए जाते थे। लेकिन उस समय इस स्थान पर एक राक्षस का आतंक था । जो गांव वालों के पालतू पशुओं को अक्सर अपना निवाला बना लेता था। जिस से परेशान होकर थक-हारकर गांव वालों ने भगवान बलराम से पशुओं की रक्षा के लिए प्रार्थना की।

ऐसा कहा जाता है कि भक्तों की इस पुकार पर भगवान बलराम ने उस स्थान पर अवतार लिया और राक्षस का वध कर ग्रामीणों को भयमुक्त किया। जिसके बाद ग्रामीणों ने इस स्थान पर उनका मंदिर बनवाया। गांव वालों का मानना है कि तब से लेकर अब तक भगवान बलराम उनके पशुओं की रक्षा करते हैं।
भगवान बलराम को समर्पित उत्तराखंड का इकलौता मंदिर
आपको बता दें कि ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित मंदिर है। खास बात ये है कि भद्राज मंदिर उत्तराखंड में स्थित भगवान बलराम का इकलौता मंदिर है। स्थानीय लोगों के अनुसार भद्राज मंदिर आने से परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। इसके साथ ही लोग अपने पालतू पशुओं के लिए भी यहां आते हैं।

खासकर सर्दियों और होली के समय यहां बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। इस दौरान यहां पर कई धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। ऐसी मान्यता है क जो व्यक्ति कठिनाइयों में यहां आता है और भगवान बलराम की पूजा करता है, उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे पहुंच सकते हैं आप भद्राज मंदिर
भद्राज मंदिर आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंचत सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रैक भी कर सकते हैं। दिल्ली और देहरादून से आप यहां कुछ इस तरीके से पहुंच सकते हैं। दिल्ली से आप सड़क मार्ग हवाई मार्ग या फिर रेल मार्ग से देहरादून पहुंच सकते हैं।

देहरादून से आगे आप कार से, बस से या फिर चॉपर से भी जा सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आप सरकारी बस, टैक्सी या फिर अपने वाहन से मसूरी पहुंच सकते हैं। मसूरी से भद्राज के लिए आपको शेयरिंग टैक्सी मिल जाएगी। लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो देहरादून से मसूरी के लिए हेली सेवा भी उपलब्ध है। मसूरी से आगे भद्राज के लिए आप टैक्सी, शेयरिंग टैक्सी, रेंटल व्हीकल से जा सकते हैं।
भद्राज मंदिर तक के ट्रैक की हर जानकारी (Bhadraj Track)
भद्राज मंदिर तक पहुंचने के लिए मसूरी क्षेत्र से एक सुंदर और शांत ट्रैक मार्ग है, जिसे आसान से मध्यम श्रेणी का ट्रैक माना जाता है। ये ट्रैक खास तौर पर उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बिल्कुल परफेक्ट है जो प्रकृति के बीच शांति और कम भीड़ के साथ ट्रैक करना चाहते हैं। भद्राज ट्रैक (Bhadraj Track) की शुरूआत आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से होती है। ये पूरा ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यहां का रास्ता घने देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है। जो इस ट्रैक को और भी मजेदार बनाता है।

बात करें ट्रैक करते हुए मंदिर पहुंचने में लगने वाले समय की तो सामान्य गति से चलते हुए मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। ट्रैक करने के बाद आपको 7,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर से मसूरी और देहरादून घाटी के सुंदर नज़ारे दिखाई देते हैं। जो आपके सफर को और भी यादगार बना सकते हैं।

यहां पर ट्रैक पर आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का माना जाता है। हालांकि सालभर अन्य महीनों में भी आप यहां आ सकते हैं। लेकिन बरसात में खासी सावधानी आपको बरतनी होगी। अगर आप सर्दियों में आ रहे हैं तो मौसम को देखकर ही ट्रैक करें क्योंकि सर्दियों के मौसम में, खासकर दिसंबर से फरवरी के बीच जब पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है, तब यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है।
FAQs: भद्राज मंदिर (Bhadraj Temple)
1. भद्राज मंदिर कहां स्थित है?
भद्राज मंदिर उत्तराखंड के मसूरी क्षेत्र में दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से करीब 7,500 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है।
2. भद्राज मंदिर किस देवता को समर्पित है?
भद्राज मंदिर भगवान बलराम को समर्पित है, जो भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई थे। यह उत्तराखंड में भगवान बलराम को समर्पित इकलौता मंदिर माना जाता है।
3. भद्राज मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर अपनी धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक मान्यता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि भगवान बलराम आज भी उनके पशुओं और परिवार की रक्षा करते हैं।
5. भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है?
भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच माना जाता है। सर्दियों में ठंड और कभी-कभार बर्फबारी हो सकती है, जबकि बरसात में रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं।
6. क्या भद्राज मंदिर क्षेत्र में बर्फबारी होती है?
हां, दिसंबर से फरवरी के बीच कभी-कभी यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है, लेकिन भारी और लंबे समय तक बर्फ जमना आम नहीं है।
7. भद्राज मंदिर तक ट्रैक कितना लंबा है?
भद्राज मंदिर तक का ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यह ट्रैक आसान से मध्यम श्रेणी का है और आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से शुरू होता है।
8. भद्राज मंदिर तक ट्रैक करने में कितना समय लगता है?
सामान्य गति से चलते हुए भद्राज मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है।
9. भद्राज मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
भद्राज मंदिर तक आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: दिल्ली या देहरादून से मसूरी तक बस, टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। मसूरी से भद्राज के लिए टैक्सी और शेयरिंग टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जहां से मसूरी के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है।
- हवाई मार्ग: देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से मसूरी के लिए टैक्सी और हेली सेवा भी उपलब्ध है।
- ट्रैकिंग: ट्रैकिंग के शौकीन लोग मसूरी से पैदल ट्रैक के जरिए भी मंदिर पहुंच सकते हैं।
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47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस–2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया प्रतिभाग

पीआर विजन–2047 विकसित भारत के निर्माण में निभाएगा अहम भूमिका: सीएम धामी
सरकार और जनता के बीच भरोसेमंद संवाद समय की सबसे बड़ी आवश्यकता: मुख्यमंत्री
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को होटल एमरॉल्ड ग्रैण्ड, सहस्त्रधारा रोड, देहरादून में आयोजित 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस–2025 में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलन कर सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने कॉन्फ्रेंस स्थल पर आयोजित फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया और हस्तशिल्प उत्पादों के स्टॉल का निरीक्षण कर स्थानीय कला एवं शिल्प को प्रोत्साहन दिया।
देशभर के पीआर विशेषज्ञों का महासंगम, देहरादून बना संवाद का केंद्र
दरअसल, देहरादून 13 से 15 दिसंबर तक 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशंस कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी कर रहा है, जिसमें देशभर से जनसंपर्क एवं कम्युनिकेशन प्रोफेशनल्स भाग ले रहे हैं। पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) द्वारा आयोजित यह सम्मेलन “विकसित भारत @2047: विकास भी, विरासत भी” थीम पर केंद्रित है।

सम्मेलन का उद्घाटन 13 दिसंबर को हुआ, जबकि तीन दिवसीय आयोजन के दौरान उत्तराखंड की 25 वर्षों की विकास यात्रा, मीडिया और जनसंपर्क की भूमिका, तकनीक, GST, AI, साइबर क्राइम, मिसइन्फॉर्मेशन और अंतरराष्ट्रीय जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञ सत्र आयोजित किए जाएंगे। रूस से आए प्रतिनिधियों की सहभागिता ने इस सम्मेलन को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप भी प्रदान किया है। सम्मेलन का समापन 15 दिसंबर को होगा।
पीआर केवल सूचना नहीं, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का अहम हिस्सा: मुख्यमंत्री
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देशभर से आए जनसंपर्क विशेषज्ञों, प्रतिनिधियों और युवा प्रतिभाओं का स्वागत करते हुए कहा कि इस वर्ष की थीम “पीआर विजन फॉर–2047” विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज के समय में पब्लिक रिलेशन केवल सूचना संप्रेषण का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का एक प्रभावी और जिम्मेदार अंग बन चुका है।

डिजिटल युग में गलत सूचना बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा डिजिटल युग में जहां एक ओर सूचनाओं की भरमार है, वहीं दूसरी ओर गलत सूचना और अफवाहों की चुनौती भी उतनी ही गंभीर हो गई है। ऐसे में सरकार और जनता के बीच सही, समयबद्ध और भरोसेमंद संवाद स्थापित करना जनसंपर्क की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि उत्तराखंड जैसे प्राकृतिक आपदाओं और सामरिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य में संवाद केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि विश्वास की बुनियाद है।
आपदा प्रबंधन से पर्यटन तक मजबूत पीआर सिस्टम जरूरी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आपदा प्रबंधन, सुशासन, धार्मिक आयोजन और पर्यटन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भविष्य की पीआर प्रणाली को तेज, तकनीकी रूप से सक्षम और जनभावनाओं के प्रति संवेदनशील बनाना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार और जनता के बीच आदेश का नहीं, बल्कि साझेदारी और विश्वास का संबंध स्थापित करना समय की मांग है।

उन्होंने यह भी कहा कि संकट के समय पब्लिक रिलेशन एक सक्षम कमांड सेंटर की भूमिका निभा सकता है, वहीं सामान्य परिस्थितियों में देश और राज्य के लिए सकारात्मक नैरेटिव गढ़ने में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि देवभूमि उत्तराखंड से निकला यह संवाद विकसित भारत–2047 के विजन को नई दिशा देगा।
तेज़ विकास पथ पर अग्रसर उत्तराखंड: मुख्यमंत्री
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की विकास यात्रा पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2024–25 में उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 3.78 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने वाला है, जबकि प्रति व्यक्ति आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के बजट में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है और बेरोजगारी दर में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन को मिल रही नई गति
मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, खेल, पेयजल, हवाई और रेल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में आधुनिक अवसंरचना का तेजी से विकास किया जा रहा है। साथ ही धार्मिक पर्यटन, वेलनेस, एडवेंचर टूरिज्म, फिल्म शूटिंग और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उत्तराखंड को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
उन्होंने ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना, दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेस-वे, रोपवे परियोजनाओं और हवाई अड्डों के विस्तार का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी परियोजनाएं राज्य के विकास को नई गति दे रही हैं। वहीं शीतकालीन यात्रा की पहल के माध्यम से वर्षभर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
निवेश और रोजगार के नए अवसर
मुख्यमंत्री धामी ने निवेश और औद्योगिक विकास पर जोर देते हुए कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत प्राप्त निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने में राज्य को उल्लेखनीय सफलता मिली है। सिंगल विंडो सिस्टम और नई औद्योगिक व स्टार्टअप नीतियों के चलते उत्तराखंड निवेश के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में सामने आया है।

उन्होंने कहा कि “एक जनपद–दो उत्पाद”, हाउस ऑफ हिमालयाज, मिलेट मिशन और नई पर्यटन व फिल्म नीति जैसी योजनाएं स्थानीय आजीविका को मजबूती दे रही हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग्स में राज्य की उपलब्धियां पारदर्शी और जनभागीदारी आधारित शासन का प्रमाण हैं।
उत्तराखंड की नीतियां बन रहीं देश के लिए मॉडल
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक संरचना और संतुलित जनसंख्या के संरक्षण के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की नीतियां और नवाचार आज देश के अन्य राज्यों के लिए मॉडल बन रहे हैं और विकसित भारत–2047 की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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