Pauri
पौड़ी में बढ़ते वन्यजीव हमलों पर जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया सख्त, हर मौत की होगी गहन जांच !

पौड़ी : जिला मुख्यालय पौड़ी स्थित एनआईसी कक्ष में जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया की अध्यक्षता में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध द्वारा जनपद में मानव-वन्यजीव संघर्ष की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी।
डीएफओ ने अवगत कराया कि पौड़ी जनपद मानव-वन्यजीव संघर्ष की दृष्टि से अति संवेदनशील श्रेणी में आता है, जहाँ प्रतिवर्ष औसतन 9 से 10 लोगों की मौत होती है। संघर्ष के मुख्य कारणों में गुलदार, बाघ, भालू, हाथी, बंदर और सांप जैसे वन्यजीवों की सक्रियता प्रमुख है।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया द्वारा जनपद को गैर-संवेदनशील, संवेदनशील और अति-संवेदनशील क्षेत्रों में विभाजित कर कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया गया। साथ ही उन्होंने ग्राम स्तर पर सूचना एवं चेतावनी प्रणाली को सक्रिय करने तथा हर मृत्यु की गहन जांच हेतु एक ऑडिट प्रणाली विकसित करने के निर्देश भी दिये, जिससे घटनाओं के वास्तविक कारणों का पता लगाकर प्रभावी रोकथाम की जा सके। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और विश्लेषण के ज़रिये हमलों के पैटर्न को भी समझा जाय। साथ ही उन्होंने पशुओं पर हुए हमलों के आंकड़ों का संग्रहण, उनका वर्गीकरण और बायो-फेंसिंग जैसे उपायों को लागू करने को कहा। जिलाधिकारी ने जागरुकता कार्यक्रमों में राजस्व विभाग के पटवारियों को शामिल कर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय मजबूत करने के निर्देश भी दिये।
इसके अलावा, जिलाधिकारी ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को कम करने के लिए अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिये। उन्होंने संवेदनशील क्षेत्रों में सोलर लाइटें लगाने हेतु प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा, ताकि अंधेरे में वन्यजीवों की गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सके। उन्होंने प्रो-एक्टिव अप्रोच अपनाने पर भी बल दिया, जिससे घटनाओं से पूर्व ही सुरक्षात्मक कदम उठाए जा सकें। स्कूलों में जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को ‘क्या करें और क्या न करें’ की जानकारी देने के निर्देश दिये गये। साथ ही वन्यजीव संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित कर अलर्ट मोड में रखने और बाघ या अन्य ख़तरनाक वन्यजीवों के दिखने पर आपदा नियंत्रण कक्ष में तुरंत रिपोर्ट करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया। जिलाधिकारी ने समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर त्वरित, संवेदनशील और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाय।
बैठक में बताया गया कि जिले में मानव मृत्यु के मामलों में किसी भी प्रकार का मुआवजा लंबित नहीं है, जबकि पशु हानि से संबंधित मुआवजा प्रकरणों की पिछले 14 महीनों की लंबित फाइलों को शीघ्र निस्तारित करने की प्रक्रिया चल रही है।
बैठक में एडीएम अनिल गर्ब्याल, डीएफओ सिविल सोयम पवन नेगी, अधीक्षण अभियंता जल संस्थान प्रवीण सैनी, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड लोनिवि रीना नेगी आदि अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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सीएम पुष्कर सिंह धामी पहुंचे पौड़ी, आपदा प्रभावित क्षेत्रों का किया हवाई सर्वेक्षण

पौड़ी: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज पौड़ी जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के साथ हेलीकॉप्टर से थलीसैंण तहसील के बांकुड़ा और आसपास के क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने सैंजी गांव पहुंचकर अतिवृष्टि से हुई क्षति का स्थल पर निरीक्षण भी करेंगेऔर प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे ।
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पौड़ी गढ़वाल में भारी भूस्खलन से तबाही, दो महिलाओं की मौत, मवेशी भी मलबे में दबे

Paudi mein do mahila ki maut
पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड में बारिश कहर बनकर टूट रही है। बुधवार सुबह पौड़ी जिले के बुरासी गांव में एक दर्दनाक हादसा हो गया। भारी बारिश के चलते हुए भूस्खलन में दो महिलाओं की मौत हो गई और कई मवेशी मलबे में दबकर मर गए। गांव में भारी तबाही मची है, वहीं आसपास के इलाकों से भी नुकसान की खबरें आ रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिमला देवी (पत्नी स्व. बलवंत सिंह भंडारी) और आशा देवी (पत्नी स्व. प्रेम सिंह नेगी) बुधवार सुबह अपने घरों में ही थीं, जब अचानक पहाड़ी से आया मलबा उनके घरों में घुस गया। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद पूरे गांव में शोक की लहर है।
वहीं अमर सिंह का आवासीय भवन और गौशाला भी भूस्खलन की चपेट में आ गया। हादसे में उनके कई मवेशी भी मारे गए। इससे परिवार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
पास के सैजी गांव में भी कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। लगातार हो रही बारिश से स्थिति और भी गंभीर बनी हुई है।
जनकल्याण सामाजिक समिति ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक जताया है और प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवारों को त्वरित राहत और मुआवजा दिया जाए। साथ ही समिति ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे लगातार हो रही बारिश को देखते हुए सतर्क रहें और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें।
प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है और नुकसान का आकलन किया जा रहा है। स्थानीय लोग भी राहत कार्यों में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लगातार हो रही बारिश से आपदा का खतरा लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में प्रशासन ने भी लोगों से सावधानी बरतने और खतरे वाले इलाकों से दूर रहने की अपील की है।
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श्रीनगर में कहर बरपाता गुलदार! शौच को निकले युवक पर गुलदार का हमला, जिंदगी की जंग जारी!

शौच को निकले युवक पर गुलदार का हमला
श्रीनगर (पौड़ी): श्रीनगर क्षेत्र में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार सुबह गंगा दर्शन क्षेत्र से आगे पौड़ी रोड पर 32 वर्षीय संदीप कुमार पर गुलदार ने अचानक हमला कर दिया। संदीप मूल रूप से रुड़की (हरिद्वार) का रहने वाला है और पिछले कुछ समय से श्रीनगर में रह रहा था। घटना के वक्त संदीप शौच के लिए निकला था…तभी झाड़ियों में छिपे गुलदार ने झपट्टा मार दिया।
मौके पर पहुंचे स्थानीय लोगों ने संदीप को तुरंत संयुक्त अस्पताल श्रीनगर पहुंचाया, जहां गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद श्रीकोट बेस अस्पताल रेफर कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक संदीप के शरीर पर गहरे पंजों के निशान हैं और अत्यधिक खून बह जाने के कारण उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। फिलहाल सीटी स्कैन सहित अन्य जांचें कर उसका इलाज जारी है।
पहले भी हो चुके हैं हमले दहशत में लोग
यह इलाका पहले भी गुलदार के हमलों का गवाह बन चुका है। स्थानीय लोगों ने कहा कि पहले भी दो लोगों पर गुलदार हमला कर चुका है, दोनों ही घटनाएं शाम के समय हुई थीं। इन लगातार हो रहे हमलों से इलाके के लोग सहमे हुए हैं और अकेले सुनसान रास्तों पर जाने से बच रहे हैं।
महिलाओं-बच्चों में खौफ, वन विभाग से कार्रवाई की मांग
स्थानीय निवासियों ने बताया कि गुलदार का आतंक अब इतना बढ़ गया है कि महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त घरों से बाहर निकलने में डरने लगे हैं। लोगों ने वन विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द गुलदार को पकड़ा जाए या इलाके से हटाया जाए…ताकि लोगों को राहत मिल सके।
गौरतलब है कि गंगा दर्शन क्षेत्र और आसपास के इलाकों में पहले भी गुलदार के हमले हो चुके हैं जिनमें लोग घायल हुए थे। इन घटनाओं के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है और लोग शाम ढलते ही घरों में सिमटने लगे हैं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग पर अब दबाव बढ़ रहा है कि वे जल्द कोई ठोस कदम उठाएं…ताकि गुलदार के आतंक से जनता को निजात दिलाई जा सके।
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