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सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चकराता रोड पहुंचकर ख़रीदे मिट्टी के बने दिये, दुकानदारों ने ली सेल्फी।

देहरादून – दीपावली के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून के चकराता रोड पहुंचकर मिट्टी के बने दीए ख़रीदे इस मौके पर उन्होंने दुकानदारों से बातचीत भी की। साथ में अन्य खरीदारों से भी मुलाकात की लोगों से हाल-चाल भी जाना। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ कई खरीदारों ने सेल्फी भी ली।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि दिवाली के पर्व को खुशी के साथ मनाया जा रहा है और आम लोग स्थानीय उत्पादन के सामानों को दिवाली के मौके पर जरूर खरीदे ।
उन्होंने प्रदेशवासियों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं दी है और उनसे अपील की है कि स्थानीय लोगों स्थानीय उत्पादों की खरीदारी भी करें।
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कौन हैं Payal Gaming ? क्यू आज हो रही है गूगल पर ट्रेंड , जाने उनके बारे मे सबकुछ…

Payal Gaming सोशल मीडिया पर वायरल ‘वीडियो विवाद’ का पूरा सच
भारतीय ई-स्पोर्ट्स और गेमिंग की दुनिया में पायल धारे, जिन्हें दुनिया ‘Payal Gaming’ के नाम से जानती है, एक बड़ा नाम बन चुकी हैं। आज यानी 17 दिसंबर 2025 को पायल गेमिंग गूगल और सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में बनी हुई हैं। इसका कारण उनकी कोई नई उपलब्धि नहीं, बल्कि एक दुर्भाग्यपूर्ण वीडियो विवाद (Deepfake Controversy) है।
इस लेख में हम जानेंगे पायल गेमिंग के संघर्ष की कहानी और उस वायरल वीडियो का सच जो इंटरनेट पर तहलका मचा रहा है।
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पायल गेमिंग की बायोग्राफी (Biography of Payal Gaming)
पायल धारे का जन्म 18 सितंबर 1999 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुआ था। एक छोटे शहर से निकलकर भारत की सबसे सफल महिला गेमर बनने तक का उनका सफर बेहद प्रेरणादायक है।
करियर की शुरुआत
पायल ने अपने गेमिंग सफर की शुरुआत 2019 में की थी। उस समय भारत में PUBG Mobile (अब BGMI) का क्रेज चरम पर था। उन्होंने रूढ़ियों को तोड़ते हुए गेमिंग को एक करियर के रूप में चुना।
- YouTube की शुरुआत: उन्होंने “Payal Gaming” नाम से अपना चैनल शुरू किया और अपनी बेहतरीन गेमिंग स्किल्स और मजेदार कमेंट्री से लोगों का दिल जीत लिया।
- S8UL का हिस्सा: पायल भारत के सबसे बड़े गेमिंग संगठन S8UL की एक प्रमुख सदस्य हैं। उन्हें नमन माथुर (Mortal) और ठग (Thug) जैसे दिग्गजों का साथ मिला, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया।
उपलब्धियां और रिकॉर्ड
- 3 मिलियन सब्सक्राइबर: वह 3 मिलियन सब्सक्राइबर्स का आंकड़ा पार करने वाली भारत की पहली महिला गेमर बनीं। वर्तमान में उनके 4.5 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं।
- अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार: 2024 में उन्होंने MOBIES (Mobile Gaming Awards) में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीता।
- पीएम मोदी से मुलाकात: भारत सरकार के गेमिंग को बढ़ावा देने के अभियान के तहत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की है।
क्यों ट्रेंड कर रही हैं पायल गेमिंग? (The Video Controversy)
आज गूगल पर पायल गेमिंग के ट्रेंड होने की मुख्य वजह एक वायरल वीडियो है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी गलत जानकारी फैलाई जा रही है।
वीडियो विवाद का सच क्या है?
पिछले कुछ दिनों से ‘X’ (Twitter), टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर एक छोटा वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। कुछ शरारती तत्व इसे “पायल गेमिंग का लीक वीडियो” बताकर शेयर कर रहे हैं।

लेकिन इस वीडियो का सच कुछ और है:
- डीपफेक (Deepfake) तकनीक: साइबर विशेषज्ञों और प्रशंसकों के अनुसार, यह वीडियो पूरी तरह से फर्जी है। यह AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा बनाया गया एक Deepfake वीडियो है, जिसमें किसी और के शरीर पर पायल का चेहरा लगाया गया है।
- दुबई ट्रिप का गलत फायदा: पायल फिलहाल दुबई की यात्रा पर हैं। ट्रोल्स ने इसी बात का फायदा उठाकर इसे “Dubai MMS” का नाम दे दिया ताकि यह सच लगे।
- फैंस का समर्थन: उनके लाखों फैंस इस समय उनके समर्थन में खड़े हैं और लोगों से इस फर्जी वीडियो को रिपोर्ट करने की अपील कर रहे हैं।
पायल गेमिंग की नेट वर्थ (Net Worth 2025)
पायल गेमिंग की कमाई का मुख्य जरिया यूट्यूब विज्ञापन, ब्रांड एंडोर्समेंट और ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 1 करोड़ से 9 करोड़ रुपये के बीच आंकी गई है।
निष्कर्ष
Payal Gaming ने अपनी मेहनत से जो मुकाम हासिल किया है, उसे नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ लोग तकनीक का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह विवाद एक बार फिर इंटरनेट पर महिलाओं की सुरक्षा और AI Deepfake के खतरों को सामने लाता है। पायल एक फाइटर हैं और उनके फैंस को उम्मीद है कि वह जल्द ही इस विवाद पर अपनी बात रखेंगी और कानूनी कार्रवाई करेंगी।
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उत्तराखंड धर्मांतरण कानून को नहीं मिली राज्यपाल से मंजूरी, पुनर्विचार के लिए वापस लौटाया

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Dehradun News: उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकभवन से मंजूरी नहीं मिली है। बिल अगस्त महीने में विधनसभा से पारित हो चुका है जिसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। लेकिन राज्यपाल गुरमीत सिंह की तरफ से बिल को वापस पुनर्विचार के लिए लौटाया गया है।
लोकभवन से नहीं मिली विधेयक को मंजूरी, पुनर्विचार के वापस लिए भेजा
सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल ने विधेयक के ड्राफ्ट में तकनीकी खामियों के चलते सरकार के पास पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है। जिसके बाद धामी सरकार के पास अब इस विधेयक को लागू करवाने के लिए दो ही रास्ते हैं।
- सरकार इसे अध्यादेश लाकर इसे लागू करे
- या दोबारा विधेयक को विधानसभा से पारित करे
क्या है उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक ?
राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक लागू किया था, जिसे 2022 में धामी सरकार द्वारा इस क़ानून में कुछ संशोधन करते हुए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक (संशोधन) 2022 लागू किया गया था। वर्तमान में जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में लगतार बढ़ोतरी होने के चलते 13 अगस्त 2025 को सरकार ने मौजूदा विधेयक में सजा को और भी सख्त करते हुए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक (संशोधन), 2025 के प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद विधेयक को 20 अगस्त 2025 को गैरसैण में चले मानसून सत्र में विधानसभा से मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल के पास भेजा गया था।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक (संशोधन) 2025
- विधेयक का उद्देश्य राज्य के मौजूदा धर्मांतरण विरोधी कानून को और अधिक सख्त बनाना है।
- अगस्त 2025 में उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने विधेयक को मंजूरी दी थी।
- दिसंबर 2025 में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने तकनीकी खामियों के चलते इसे पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटा दिया।
- अब सरकार के पास अध्यादेश लाने या संशोधन के बाद दोबारा विधानसभा में पारित कराने का विकल्प है।
दंड से जुड़े प्रावधान
- सामान्य मामलों में 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान।
- महिलाओं, नाबालिगों और एससी/एसटी से जुड़े मामलों में 5 से 14 साल तक की सजा।
- गंभीर मामलों में 20 साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान।
अन्य प्रमुख प्रावधान
- प्रलोभन की परिभाषा का विस्तार, जिसमें विवाह का वादा, मुफ्त शिक्षा, नौकरी या अन्य लाभ शामिल।
- सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल माध्यमों से धर्मांतरण के प्रचार पर प्रतिबंध।
- विवाह के लिए झूठी पहचान या जानकारी देने को दंडनीय अपराध बनाया गया।
- पीड़ितों की सुरक्षा, पुनर्वास, चिकित्सा और वित्तीय सहायता के लिए विशेष प्रावधान।
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ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का ये छुपा मंदिर, इतिहास, मान्यताएं और कैसे पहुंचें, यहां जानें सब कुछ

Bhadraj Temple : यूं तो उत्तराखंड में कई मंदिर है जो अपनी एक झलक से ही आपका दिल जीत सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मंदिर दूर पहाड़ों पर स्थित हैं। जहां हर कोई नहीं पहुंच पाता। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं और उनकी खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। ऐसा ही एक मंदिर पहाड़ों की रानी मसूरी में भी है जहां खुद बादल दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही यहां पर आप खूबसूरत ट्रैक (Bhadraj Track) का भी आनंद ले सकते हैं।
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ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का छुपा मंदिर Bhadraj Temple
उत्तराखंड में मसूरी में बादलों के बीच भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर भद्रराज मंदिर (Bhadraj Temple) स्थित है। ये मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर साढ़े सात हजार फीट की ऊँचाई पर बना हुआ है और अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है।

भद्रराज मंदिर की है ये मान्यता
ऐसी मान्याताएं हैं कि पौराणिक काल में दुधली पहाड़ी पर जौनपुर और पछवादून क्षेत्र के ग्रामीण इस पहाड़ी पर वर्षा ऋतु यानी कि चौमासा में अपने पशु चराने के लिए जाते थे। लेकिन उस समय इस स्थान पर एक राक्षस का आतंक था । जो गांव वालों के पालतू पशुओं को अक्सर अपना निवाला बना लेता था। जिस से परेशान होकर थक-हारकर गांव वालों ने भगवान बलराम से पशुओं की रक्षा के लिए प्रार्थना की।

ऐसा कहा जाता है कि भक्तों की इस पुकार पर भगवान बलराम ने उस स्थान पर अवतार लिया और राक्षस का वध कर ग्रामीणों को भयमुक्त किया। जिसके बाद ग्रामीणों ने इस स्थान पर उनका मंदिर बनवाया। गांव वालों का मानना है कि तब से लेकर अब तक भगवान बलराम उनके पशुओं की रक्षा करते हैं।
भगवान बलराम को समर्पित उत्तराखंड का इकलौता मंदिर
आपको बता दें कि ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित मंदिर है। खास बात ये है कि भद्राज मंदिर उत्तराखंड में स्थित भगवान बलराम का इकलौता मंदिर है। स्थानीय लोगों के अनुसार भद्राज मंदिर आने से परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। इसके साथ ही लोग अपने पालतू पशुओं के लिए भी यहां आते हैं।

खासकर सर्दियों और होली के समय यहां बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। इस दौरान यहां पर कई धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। ऐसी मान्यता है क जो व्यक्ति कठिनाइयों में यहां आता है और भगवान बलराम की पूजा करता है, उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे पहुंच सकते हैं आप भद्राज मंदिर
भद्राज मंदिर आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंचत सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रैक भी कर सकते हैं। दिल्ली और देहरादून से आप यहां कुछ इस तरीके से पहुंच सकते हैं। दिल्ली से आप सड़क मार्ग हवाई मार्ग या फिर रेल मार्ग से देहरादून पहुंच सकते हैं।

देहरादून से आगे आप कार से, बस से या फिर चॉपर से भी जा सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आप सरकारी बस, टैक्सी या फिर अपने वाहन से मसूरी पहुंच सकते हैं। मसूरी से भद्राज के लिए आपको शेयरिंग टैक्सी मिल जाएगी। लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो देहरादून से मसूरी के लिए हेली सेवा भी उपलब्ध है। मसूरी से आगे भद्राज के लिए आप टैक्सी, शेयरिंग टैक्सी, रेंटल व्हीकल से जा सकते हैं।
भद्राज मंदिर तक के ट्रैक की हर जानकारी (Bhadraj Track)
भद्राज मंदिर तक पहुंचने के लिए मसूरी क्षेत्र से एक सुंदर और शांत ट्रैक मार्ग है, जिसे आसान से मध्यम श्रेणी का ट्रैक माना जाता है। ये ट्रैक खास तौर पर उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बिल्कुल परफेक्ट है जो प्रकृति के बीच शांति और कम भीड़ के साथ ट्रैक करना चाहते हैं। भद्राज ट्रैक (Bhadraj Track) की शुरूआत आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से होती है। ये पूरा ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यहां का रास्ता घने देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है। जो इस ट्रैक को और भी मजेदार बनाता है।

बात करें ट्रैक करते हुए मंदिर पहुंचने में लगने वाले समय की तो सामान्य गति से चलते हुए मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। ट्रैक करने के बाद आपको 7,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर से मसूरी और देहरादून घाटी के सुंदर नज़ारे दिखाई देते हैं। जो आपके सफर को और भी यादगार बना सकते हैं।

यहां पर ट्रैक पर आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का माना जाता है। हालांकि सालभर अन्य महीनों में भी आप यहां आ सकते हैं। लेकिन बरसात में खासी सावधानी आपको बरतनी होगी। अगर आप सर्दियों में आ रहे हैं तो मौसम को देखकर ही ट्रैक करें क्योंकि सर्दियों के मौसम में, खासकर दिसंबर से फरवरी के बीच जब पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है, तब यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है।
FAQs: भद्राज मंदिर (Bhadraj Temple)
1. भद्राज मंदिर कहां स्थित है?
भद्राज मंदिर उत्तराखंड के मसूरी क्षेत्र में दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से करीब 7,500 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है।
2. भद्राज मंदिर किस देवता को समर्पित है?
भद्राज मंदिर भगवान बलराम को समर्पित है, जो भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई थे। यह उत्तराखंड में भगवान बलराम को समर्पित इकलौता मंदिर माना जाता है।
3. भद्राज मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर अपनी धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक मान्यता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि भगवान बलराम आज भी उनके पशुओं और परिवार की रक्षा करते हैं।
5. भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है?
भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच माना जाता है। सर्दियों में ठंड और कभी-कभार बर्फबारी हो सकती है, जबकि बरसात में रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं।
6. क्या भद्राज मंदिर क्षेत्र में बर्फबारी होती है?
हां, दिसंबर से फरवरी के बीच कभी-कभी यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है, लेकिन भारी और लंबे समय तक बर्फ जमना आम नहीं है।
7. भद्राज मंदिर तक ट्रैक कितना लंबा है?
भद्राज मंदिर तक का ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यह ट्रैक आसान से मध्यम श्रेणी का है और आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से शुरू होता है।
8. भद्राज मंदिर तक ट्रैक करने में कितना समय लगता है?
सामान्य गति से चलते हुए भद्राज मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है।
9. भद्राज मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
भद्राज मंदिर तक आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: दिल्ली या देहरादून से मसूरी तक बस, टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। मसूरी से भद्राज के लिए टैक्सी और शेयरिंग टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जहां से मसूरी के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है।
- हवाई मार्ग: देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से मसूरी के लिए टैक्सी और हेली सेवा भी उपलब्ध है।
- ट्रैकिंग: ट्रैकिंग के शौकीन लोग मसूरी से पैदल ट्रैक के जरिए भी मंदिर पहुंच सकते हैं।
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