Dehradun
गले की खराश को न करें नजरअंदाज, हो सकती हैं ये 5 खतरनाक बीमारियाँ !

देहरादून: गले में खराश या गला खराब होना एक सामान्य समस्या है, लेकिन यह कई गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। सीडीसी (सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, गले में खराश के साथ चुभन, दर्द, निगलने में परेशानी, नाक बहना, बुखार, खांसी और कंजंक्टिवाइटिस जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं, जो खतरनाक बीमारियों के संकेत होते हैं।
गला खराब होना किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है, और इसका कारण अक्सर सामान्य सर्दी या फ्लू जैसा वायरस होता है। लेकिन, कभी-कभी यह लक्षण गंभीर बीमारियों की ओर इशारा करते हैं, जिन्हें अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर के अनुसार, गले में खराश होने पर तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है।
गले में खराश के गंभीर कारण:
- बैक्टीरियल इंफेक्शन: गले में खराश का कारण कभी-कभी बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है, जैसे कि स्ट्रेप्टोकोकल इंफेक्शन (स्ट्रेप थ्रोट)। अगर इस इंफेक्शन का इलाज न किया जाए, तो इससे रूमेटिक फीवर, किडनी इंफ्लेमेशन और पस से भरे फोड़े का खतरा हो सकता है। ऐसे में टेस्ट करवाना और इलाज शुरू करना जरूरी है।
- कैंसर: अगर गले में खराश का लक्षण लंबे समय तक बना रहे, तो यह कैंसर का संकेत भी हो सकता है। गले के लारिंक्स, फेयरिंक्स या टॉन्सिल में कैंसर की शुरुआत हो सकती है, इसलिए इस लक्षण को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
- एलर्जी: धूल, मिट्टी, या खाद्य पदार्थों से एलर्जी की वजह से भी गले में खराश और जलन हो सकती है। इससे हालत खराब हो सकती है, इसलिए एलर्जी से बचने के उपायों के साथ डॉक्टर की सलाह लेना उचित है।
- कोविड-19: कोविड-19 महामारी के दौरान गले में खराश एक सामान्य लक्षण बन गया है। अगर गले में खराश के साथ अन्य लक्षण जैसे बुखार और खांसी भी हों, तो यह कोविड-19 का संकेत हो सकता है। इसलिए गले में खराश होने पर इसे नजरअंदाज न करें और जल्दी से जांच करवाएं।
- एसिड रिफ्लक्स और गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD): अगर लंबे समय से एसिड रिफ्लक्स या गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स की समस्या हो, तो यह भी गले में खराश का कारण बन सकती है। पेट में एसिड के कारण गले में जलन और खराश हो सकती है, जिसे लाइफस्टाइल में बदलाव और उचित इलाज से ठीक किया जा सकता है।
क्या करें?
गले में खराश होने पर इसे नजरअंदाज न करें। यदि लक्षण लगातार बने रहते हैं या गंभीर होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। गले में खराश का इलाज जल्दी शुरू करना स्वास्थ्य को खतरे से बचाने में मदद कर सकता है।
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राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में लिया भाग

देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने रविवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइंस इंस्टीट्यूशंस के 24वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में प्रतिभाग किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से आए प्रख्यात विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में सामाजिक कल्याण, अर्थशास्त्र, रोजगार, उद्योग, कृषि, तकनीकी, पर्यावरण और नगरीकरण जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय असंतुलन और असमान विकास जैसी चुनौतियों के स्थायी समाधान और नई दिशा की तलाश में है। ऐसे समय में यह सम्मेलन केवल एक अकादमिक विमर्श नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना, साझी जिम्मेदारी और पर्यावरणीय जागरूकता का सशक्त आह्वान है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि पूरक बनाना ही सच्चा सतत विकास है।
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है। अनियोजित शहरीकरण, अंधाधुंध वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए केवल नीतियाँ या तकनीक पर्याप्त नहीं होंगी, बल्कि हमें जीवनशैली में परिवर्तन, जनसहभागिता और प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहकर नीतियां बनानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे पर्वतीय राज्यों के लिए पर्यावरणीय चुनौतियाँ और भी संवेदनशील हैं। भूस्खलन, मृदा क्षरण, नदियों का कटाव और वन्य जीवों के आवासों में कमी जैसे मुद्दे अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता से भी जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी, वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय तथा जनजागरूकता और शिक्षा तीनों को एक साथ जोड़ना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि शहरीकरण आर्थिक प्रगति का वाहक है, परंतु अनियोजित शहरीकरण असमानता, प्रदूषण और संसाधनों की कमी का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि हमें “स्मार्ट सिटीज” के साथ-साथ “ग्रीन सिटीज” की भी परिकल्पना करनी होगी, जहाँ भवन ऊर्जा-कुशल हों, परिवहन स्वच्छ हो और हरित आवरण पर्याप्त हो। सतत विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना है।
राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि वे केवल भविष्य के विद्यार्थी नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माता हैं। उनके विचार, शोध और संवेदना ही हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की दिशा तय करेंगे। उन्होंने आयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान, संवाद और नीति-चिंतन का उत्कृष्ट मंच बना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहाँ हुए मंथन से निकले विचार हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास के लिए नई दिशा प्रदान करेंगे।
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उत्तराखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 3 जिलों के DM समेत 44 अधिकारियों के तबादले





Accident
उत्तरखड़: सड़क पर दौड़ रही थी टैक्सी, ड्राइवर को अचानक आया अटैक, पर्यटकों की अटकी सांसे

मसूरी: पर्यटन नगरी मसूरी के नजदीक सोमवार को एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जब धनौल्टी से लौट रहे एक टैक्सी चालक को अचानक दिल का दौरा पड़ गया। घटना उस वक्त हुई जब चालक कार चला रहा था, जिससे गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और वह सड़क किनारे पैराफिट से टकरा गई। हादसे में चालक की मौके पर ही मौत हो गई…हालांकि गाड़ी में सवार चार पर्यटक पूरी तरह सुरक्षित बच गए।
यह दुर्घटना टिहरी बाईपास मार्ग पर लक्ष्मणपुरी क्षेत्र में नगर पालिका परिषद के कूड़ा कलेक्टिंग सेंटर के पास हुई। हादसे के तुरंत बाद चालक को 108 एंबुलेंस के जरिए उप जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक की पहचान हरिद्वार निवासी कपिल अरोड़ा (उम्र करीब 40 वर्ष), पुत्र स्व. अनिल अरोड़ा के रूप में हुई है। कपिल स्विफ्ट डिज़ायर टैक्सी (यूके08-टीए-6149) चला रहे थे और धनौल्टी से देहरादून होते हुए हरिद्वार लौट रहे थे।
आखिरी पलों में दिखाई सूझबूझ
कार में सवार पश्चिम बंगाल से आए पर्यटकों ने बताया कि चलती गाड़ी में ही कपिल को चक्कर जैसा महसूस हुआ। इसके बाद उन्होंने किसी तरह खुद को संभालते हुए गाड़ी को साइड में लगाने की कोशिश की, जिससे कार पैराफिट से टकरा गई। अगर चालक ने सूझबूझ न दिखाई होती, तो कार सीधे गहरी खाई में गिर सकती थी और एक बड़ा हादसा हो सकता था।
पर्यटक सुरक्षित, भेजे गए हरिद्वार
कार में सवार सभी पर्यटक पश्चिम बंगाल के निवासी हैं, जिनमें पुरबस्त हल, डाइसेल, पूरतराड़ निवासी राजेल मुखर्जी (उम्र 45 वर्ष), ढंगन निवासी अनकटी नाथ, पुत्र आलोक नाथ और शेम नाथ गराई शामिल हैं। सभी को मसूरी पुलिस द्वारा सुरक्षित बाहर निकाला गया और उन्हें अन्य वाहन से हरिद्वार भेज दिया गया।
पुलिस ने शुरू की जांच
मसूरी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। मृतक के परिजनों को सूचना दे दी गई है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह मामला स्वाभाविक मृत्यु (दिल का दौरा) का प्रतीत होता है, हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी।
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