देहरादून: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) को राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं। यूपीसीएल लगातार दीर्घ और मध्यम अवधि के पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) के लिए टेंडर जारी कर रहा है, लेकिन कोई भी कंपनी इन टेंडरों में भाग लेने को तैयार नहीं हो रही है।
यूपीसीएल ने अब तक नौ बार मध्यम अवधि के पीपीए के लिए टेंडर जारी किए हैं, लेकिन किसी भी कंपनी ने इन टेंडरों के लिए बोली नहीं लगाई। हाइड्रो, थर्मल, सोलर और गैस आधारित प्लांटों से बिजली सस्ते दामों पर खरीदने का यह तरीका पहले कारगर था, लेकिन हाल ही में बिजली की मांग और कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। इसी वजह से कंपनियां अब दीर्घ और मध्यम अवधि के लिए बिजली बेचने को तैयार नहीं हो रही हैं।
पिछले कुछ महीनों में उत्तराखंड में बिजली की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके चलते बिजली की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इस स्थिति ने राज्य में बिजली की उपलब्धता को लेकर चिंता बढ़ा दी है। कंपनियां बिजली की कीमतों के बढ़ने के कारण अब लंबी अवधि के समझौतों में शामिल होने से बच रही हैं।
यूपीसीएल के निदेशक परियोजना, अजय अग्रवाल ने हाल ही में एक नियामक आयोग जनसुनवाई में यह स्वीकार किया कि उन्होंने नौ बार मध्यम अवधि के पीपीए के लिए टेंडर जारी किए, लेकिन कोई भी कंपनी बिजली प्रदान करने को तैयार नहीं है।
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