Uttarakhand
Lambi Dehar Mines : रहस्यमयी इतिहास, डरावनी कहानियाँ और आज का प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट (2025 गाइड)

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Introduction : lambi dehar mines
lambi dehar mines उत्तराखंड के मसूरी क्षेत्र के पास स्थित एक रहस्यमयी और ऐतिहासिक स्थान है। यह जगह जितनी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, उतनी ही अपनी डरावनी कहानियों और भूतिया घटनाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। समय के साथ, lambi dehar mines भारत की सबसे चर्चित परित्यक्त खदानों में गिनी जाने लगी हैं।
भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक वातावरण
lambi dehar mines मसूरी से लगभग 10–12 किलोमीटर की दूरी पर, घने जंगलों और पहाड़ी ढलानों के बीच स्थित हैं। यहाँ का वातावरण अक्सर धुंध, ठंडी हवाओं और सन्नाटे से भरा रहता है, जो इस जगह को और भी रहस्यमयी बना देता है।

lambi dehar mines का ऐतिहासिक विकास
खदानों की स्थापना
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान lambi dehar mines की स्थापना चूना पत्थर (Limestone) के खनन के लिए की गई थी। उस समय चूना पत्थर का उपयोग भवन निर्माण और औद्योगिक कार्यों में बड़े पैमाने पर होता था।
चूना पत्थर खनन का दौर
1960–70 के दशक में यहाँ खनन अपने चरम पर था। हजारों मजदूर बिना किसी आधुनिक सुरक्षा उपकरण के खतरनाक परिस्थितियों में काम करते थे।
मजदूरों का जीवन और कार्य स्थितियाँ
lambi dehar mines में काम करने वाले मजदूरों का जीवन अत्यंत कठिन था। न तो सुरक्षा मास्क उपलब्ध थे और न ही चिकित्सा सुविधाएँ। मजदूर दिन-रात धूल और जहरीली गैसों के बीच काम करते थे।
जहरीली गैस और हजारों मौतों की कहानी
स्थानीय कथाओं के अनुसार, lambi dehar mines में सिलिका और अन्य जहरीली गैसों के कारण हजारों मजदूरों की असमय मृत्यु हो गई। कई लोग फेफड़ों की बीमारियों का शिकार हुए, जिसे आज हम सिलिकोसिस के नाम से जानते हैं।
lambi dehar mines और डरावनी कहानियाँ
स्थानीय लोगों के अनुभव
कई ग्रामीणों का दावा है कि रात के समय खदानों से अजीब आवाजें, चीखें और कदमों की आहट सुनाई देती हैं।
रात में होने वाली घटनाएँ
कुछ लोगों ने सफेद साड़ी पहने एक महिला को पहाड़ी रास्तों पर चलते हुए देखने का दावा किया है, जो अचानक गायब हो जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सच्चाई
विशेषज्ञों के अनुसार, lambi dehar mines में सुनाई देने वाली आवाजें हवा के दबाव, गुफाओं की बनावट और तापमान में बदलाव के कारण हो सकती हैं। अंधेरा और भय मानव मस्तिष्क को भ्रमित कर सकता है।
lambi dehar mines: भूतिया या भ्रम?
यह सवाल आज भी अनसुलझा है। कुछ लोग इसे भारत की सबसे भूतिया जगह मानते हैं, जबकि अन्य इसे मनोवैज्ञानिक प्रभाव और प्राकृतिक कारणों का परिणाम बताते हैं।
आज lambi dehar mines एक टूरिस्ट स्पॉट
पर्यटकों के लिए आकर्षण
आज lambi dehar mines एडवेंचर लवर्स, ट्रैवल ब्लॉगर्स और फोटोग्राफर्स के बीच बेहद लोकप्रिय है।
फोटोग्राफी और एडवेंचर
यहाँ की टूटी खदानें, जंगल और धुंध फोटोग्राफी के लिए शानदार बैकग्राउंड प्रदान करते हैं।

घूमने का सही समय
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर lambi dehar mines घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
सुरक्षा सावधानियाँ
- अकेले न जाएँ
- रात में प्रवेश से बचें
- स्थानीय गाइड साथ रखें
- खदानों के अंदर जाने से बचें
लंबी देहर mines कैसे पहुँचे
- निकटतम शहर: मसूरी
- रेलवे स्टेशन: देहरादून
- हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट
देहरादून से टैक्सी या लोकल वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है।
स्थानीय संस्कृति और लोककथाएँ
स्थानीय लोग आज भी लंबी देहर mines को लेकर श्रद्धा और भय दोनों रखते हैं। कई त्योहारों और कहानियों में इसका उल्लेख मिलता है।
भविष्य में संरक्षण और पर्यटन की संभावनाएँ
सरकार यदि उचित सुरक्षा और गाइडलाइन के साथ इस क्षेत्र को विकसित करे, तो लंबी देहर mines एक सुरक्षित हेरिटेज टूरिज्म स्पॉट बन सकता है।
(संदर्भ: https://uttarakhandtourism.gov.in)
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FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या लंबी देहर mines सच में भूतिया है?
उत्तर: इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन कहानियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं।
Q2. क्या यहाँ जाना सुरक्षित है?
उत्तर: दिन में और सावधानियों के साथ जाना अपेक्षाकृत सुरक्षित है।
Q3. क्या खदानों के अंदर जाना अनुमति है?
उत्तर: नहीं, यह खतरनाक और प्रतिबंधित हो सकता है।
Q4. सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर।
Q5. क्या परिवार के साथ जा सकते हैं?
उत्तर: बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह जगह उपयुक्त नहीं है।
Q6. क्या यहाँ गाइड मिलते हैं?
उत्तर: हाँ, स्थानीय स्तर पर गाइड उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष
लंबी देहर केवल एक परित्यक्त खदान नहीं, बल्कि इतिहास, रहस्य और रोमांच का अनोखा संगम है। चाहे आप इसके डरावने किस्सों में विश्वास करें या वैज्ञानिक सच्चाई में, यह स्थान हर किसी को सोचने पर मजबूर करता है।
Uttarakhand
Roorkee से अफगान नागरिक गिरफ्तार, चार साल पहले खत्म हो चुका था वीजा
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रुड़की: हरिद्वार जिले के रूड़की में बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के अवैध रूप से भारत में रह रहे एक Afghan Citizen को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अफगान नागरिक (Afghan Citizen) को RPF ने बांद्रा ट्रेन एक्सप्रेस में चैन पुलिंग के बाद हिरासत में लिया। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक अफगान नागरिक का 4 साल पहले ही वीजा समाप्त हो गया था। फिलहाल पुलिस मामले की सभी पहलुओं से जांच कर रही है।
रुड़की से पुलिस ने गिरफ्तार किया एक Afghan Citizen को
जानकारी के मुताबिक, बीते शनिवार 13 दिसंबर को बांद्रा एक्सप्रेस ट्रेन में चेन पुलिंग हुई थी। इसके बाद रेलवे स्टेशन रुड़की पर रेलवे सुरक्षा बल यानी RPF ने चेकिंग अभियान चलाया। जिसमें चेकिंग के दौरान RPF टीम को एक संदिग्ध व्यक्ति नजर आया। शक के आधार पर पुलिस ने उस व्यक्ति को पकड़ा और हिरासत में लेकर उससे पूछताछ शुरू की।
कंधार (Afghanistan ) का निवासी है आरोपी
पुलिस पूछताछ में व्यक्ति ने बताया कि वो कांधार अफगानिस्तान का नागरिक है। जिसने अपना नाम नजीबुल्लाह पुत्र हाजी बिस्मिल्लाह निवासी नहिया-3 थाना नहिया-3 जनपद कंधार, Afghanistan (विदेशी नागरिक) बताया। इसी के साथ जांच के दौरान ये तथ्य सामने आया कि पकड़ा गया व्यक्ति बिना वैध पासपोर्ट और वीजा के भारत में रह रहा था।
अवैध पासपोर्ट और वीजा के रह रहा था भारत में
बताया गया है कि आरोपी का वीजा लगभग चार वर्ष पहले ही समाप्त हो चुका था। जिसके बाद भी वो अवैध रूप से भारत में रह रहा था।
पूछताछ के दौरान विदेशी नागरिक ने बताया कि वो उत्तर प्रदेश के देवबंद में साल 2018 से पढ़ाई कर रहा है। और साल 2021 में उसका वीजा समाप्त हो चुका है। आरपीएफ ने आरोपी नजीबुल्लाह को रुड़की गंगनहर कोतवाली पुलिस को सौंप दिया है। इसी के साथ रुड़की रेलवे पुलिस बल चौकी के उपनिरीक्षक कमलेश प्रसाद ने मामले में गंगनहर कोतवाली पुलिस को तहरीर सौंपी है।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर ली है। एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की टीम ने भी आरोपी से पूछताछ की है। इस पूरे मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। गंगनहर कोतवाली के वरिष्ठ उपनिरीक्षक दीप कुमार ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। साथ ही उनका कहना है कि आरोपी कई बार कलियर भी गया है।
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VHP और बजरंग दल ने निकाली विकासनगर में तहसील प्रशासन की शव यात्रा, लगाए गंभीर आरोप

Vikasnagar : विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सेलाकुई से विकासनगर तहसील तक विकासनगर तहसील प्रशासन की शव यात्रा निकाली।
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Vikasnagar में निकाली गई तहसील प्रशासन की शव यात्रा
सेलाकुईं से विकासनगर तहसील तक आज विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विकासनगर तहसील प्रशासन की शव यात्रा निकाली। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि विकासनगर तहसील क्षेत्र में भू-माफिया के हौसले बुलंद हैं और इसमें तहसील प्रशासन की मिलीभगत भी बताई जा रही है।

कई बार महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी होने के आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विकासनगर तहसील वही है जहां से महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। प्रदर्शन के दौरान विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तहसील प्रशासन की शव यात्रा निकाली और तहसील विकासनगर पहुंचकर पुतले आग के हवाले कर दिए। इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।
20 दिनों बाद चक्का जाम की चेतावनी
कार्यकर्ताओं द्वारा दो पुतले बनाए गए जिसमें एक Vikasnagar तहसील प्रशासन का और दूसरा कथित संरक्षण देने वाले को दर्शाने वाला सफेदपोश का पुतला था। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ऐसे संरक्षण के चलते ही भू-माफिया के हौसले बढ़े हुए हैं। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर तहसील प्रशासन समय रहते जागृत नहीं हुआ और भू-माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो 20 दिनों के बाद चक्का जाम किया जाएगा।
Uttarakhand
PRSI राष्ट्रीय अधिवेशन में एआई, साइबर क्राइम और संचार पर अहम् चर्चा

PRSI National Convention: AI के दौर में जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा
देहरादून : पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI National Convention) के राष्ट्रीय अधिवेशन के तीसरे दिन का माहौल खासा विचारशील और गंभीर रहा। इस दिन आयोजित पांचवें सत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर क्राइम और मिसइन्फॉर्मेशन जैसे मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि बदलती तकनीक से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे समझना और सही तरीके से अपनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
AI ने बदला साइबर अपराध का चेहरा
सत्र के मुख्य वक्ता उत्तराखण्ड पुलिस के अपर पुलिस अधीक्षक अंकुश मिश्रा ने साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौतियों को बेहद सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि आज के समय में साइबर फ्रॉड के लिए किसी को बाहर निकलने की भी जरूरत नहीं पड़ती, अपराध घर बैठे हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि Artificial Intelligence के जरिए अब आवाज की नकल करना और डीपफेक वीडियो बनाना आसान हो गया है। ऐसे में अगर हम थोड़ी सी लापरवाही बरतें, तो बड़ी परेशानी में पड़ सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि अनजान लिंक पर क्लिक न करें और सोशल मीडिया पर निजी जानकारी साझा करने से बचें।
एएसपी मिश्रा ने ये भी स्पष्ट किया कि डीपफेक वीडियो को आगे शेयर करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। साथ ही उन्होंने अभिभावकों से बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एआई से डरिए मत, लेकिन लापरवाह भी न बनें।
Public Relation में AI बना मजबूत साथी
सत्र की शुरुआत स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के असिस्टेंट जनरल मैनेजर विनय जायसवाल ने की। उन्होंने बताया कि Artificial Intelligence ने जनसंपर्क के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है।
आज मीडिया मॉनिटरिंग हो या ऑडियंस एनालिसिस, हर जगह एआई एक मजबूत सहायक के रूप में सामने आया है। उन्होंने कहा कि जहां एआई ने काम को आसान और तेज बनाया है, वहीं इसके साथ साइबर जोखिम भी बढ़े हैं। ऐसे में संस्थानों को जिम्मेदारी के साथ इसका इस्तेमाल करना चाहिए। सही रणनीति और प्रशिक्षण के जरिए एआई पीआर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
AI इंसान की जगह नहीं ले सकता
ग्राफिक हिल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर ताहा सिद्दिकी ने PRSI पर आधारित अपनी प्रेजेंटेशन के जरिए तकनीक को बेहद आसान अंदाज़ में समझाया। उन्होंने बताया कि वो “अधीरा” नामक प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को एआई के प्रति जागरूक कर रही हैं।

उनका कहना था कि Artificial Intelligence इंसान की जगह नहीं ले सकता, लेकिन यह उसका सबसे अच्छा सहायक जरूर बन सकता है। समय के साथ तकनीक बदलती है और हमें भी अपने कौशल उसी हिसाब से ढालने चाहिए। उन्होंने खास तौर पर युवाओं से अपील की कि Artificial Intelligence को डर की नजर से नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखें।
संगठन की छवि की नींव है कॉरपोरेट कम्युनिकेशन
इसके बाद आयोजित छठवें सत्र में PRSI के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यू.एस. शर्मा ने कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की अहमियत पर बात की। उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन की पहचान और भरोसा मजबूत संचार से ही बनता है।
आज के डिजिटल दौर में पारदर्शिता, सही समय पर प्रतिक्रिया और भरोसेमंद कंटेंट बेहद जरूरी हो गया है। पीआर प्रोफेशनल्स को बदलते मीडिया माहौल को समझते हुए नैतिक और रणनीतिक संचार अपनाना होगा।
प्रचार नहीं, संवाद है पीआर: आरईसी
आरईसी के मैनेजर कॉरपोरेट कम्युनिकेशन इरफान रसीद ने बताया कि उनके संगठन में पीआर को केवल प्रचार तक सीमित नहीं रखा गया है। मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए हितधारकों से लगातार संवाद बनाए रखा जाता है। उन्होंने कहा कि मजबूत और ईमानदार संचार ही किसी संगठन की साख को लंबे समय तक बनाए रखता है।
स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में THDC का योगदान
सत्र में डॉ. अमरनाथ त्रिपाठी, चीफ जनरल मैनेजर (एचआर एंड कॉरपोरेट कम्युनिकेशन), टीएचडीसी ने पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि टीएचडीसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा का एक बेहतरीन उदाहरण है।
टिहरी डैम को उन्होंने इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह न केवल ऊर्जा उत्पादन में अहम है, बल्कि इको-टूरिज्म और जल क्रीड़ा के लिए भी नए अवसर पैदा कर रहा है।
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