Crime
चार्टर्ड अकाउंटेंट ने 3 की जगह दिखाए 900 कर्मचारी, लाखों का हुआ घपला, कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज…

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भविष्य निधि (PF) को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। थाना बसंत विहार क्षेत्र के अंतर्गत एक निजी सुरक्षा एजेंसी के अकाउंटेंट ने फर्जीवाड़ा कर तीन कर्मचारियों की जगह 900 कर्मचारी दिखाकर लाखों रुपये की पीएफ राशि हड़प ली। पीड़ित की शिकायत पर कोर्ट के आदेश के बाद अब जाकर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
नेहरू कॉलोनी निवासी विकास कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने सनराइज सिक्योरिटी नाम से श्रीरामपुरम गोविंदगढ़ कावली रोड पर एक एजेंसी की स्थापना की थी। वर्ष 2021 में उन्होंने मोहित शर्मा, निवासी हरियाणा को अकाउंटेंट के पद पर नियुक्त किया था, जो कंपनी के जीएसटी, ईएसआई और पीएफ संबंधी कार्यों को देखता था।
कोविड काल में केंद्र सरकार ने एक योजना शुरू की थी, जिसके तहत कर्मचारियों के पीएफ में नियोक्ता की ओर से दी जाने वाली राशि सरकार द्वारा वहन की जानी थी। इसी योजना का फायदा उठाने के लिए मोहित शर्मा ने एजेंसी में केवल तीन असली कर्मचारियों की जगह 900 कर्मचारियों को दर्शाया, जबकि वास्तव में एजेंसी में तीन ही कर्मचारी काम कर रहे थे।
जुलाई 2022 में विकास कुमार को ईपीएफओ की ओर से नोटिस मिला, जिसमें बताया गया कि उनकी एजेंसी के रिकॉर्ड में 900 कर्मचारी दर्शाए गए हैं। जब उन्होंने ईपीएफओ कार्यालय जाकर पड़ताल की, तो पता चला कि एजेंसी के केवल तीन कर्मचारी असली हैं, जबकि शेष नाम मोहित शर्मा द्वारा फर्जी तरीके से जोड़े गए थे।
जांच में यह भी सामने आया कि 239 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर पीएफ की राशि निकाल ली गई, और कुल 32 लाख रुपये की हेराफेरी की गई है।
विकास कुमार ने 9 सितंबर 2022 को एसएसपी कार्यालय में शिकायत दी, साथ ही जिलाधिकारी कार्यालय और मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
कोर्ट के आदेश के बाद थाना बसंत विहार में अकाउंटेंट मोहित शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र सहित विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। थाना प्रभारी प्रदीप रावत ने पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है।
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कोटद्वार में जीएमओयू के करोड़ों के गबन के आरोप में 9 गिरफ्तार

कोटद्वार: गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू) कोटद्वार में भारी वित्तीय गबन के मामले में कोतवाली पुलिस ने नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी लोकेश्वर सिंह के निर्देश पर की गई…जिन्होंने इस गंभीर मामले का शीघ्र और सफल निस्तारण करने के लिए विशेष टीम गठित की थी।
दिनांक 05 मार्च 2025 को कोटद्वार निवासी विजय पाल सिंह जो स्वयं जीएमओयू के मैनेजर सचिव और प्रधान भी रह चुके हैं उन्होंने कोतवाली कोटद्वार में एक शिकायती प्रार्थना पत्र दाखिल कर पूर्व अध्यक्ष, मैनेजर, अकाउंटेंट समेत नौ व्यक्तियों पर करोड़ों रुपये के गबन का आरोप लगाया था। इस शिकायत के आधार पर कोतवाली में धारा 420 एवं 406 के तहत मुकदमा संख्या 70/2025 पंजीकृत किया गया था।
जांच में सामने आया कि अभियुक्तों ने मृत व्यक्तियों, अन्य स्टेशनों, पेट्रोल पंपों, बिल्डिंग, कंप्यूटर रिपेयर, मेंटेनेंस, दान-पूजा और फर्नीचर रिपेयर के नाम पर फर्जी बिल वाउचर बनाकर तथा काल्पनिक व्यक्तियों के नामों पर नकली प्रार्थना पत्र तैयार कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 2,48,43,087/- (दो करोड़ अड़तालीस लाख तैंतालीस हजार सत्तासी रुपये) का गबन किया है।
अपर पुलिस अधीक्षक चन्द्रमोहन सिंह एवं क्षेत्राधिकारी कोटद्वार निहारिका सेमवाल के निर्देशन में प्रभारी निरीक्षक कोटद्वार रमेश तनवर के नेतृत्व में गठित टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दिनांक 18 जून 2025 को अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार अभियुक्तों में शामिल हैं:
जीत सिंह पटवाल, पूर्व अध्यक्ष एवं संचालक
ऊषा सजवान, पूर्व जनरल मैनेजर
अश्वनी कुमार रावत, पूर्व कैशियर
मंजीत सैनी, सहायक लेखाधिकारी
अशोक कुमार, चेकिंग सेक्शन कर्मचारी
मुकेश कुमार, कैशियर सहायक
राजेश चन्द्र बुडाकोटी, कार्यवाहक कैशियर
वीरेन्द्र खंतवाल, पेट्रोल सेक्शन क्लर्क
राकेश मोहन त्यागी, लेखा लिपिक
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उत्तराखंड: घर में घुसकर बेटी की हत्या…4 साल बाद मिला इंसाफ, एक को फांसी, दूसरे को उम्रकैद

रुड़की (हरिद्वार): चार साल पहले जिस दर्दनाक वारदात ने रुड़की शहर को झकझोर कर रख दिया था अब उसमें न्याय की एक अहम झलक देखने को मिली है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश सिंह की अदालत ने शादी से इनकार करने पर युवती की हत्या करने वाले मुख्य आरोपी हैदर अली को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि उसके साथी रिहान उर्फ आरिश को सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी गई है।
बता दे कि घटना 24 अप्रैल 2021 की है…जब कृष्णानगर मोहल्ले में रहने वाली एक 19 वर्षीय युवती निधि उर्फ हंसी की उसके ही घर में घुसकर चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। परिवार वालों के मुताबिक आरोपी हैदर अली लगातार निधि पर शादी का दबाव बना रहा था…लेकिन निधि ने साफ इनकार कर दिया था। इसी इनकार को अपनी बेइज्जती समझते हुए हैदर ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर इस हैवानियत को अंजाम दिया था।
इस मामले में रुड़की के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा और उनके बेटे हाईकोर्ट अधिवक्ता ने मजबूती से पैरवी की। पिता-पुत्र की इस कानूनी जोड़ी ने कोर्ट में लगातार ऐसे साक्ष्य पेश किए जिनके चलते आरोपी की जमानत याचिका बार-बार खारिज होती रही। उनकी मेहनत और ईमानदारी ने निधि के परिवार को इंसाफ की उम्मीद दी।
कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के आधार पर हैदर अली को दोषी ठहराते हुए फांसी और 50,000 जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं दूसरे आरोपी रिहान को सश्रम आजीवन कारावास और 50,000 जुर्माना भुगतना होगा। इस मामले में शामिल तीसरे आरोपी…जो उस समय नाबालिग था उसका मामला अभी जुवेनाइल कोर्ट में लंबित है।
फैसले के बाद निधि के परिजनों ने राहत की सांस ली है। उन्होंने अधिवक्ता संजीव वर्मा का आभार जताते हुए कहा कि भले बेटी वापस नहीं आ सकती…लेकिन कम से कम उसे इंसाफ तो मिला।
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WhatsApp से फंसाया, Fake App से लूटा…81 लाख की ठगी, महाराष्ट्र से गिरफ्तार!

देहरादून: उत्तराखंड एसटीएफ ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र के नागपुर से एक साइबर ठग को गिरफ्तार किया है। आरोपी सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को ऑनलाइन ट्रेडिंग में निवेश का झांसा देता था और लाखों की ठगी कर रहा था। पुलिस ने बताया कि इस गिरोह ने करीब 81.45 लाख रुपये की साइबर ठगी की है।
गिरफ्तार आरोपी का नाम वैभव मनोज गाडगे है। यह आरोपी उधम सिंह नगर के एक व्यक्ति को भी अपने जाल में फंसा चुका था।
ऐसे फंसाता था लोगों को:
पुलिस के मुताबिक आरोपी व्हाट्सएप के जरिए लोगों को ट्रेडिंग से मोटा मुनाफा कमाने का लालच देता था। वह खुद को एक प्रतिष्ठित ट्रेडिंग कंपनी का प्रतिनिधि बताकर लोगों को झांसे में लेता था।
लोगों को अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुपों में जोड़ा जाता था, जहां पहले से मौजूद सदस्य झूठे स्क्रीनशॉट के जरिए यह दिखाते थे कि उन्होंने निवेश कर मोटा मुनाफा कमाया है। इससे नए लोग प्रभावित होकर निवेश कर देते थे।
इतना ही नहीं आरोपी ने एक फर्जी मोबाइल ऐप भी बनाया था…जिसमें निवेश की गई रकम और उस पर दिखाया गया मुनाफा झूठा होता था। पीड़ितों को लगता था कि उन्हें सच में फायदा हो रहा है…लेकिन हकीकत में वो ठगे जा रहे होते थे।
करोड़ों की ट्रांजैक्शन, 8 मामलों में आरोपी:
एसटीएफ प्रमुख नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी के बैंक खातों में सिर्फ 4-5 महीनों में करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है। जांच में पता चला है कि आरोपी के खातों के खिलाफ देश के कई राज्यों में 8 साइबर अपराध दर्ज हैं। अब अन्य राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर जांच की जा रही है।
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